Vijay Diwas: बांग्लादेश और भारत में हर साल 16 दिसंबर को विजय दिवस मनाया जाता है. 16 दिसंबर 1971 का दिन भारत और बांग्लादेश दोनों के लिए ही ऐतिहासिक है. 1971 वह साल है जब भारत ने बांग्लादेशियों के खिलाफ पाकिस्तानी सैनिकों के दमनकारी कृत्यों को कुचलकर रख दिया था और पाक से अलग होकर स्वतंत्र बांग्लादेश बना. 16 दिसंबर 1971 तक चले युद्ध का जो इतिहास लिखा गया, इसकी शुरुआत 1947 में तब हुई, जब पाकिस्तान भारत से अलग हुआ. 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान धर्म के आधार पर अलग हुआ, जिसके दो हिस्से बने—एक पूर्वी पाकिस्तान और दूसरा पश्चिमी पाकिस्तान. पूर्वी पाकिस्तान में कुल 56 फीसदी आबादी रहती थी, और इनकी भाषा बांग्ला थी. वहीं पश्चिमी पाकिस्तान में पंजाबी, सिंधी, बलूची और पश्तो जैसी भाषाएं बोली जाती थीं.
क्या थी वजह?
पश्चिमी पाकिस्तान के नेताओं को पूर्वी पाक में बांग्ला बोलने वाले लोगों से परेशानी थी. बांग्ला के बारे में उनकी सोच थी कि इस पर हिंदुओं का प्रभाव है. हालात ये थे कि बांग्ला को राष्ट्रीय भाषा मानने से इनकार कर दिया गया और इस भाषा में किसी भी तरह के सरकारी कामकाज पर रोक लगा दी गई. यहीं से पूर्व पाकिस्तान में विद्रोह की भावना का जागरण हुआ.
1965 में कमुजीबुर रहमान ने खुलकर पश्चिमी पाकिस्तान के सामने अपनी मांगों को रखा, जिसके बाद उन्हें 1968 में अगरतला षड्यंत्र के तहत भारत के साथ मिलकर पाकिस्तान को तोड़ने के आरोप में फंसाया गया. इसके बाद 1970 में बड़ा राजनीतिक खेल शुरू हुआ.
धीरे-धीरे हालात खराब होते गए और अलग-अलग जगहों पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया. 25 मार्च 1971 को पाकिस्तानी सेना ने दमनकारी अभियान चलाना शुरू किया, जिसमें भारी तादाद में लोगों ने खुद को बचाने के लिए भारत में शरण ली थी. बांग्लादेश ने 1971 में मुक्ति संग्राम के तहत पाकिस्तान से स्वाधीनता हासिल की थी. 25 मार्च से लेकर 16 दिसंबर 1971 तक बांग्लादेश में पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा नरसंहार किया गया.
भारत-पाकिस्तान युद्ध 1971 Indo Pak War 1971
इसके बाद भारत ने 4 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया, जो 16 दिसंबर को खत्म हुआ. इस युद्ध में भारत की बड़ी जीत हुई और पाकिस्तान के करीब 82 हजार सैनिकों को भारत ने बंदी बना लिया. इसके अलावा करीब 11 हजार नागरिक भी भारत की चपेट में आए.
1974 में पाकिस्तान ने मजबूरी में बांग्लादेश को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी, जिसके बाद इन 195 लोगों के खिलाफ दायर मामले को खत्म कर वापस उनके देश भेज दिया.
बहादुरों को श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सहित भाजपा नेताओं ने युद्ध के दौरान ड्यूटी पर अपनी जान गंवाने वाले बहादुरों को श्रद्धांजलि दी.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "विजय दिवस के अवसर पर मैं भारत माता के वीर सपूतों को सादर नमन करती हूं. उनके साहस, पराक्रम और मातृभूमि के लिए अनन्य निष्ठा ने राष्ट्र को सदा गौरवान्वित किया है. उनकी वीरता और राष्ट्रप्रेम देशवासियों को प्रेरित करते रहेंगे. भारतीय सेना की 'स्वदेशीकरण से सशक्तीकरण' की पहल भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है."
उन्होंने आगे लिखा कि ऑपरेशन सिंदूर में सेना ने आत्मनिर्भरता, सामरिक दृढ़ता और आधुनिक युद्ध शैली के प्रभावी उपयोग का परिचय दिया है जो पूरे राष्ट्र के लिए प्रेरणास्रोत है. मैं सभी सैनिकों और उनके परिवारों को शुभकामनाएं देती हूं. जय हिन्द!
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर 'एक्स' पर लिखा, "वर्ष 1971 में आज ही के दिन सुरक्षाबलों ने अदम्य साहस और सटीक रणनीति के बल पर पाकिस्तानी सेना को परास्त कर उसे आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया था. इस विजय ने अन्याय और अत्याचार के खिलाफ ढाल बन, विश्वभर में मानवता की रक्षा का आदर्श उदाहरण पेश किया और भारतीय सेनाओं की अद्वितीय सैन्य क्षमता और पराक्रम का लोहा मनवाया. विजय दिवस पर, युद्ध में अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर शहीदों को नमन करता हूं."
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