Balaghat Bridge: खतरनाक! 2 साल पहले टूटा था पुल, 5 गांव के ग्रामीण हो रहे परेशान, कब बनेगा ब्रिज?

Balaghat Dangerous Bridge: ग्रामीणों ने बताया कि कई बार तो कई बाइक चालक सीधे जाकर इस पुल के नीचे गिर गए हैं. जिससे दुर्घटनाएं हुई हैं और कई लोग घायल भी हुए हैं, लेकिन प्रशासन का ध्यान इस ओर दो साल से नहीं गया है. इससे सभी परेशान हैं एवं मांग कर रहे हैं कि जल्द से जल्द पुल का निर्माण कराया जाए.

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Balaghat Bridge: खतरनाक! 2 साल पहले टूटा था पुल, 5 गांव के ग्रामीण हो रहे परेशान, कब बनेगा ब्रिज?

Balaghat Dangerous Bridge: बालाघाट जिले के लालबर्रा तहसील के ग्राम सिहोरा से रमपुरी मार्ग के बीच में पड़ने वाला पुल पिछले 2 साल पहले 23 अक्टूबर 2023 को बारिश के दौरान बह गया था. बीते 2 वर्षों में ग्रामीण गर्मी में तो इस पुल में उतर कर अंदर से निकलते हुए पैदल पार करते हुए आना जाना कर लेते हैं, लेकिन बारिश में इन्हें एक फेरा मार कर दूर गांव से आना पड़ता है. विडंबना यह है कि लालबर्रा सिहोरा से होते हुए रामपुरी के बीच का पुल टूटने से करीब 6 से 7 गांव परेशानी में आ गए हैं. पिछले दो वर्षों से इन्होंने शासन प्रशासन से कई बार गुहार लगाई लेकिन कोई नतीजा सामने नहीं आया.

कहीं जानलेवा न बन जाए लापरवाही

यह पुल प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना में आता है. ग्रामीणों की समस्या यह है कि जो फेरा वाला मार्ग था, जिसेमें घूम कर गांव पहुंचना पड़ता था, वह भी आधा धंसने लगा है. वहां पर भी खतरे का बोर्ड लगा दिया गया है. अब समस्या यह है कि अगर यह रोड भी धंस गई तो ग्रामीण कहां से जाएंगे? वहीं अगर रात में गलती कोई यहां तेज रफ्तार में आ गया तो यह पुल जानलेवा साबित हो सकता है. ग्रामीणों ने बताया कि कई बार तो कई बाइक चालक सीधे जाकर इस पुल के नीचे गिर गए हैं. जिससे दुर्घटनाएं हुई हैं और कई लोग घायल भी हुए हैं, लेकिन प्रशासन का ध्यान इस ओर दो साल से नहीं गया है. इससे सभी परेशान हैं एवं मांग कर रहे हैं कि जल्द से जल्द पुल का निर्माण कराया जाए.

करीब 5 से 7 गांव इससे प्रभावित हैं. ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव ने NDTV को बताया कि "हमने इस पुल टूटने की जानकारी विभाग के सभी वरिष्ठों को दे दी है, लेकिन किसी ने भी आज तक कोई सुध नहीं ली है."

वहीं ग्रामीण बताते हैं कि "इस मार्ग पर ना ही कोई बोर्ड लगाया गया है कि पुल गिर गया है न ही किसी भी प्रकार का कोई संकेतक नहीं लगा है. ग्रामीणों ने स्वयं कांटे रखकर मार्ग को रोकने का प्रयास किया गया है."

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