Ujjain: मन महेश के रूप में पालकी में सवार होकर प्रजा का हाल जानने निकले महाकाल, मंदिर द्वार पर पुलिस ने दी सलामी

मध्य प्रदेश के उज्जैन में श्री महाकालेश्वर भगवान की सावन मास की सवारी सोमवार को धूम-धाम से निकली. बाबा महाकाल मन महेश के रूप में चांदी की पालकी में सवार होकर निकले और दर्शनार्थियों ने बाबा के खूब जयकारे लगाए.

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मध्य प्रदेश के उज्जैन में श्री महाकालेश्वर भगवान की सावन मास की सवारी सोमवार को धूम-धाम से निकली. बाबा महाकाल मन महेश के रूप में चांदी की पालकी में सवार होकर निकले तो दर्शनार्थियों ने बाबा के खूब जयकारे लगाए सवारी में जनजातीय कलाकारों का नृत्य आकर्षण का केंद्र रहा. वहीं, रामघाट पर 500 बटुकों ने वैदिक उदघोष किया.

दक्षिणमुखी भगवान श्री महाकालेश्वर की श्रावण/भाद्रपद माह की पहली सवारी सोमवार को दोपहर बाद चार बजे निकली. यहां सबसे पहले महाकाल मंदिर के सभा मंडप में प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल, करण सिंह वर्मा, प्रहलाद पटेल और तुलसी सिलावट ने बाबा महाकाल की पूजा-अर्चना की. पंडित घनश्याम पुजारी ने मंत्रोच्चार से पूजा की, फिर महेश स्वरूप में बाबा रजत पालकी में सवार हुए.

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इस दौरान सशस्त्र पुलिस बल ने बाबा को सलामी दी. इसके बाद सवारी तय मार्गों पर रवाना हो गई. बाबा के दर्शन के लिए हजारों लोग कई घंटे इंतजार करते रहे और सवारी देखते ही महाकाल का जय घोष लगाते नजर आए. सवारी में कई भक्त विभिन्न रूप धरकर शामिल हुए. वहीं, बैंड-बाजे के साथ 9 भजन मंडली अपनी प्रस्तुति देते हुए निकली.

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जनजातीय नृत्य रहा आकर्षण

इस बार भी विभिन्न जनजातीय के कलाकारों का दल पारंपरिक परिधानों में नृत्य करते हुए निकला, जो आकर्षण का केंद्र रहा. सवारी का लाइव प्रसारण मंदिर प्रबंध समिति के फेसबुक और चलित रथ में एलईडी के माध्यम से भी किया जाता रहा, जिससे श्रद्धालु आसानी से दर्शन करते नजर आए.

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वैदिक उदघोष से गूंजा आसमान

इस साल भी सवारियों की अलग-अलग थीम रखी गई है. पहली सवारी की थीम वैदिक उदघोष रखी गई. इसके चलते सवारी के शिप्रा तट पर पहुंचने पर पूजन के दौरान 500 से अधिक वैदिक बटुकों ने वैदिक मंत्रों से उदघोष किया. बटुकों ने एक साथ मंत्रोच्चार से शिप्रा के तट गूंज उठे. आयोजन में दत्त अखाड़ा व रामघाट क्षेत्र में मंदिर प्रबंध समिति द्वारा संचालित श्री महाकालेश्वर वैदिक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान के अतिरिक्त 25 गुरूकुलों के 500 से अधिक बटुकों द्वारा वेद उदघोष किया गया.

इन मार्गों से गुजरी सवारी

सवारी परंपरागत मार्ग महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार और कहारवाडी से होती हुई रामघाट पहुंची. यहां शिप्रा नदी के जल से भगवान का अभिषेक और पूजन किया गया. इसके बाद सवारी रामानुजकोट, मोढ की धर्मशाला, कार्तिक चौक खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार और गुदरी बाजार से होती हुई फिर से श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंचेगी.