20 या 21, किस तरीख को मनायी जाएगी पुत्रदा एकादशी? पंडित दुर्गेश से जानिए मुहूर्त

जनवरी माह में आने वाली दूसरी एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी (Paush Putrada Ekadashi) कहा जाता है. पौष पुत्रदा एकादशी पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है. कहा जाता है कि पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से संतान सुख का वरदान मिलता है.

विज्ञापन
Read Time: 12 mins

Paush Putrada Ekadashi: जनवरी माह में आने वाली दूसरी एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी (Paush Putrada Ekadashi) कहा जाता है. पौष पुत्रदा एकादशी पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है. कहा जाता है कि पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से संतान सुख का वरदान मिलता है, लेकिन इसकी तारीख और शुभ मुहूर्त को लेकर लोग कंफ्यूज है? इसको लेकर पंडित दुर्गेश ने विस्तृत जानकारी दी है, साथ ही यह भी बताया है कि व्रत को रखने की पूजा विधि क्या है. आइये जानते हैं...

21 जनवरी को मनाना है यह पर्व

इस व्रत को लेकर दो तारीखें सामने आ रही है, लेकिन आपको बता दें यह पर्व 21 जनवरी को मनाया जाएगा. रविवार को पड़ने वाले इस व्रत में पूरे विधि-विधान से विष्णु भगवान की पूजा की जाएगी.

यह है शुभ मुहूर्त

पौष पुत्रदा एकादशी की तिथि 20 जनवरी 2024 को शाम के 07 बजकर 26 मिनट से प्रारम्भ होगा, यह तिथि 21 जनवरी 2024 को शाम के 07 बजकर 26 मिनट पर खत्म होगा.

पारण का समय

एकादशी के व्रत तोड़ने का समय 22 जनवरी 2024 को सुबह 06 बजकर 56 मिनट से 09 बजकर 05 मिनट तक रहेगा.
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय  22 जनवरी 2024 को रात्रि में 07 बजकर 51 मिनट तक रहेगा. 

Advertisement

व्रत की पूजा विधि

पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने के लिए सबसे पहले स्नान आदि घर के मंदिर की साफ सफाई करें. इसके बाद भगवान श्री हरि विष्णु का जलाभिषेक करें प्रभु का चरणामृत सहित गंगा जल से भी अभिषेक करें. अब भगवान विष्णु को पीला चंदन और पहले पुष्प अर्पित करें, मंदिर में भरकर दीपक जलाएं. व्रत लेने का संकल्प करें, पुत्रदा एकादशी का व्रत का पाठ करें.

"ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र" का अच्छे मन से जाप करें. पूरी श्रद्धा के साथ भगवान श्रीहरि विष्णु और लक्ष्मी जी की आरती करें. प्रभु को तुलसी सहित भोग लगाएं और अंत में भगवान की सच्चे मन से प्रार्थना करें.

श्रीहरि को प्रसन्न करने के लिए रखते हैं व्रत

यह व्रत श्रीहरि को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है. यह व्रत रखने से संतान सुख का वरदान मिलता है. इस व्रत का महत्त्व उन लोगों के लिए और भी खास है जो विष्णु भगवान की पूजा भक्ति विशेष रूप से करते हैं. 

Advertisement

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष व लोक मान्यताओं पर आधारित है. इस खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता के लिए NDTV किसी भी तरह की ज़िम्मेदारी या दावा नहीं करता है.)


यह भी पढ़ें: पंडित जी से जानिए मंदिर में भोग लगाते वक्त क्या-क्या सावधानी बरतनी चाहिए?