Bhopal News: भोपाल में शराब की दुकानों की या फिर इसके कारोबारियों की कितनी अहमियत है ये मोतीनगर की घटना से पता चलता है. दरअसल यहां बीते फरवरी महीने में 110 दुकानों को अतिक्रमण हटाने के नाम जमींदोज कर दिया गया था. इससे 600 परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. हालांकि तब कहा गया था कि उन्हें फिर से बसाया जाएगा. इंसाफ की उम्मीद में दुकानों के बेरोजगार हो चुके मालिक लगातार कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उन्हें मिल रहा है तो सिर्फ आश्वासन. इसी बीच उसी जगह पर एक शराब की दुकान खुल गई है. उस शराब की दुकान में बैठे मालिक-कर्मचारियों के मुस्कुराते चेहरे इन बेरोजगार दुकान मालिकों के मुंह पर तमाचा सरीखे लग रहे हैं. पीड़ित दुकानदार अब लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.
बेरोजगार हो चुके दुकान के मालिक इंसाफ के लिए लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.
दरअसल दरअसल, सुभाषनगर ब्रिज की थर्ड लेन और रेलवे की थर्ड लाइन के लिए प्रशासन को जमीन की जरुरत थी. लिहाजा उसने इस पूरे इलाके को खाली कराने का फैसला लिया. जिसके तहत 384 मकान और 110 दुकानों को तोड़े का निर्णय लिया गया. तब जिन दुकानदारों को यहां से हटाया गया उन्हें दूसरी जगह बसाने का आश्वासन भी दिया गया था. अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान 4 एसडीएम, 4 तहसीलदार, 10 नायब तहसीलदार, 10 राजस्व निरीक्षक, 50 पटवारी, 50 कोटवार तैनात किए गए थे.
अब दो महीने बाद भी इन पीड़ित दुकानदारों की समस्या कोई नहीं सुन रहा है. पीड़ितों ने जब महापौर से बात की उन्होंने बताया कि रेलवे की गलती है. पीड़ितों ने जब रेलवे से बात की तो उसने बताया कि ये उनकी नहीं जिला प्रशासन की जिम्मेदारी है. जब इस मसले पर NDTV ने जिले के कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह से बात की तो उन्होंने ये कह कर पल्ला झाड़ लिया कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई तो विकास कार्यों के लिए की गई है. इस बीच दुकानदारों की आर्थिक स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. आलम ये है कि इन दो महीने में एक दुकान के मालिक ने आत्महत्या कर ली और एक को हार्ट अटैक आ गया. अब सवाल ये है कि आखिर 600 बेसहारा लोगों को इंसाफ कौन दिलाएगा?
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