Tandoor Toxic Smoke: राजधानी भोपाल में शाम ढलते ही और देर रात तक सड़कों के किनारे उग आए होटल और रेस्टोरेंट के बाहर सुलगती भटट्टियां और तन्दूर के धुएं हवा में जहर घोल रही हैं. होटल और रेस्टोरेंट के मालिक नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के आदेश को धता बताकर तंदूर का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे वायु प्रदूषण का बुरा हाल है.
होटल्स और रेस्टोरेंट में धडल्ले से इस्तेमाल हो रहीं तंदूर की भट्टियां
एनडीटीवी की टीम ने राजधानी के होटल्स और रेस्टोरेंट में धडल्ले से इस्तेमाल हो रहे तंदूर की अलग इलाकों में पड़ताल की और पाया कि राजधानी में सड़कों के किनारे होटल और रेस्टोरेंट में तन्दूर का न केवल बाकायदा इस्तेमाल रहा है, बल्कि तंदूर से निलकने वाली जहरीले धुएं से भोपाल की हवा खराब हो रही है.
खुलेआम होटल और रेस्टोरेंट मालिक इस्तेमाल कर रहे हैं तंदूर भट्टी
रिपोर्ट में पाया गया कि राजधानी में बड़ी संख्या में रेस्टोरेंट मालिक तन्दूर और भट्टियों का इस्तेमाल कर रहे हैं. NGT ने बीते साल भट्टियों और तंदुरों के इस्तेमाल पर पूरी तरह रोक लगा चुका है. यह नजारा जहांगीराबाद भट्टी, बुधवारा, एमपीनगर और जिंसी चौराहा सब जगह दिखा. होटल और रेस्टोरेंट मालिक द्वारा खुलेआम इनका इस्तेमाल किया जा रहा हैं.
पिछले साल 30 से अधिक रेस्टोरेंट और होटल पर हुई थी कार्रवाई
गौरतलब है अक्टूबर 2023 में NGT के आदेश के बाद नगर निगम और पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने शहर में तेजी से कार्रवाई की दो महीने के दौरान 30 से ज्यादा रेस्टोरेंट और होटल के खिलाफ भट्टी और तंदूर जलाने पर जुर्माना किया गया, कई रेस्टोरेंट से भट्टी और तंदूर जप्त किए गए. इस दौरान अशोका गार्डन इलाके में 17 रेस्टोरेंट को सील भी किया गया था.
कार्रवाई ठंडा पड़ते ही होटल्स में फिर उग आईं तन्दूर और भट्टियां
उल्लेखनीय है होटल्स के खिलाफ कार्रवाई को क्रॉस चेक करने के लिए पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने नवंबर 2023 में दोबारा मुहिम चलाई थी. इस दौरान जहां-जहां तंदूर भट्टी मिले उन होटल्स को सील करते हुए लाइसेंस निरस्त किया गया, लेकिन कार्रवाई ठंडा पड़ते ही तन्दूर और भट्टियां फिर उग आई, जो भोपाल की हवा को खराब कर रही हैं.
खुले में कचरा जलाने से भी राजधानी में बढ़ रहा है वायु प्रदूषण
पर्यावरणविद सुभाष पांडेय बताते हैं कि तन्दूर और अन्य भट्टियों में लड़की या कोयले के पत्थर इस्तेमाल किए जाते हैं, इनको जलाने से ग्रीन हाउस गैसें उत्पन्न होती है, इनमें कार्बन मोनोऑक्साइड कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसी गैस हवा में घुलने से ऑक्सीजन कम हो जाती है. ऐसी हवा के लगातार संपर्क में किसी की मौत तक हो सकती है.
मॉनसून के विदाई के साथ शहर में बढ़े धूल से AQI 138 पहुंचा
मॉनसून के विदाई के साथ शहर में बढ़ते जहरीले धुंए और धूल की वजह से एयर क्वालिटी इंडेक्स 138 तक पहुंचने लगा है. राजधानी की हवा की गुणवत्ता खराब होने लगी है. ठंड में यह और खतरनाक स्थिती में हो जाती है. हवा की सेहत सुधारने के लिए भोपाल नगर निगम ने 2020 से 2023 तक 178 करोड़ रुपए खर्च कर डाले, लेकिन खास परिवर्तन नही दिखा.
भोपाल के होटल और रेस्टोरेंट के खिलाफ फिर होगी कार्रवाई
भोपाल नगर निगम अब फिर से शहर में जहरीली हवा उगल रहीं होटल और रेस्टोरेंट के खिलाफ कार्रवाई की बात कर रहा है. निगम कमिंश्नर हरेंद्र नारायण ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि NGT के निर्देश हैं कि तन्दूर की भट्टियां नहीं जलनी चाहिए, नगर निगम समय-समय पर कार्रवाई करता है,आगे भी हम इस कार्रवाई को जारी रखेंगे.