12 साल पहले GDA में हुए करोड़ों रुपये की जमीन घोटाले की 26 फाइल गायब, FIR के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई

GDA Scams: ग्वालियर विकास प्राधिकरण से जुड़ी तमाम प्राइम लोकेशन वाली कॉलोनियों में हाउसिंग सोसायटियों को गलत तरीके से आवंटित की गई करोड़ों रुपये कीमत की जमीन के घोटाले की फाइलें ही रिकॉर्ड से गायब है. एक दशक बीत जाने के बाद इसमें न पुलिस ने कोई जांच की और न ही जीडीए ने.

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Land scam worth crores in Gwalior: ग्वालियर विकास प्राधिकरण (Gwalior Development Authority) में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. प्राधिकरण से जुड़ी तमाम प्राइम लोकेशन वाली कॉलोनियों में हाउसिंग सोसायटियों को गलत तरीके से आवंटित की गई करोड़ों रुपये कीमत की जमीन के घोटाले (GDA Scams) की फाइलें रिकॉर्ड से गायब है. एक दशक बीत जाने के बाद इसमें न पुलिस ने कोई जांच की और न ही जीडीए ने. यह घोटाला सौ करोड़ से ज्यादा का बताया जा रहा है.

26 फाइलें जीडीए के रिकॉर्ड से गायब

इस घोटाले का खुलासा दस साल पहले हुआ था. जीडीए ने नब्बे के दशक में अपनी सबसे महत्वपूर्ण और पॉश इलाके विकसित किए थे, जिनमें सिटी सेंटर, शताब्दीपुरम, विनय नगर और आनन्द नगर जैसी कॉलोनियां और इलाके विकसित करने की स्कीम आई थी. इसमें कुछ कॉलोनाइजरों को फायदा पहुंचाने के लिए दूरदराज की कौड़ियों के भाव वाली भूमि सरेंडर करने के बदले कॉलोनाइजरों को इन स्कीमों में वेशकीमती जमीनों के प्लाट उपलब्ध करा दिए गए, लेकिन जब इस मामले पर जांच पड़ताल हुई तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि इन करोड़ों रुपये की जमीन एलॉटमेंट से जुड़ीं 26 फाइलें ही जीडीए के रिकॉर्ड से लापता है.

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प्राथमिक जांच  में माना गया था कि दफ्तर से गायब हुई फाइलों में प्राधिकरण को नुकसान और कॉलोनाइजरों को फायदा पहुंचाने के सबूत हैं. इसका खुलासा होने पर आनन-फानन में इसकी एफआईआर थाने में दर्ज कराई गई. बताया गया 2011- 2012 में सिटी सेंटर, शताब्दीपुरम, विनय नगर आदि से जुड़ी स्कीम की जमीन आवंटन से सम्बंधित 26 मूल फाइलें दफ्तर से गायब हो गईं है. इससे भी चौंकाने वाली बात ये है कि एक दशक से भी ज्यादा का समय बीतने के बावजूद इस बड़े घोटाले में न तो पुलिस की  जांच आगे बढ़ी और न ही जीडीए ने खुद कोई जांच की. अब एक बार फिर इस मामले ने जोर पकड़ लिया है.

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जीडीए के नए सीईओ नरोत्तम भार्गव ने बताया कि उनसे तमाम हितग्राही इन स्कीम की समस्याओं को लेकर मिलते थे, लेकिन पूछने पर पता चलता था कि इसकी फाइल ही नहीं है. जब मैंने इसका पता किया तो यह  खुलासा हुआ. इसके बाद सीईओ ने इस मामले को लेकर पुलिस विभाग को पत्र लिखा है और पूछा है कि इस संबंध में दर्ज कराई गई एफआईआर की जांच में अब तक क्या तथ्य निकलकर आये? जांच कहां तक पहुंची? और क्या कार्रवाई हुई ? इन बिंदुओं से विभाग को अवगत कराएं .

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