MP में आंगनबाड़ियों का बुरा हाल, कहीं लटके मिले ताले, तो कहीं गंदगी का अंबार....बच्चे भी दिखे गायब

Condition of Anganwadis in Guna: NDTV की टीम ने गुना के बमौरी इलाके में हालात का जायजा लिया तो पता चला यहां पूरी आंगनबाड़ी व्यवस्था ही आईसीयू में है. कई आंगनबाड़ी केंद्रों में ताले लटके मिले, तो कई के सामने कचरे का मैदान दिखा.

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गुना जिले की आंगनबाड़ियों में ताले लगे मिले, कुछ में तो कचरे का ढेर भी मिला.

Bad Condition of Anganwadis in Madhya Pradesh: देश में आंगनबाड़ी (Anganwadi) की शुरुआत बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के उद्देश्य से की गई थी. लेकिन, मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के आंगनबाड़ी केंद्रों की हालत ऐसी है, जिसे देखकर पता चलता है कि यहां की आंगनबाड़ी सरकार के इन उद्देश्यों से कोसों दूर हैं. हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के गुना जिले (Anganwadis in Guna) की. जहां की जमीनी हकीकत आंगनबाड़ियों का खस्ता हालत के बारे में बताती है.

NDTV की टीम ने गुना के बमौरी इलाके में हालात का जायजा लिया तो पता चला यहां पूरी आंगनबाड़ी व्यवस्था ही आईसीयू में है. कई आंगनबाड़ी केंद्रों में ताले लटके मिले, तो कई के सामने कचरे का मैदान दिखा. आपको बता दें कि गुना से कई नेता मंत्री बने, कुछ तो केंन्द्रीय मंत्री भी रहे, लेकिन यहां के आंगनबाड़ी केंद्रों की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ. यह हाल तो इतने बड़े राज्य के सिर्फ छोटे से ब्लॉक का है. पूरे राज्य की स्थिति का अंदाजा ही नहीं लगाया जा सकता.

आंगनबाड़ियों में लटका मिला ताला

गुना के बनियानी के आंगनबाड़ी केंद्र की हालत देखकर यहां की स्थिति का पता चलता है. बता दें कि बनियानी आंगनबाड़ी केंद्र के रजिस्टर में 90 बच्चों के नाम दर्ज हैं, लेकिन हमारी टीम को वहां महज दो बच्चे ही देखने को मिले. ऐसा ही हाल चकलोदा का था. पांड़ोन आंगनबाड़ी केंद्र में तो कई महीने से ताला लटका हुआ है और मैदान में कचरा पड़ा है.

छोटी छिकारी में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता केंद्र पर ताला लगाकर निकल रही थीं, उसी समय हमारी टीम पहुंच गई.

कुम्हारी आंगनबाड़ी में भी हमारी टीम को ताला लगा हुआ मिला. यहां जब NDTV की टीम कुम्हारी प्राथमिक विद्यालय के बच्चों से मिली तो, उन्होंने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता 3-4 दिन में एक बार आती हैं वो भी पड़ोसी राज्य राजस्थान से. हालांकि, प्राथमिक स्कूल की हालत भी बेहद ही दिखी. यहां महज 4-6 बच्चे ही थे. 

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कई जगह तो बच्चे भी नहीं मिले

जब हमारी टीम आगे बढ़ी तो पता चला कर्राखेडा की आंगनबाड़ी में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर चलता है, जहां एएनएम-सीएचओ तो मिलीं, लेकिन आंगनबाड़ी सहायिका गायब थीं. छिकारी में भी कागजों में 40 बच्चों की डीटेल है, लेकिन वहां ये बच्चे गायब दिखे. छोटी छिकारी में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता केंद्र पर ताला लगाकर निकल रही थीं, लेकिन जैसे ही हमारी टीम को देखा तो फोटो खिंचवाने के लिए केंद्र के सामने खड़ी हो गईं.

मगरोडा में सहायिका तो मौजूद थीं, लेकिन बच्चे और कार्यकर्ता दोनों ही गायब थे. वहीं बिशनवाडा आंगनवाड़ी केंद्र पर ताला लटका मिला और पाटन आंगनबाड़ी केंद्र पर बच्चों की 12:30 बजे ही छुट्टी कर दी गई.

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आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने क्या कहा?

कई आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों को खाना नहीं मिला, पोषण आहर के पैकेट भी रखे थे जिन्हें बांटा ही नहीं गया. बनियानी की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अनिता ओझा कहती हैं कि केंद्र में 90 बच्चे दर्ज हैं, लेकिन आज दो ही आए हैं. सहायिका छुट्टी पर हैं. हज़ार रुपये में कोई खाना नहीं बनाता है इसलिए गांव से बना कर लाते हैं. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि पोषण आहार के जो पैकेट हैं, वो दिसंबर महीने में मिले थे, लेकिन बांटे नहीं गए. अब बांटेंगे.

वहीं चकलोदा की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मंजू नरवरीया ने बताया कि केंद्र में 24 बच्चे हैं. लेकिन, जमीनी हकीकत कुछ और ही है. हमारी टीम को वहां एक भी बच्चा नहीं दिखा. कुम्हारी प्राथमिक विद्यालय की टीचर सीमा ने बताया कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कभी-कभी आती हैं. आंगनबाड़ी के बच्चे तो स्कूल की क्लास में पढ़ते हैं. जबकि छिकारी की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अनीता भिलाला ने बताया कि खाना खाने के टाइम पर ही बच्चे आते हैं.

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जिम्मेदारों ने कार्रवाई की कही बात

वहीं आंगनबाड़ियों की मौजूदा स्थिति पर परियोजना अधिकारी पवनदीप अरोरा ने बताया कि बमौरी परियोजना में 247 आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिनमें पांच सुपरवाइज़र हैं. उन्होंने कहा कि जहां भी आंगनबाड़ी बंद मिले हैं, समय पर खुल नहीं रहे हैं. इनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे. पांचो सुपरवाइज़रों को भी नोटिस जारी कर जवाब लिए जाएंगे.

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