Veer Bal Diwas 2025: वीर बाल दिवस पर जानिए गुरु गोविंद सिंह के साहबजादे का बलिदान? इस बार इनको पुरस्कार

Veer Bal Diwas 2025: वीर बाल दिवस 26 दिसंबर को मनाया जाता है, जो सिख इतिहास से जुड़ा एक महत्वपूर्ण दिन है. 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाने का मुख्य कारण सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों जोरावर सिंह और उनके छोटे भाई पांच साल के बाबा फतेह सिंह की वीरता को सम्मानित करना है. यह निर्णय भारत सरकार ने लिया है.

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Veer Bal Diwas 2025: वीर बाल दिवस पर जानिए गुरु गोविंद सिंह के साहबजादे का बलिदान? इस बार इनको पुरस्कार

Veer Bal Diwas 2025: शुक्रवार 26 दिसंबर को राष्ट्रीय स्तर पर वीर बाल दिवस (Veer Bal Diwas) मनाया जाएगा. इस दिन विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धियां हासिल करने वाले बच्चों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे. ये पुरस्कार भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा नई दिल्ली में आयोजित एक विशेष समारोह में प्रदान किए जाएंगे.  इस दिन सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने धर्म की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया. परिवार की शहादत को सब नमन करते हैं. उनके दो छोटे साहिबजादों ने निरंकुश शासक के आगे झुकने से इनकार कर दिया और डट कर आततायी का सामना किया. उन नन्हें साहिबजादों को श्रद्धा से याद करने का दिन है 26 दिसंबर. इस बार पहली बार महान वीर गाथा की महत्ता बताने के लिए भारत के वीर बच्चों को सम्मानित किया जाएगा. इस दिवस को सिख समुदाय में बड़े उत्साह से मनाया जाता है. यह दिन न केवल सिख धर्म के अनुयायियों के लिए बल्कि सभी भारतीयों के लिए प्रेरणादायक है. साहिबजादों की वीरता और बलिदान को याद करते हुए इस दिन विशेष कार्यक्रम और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.

क्या है इतिहास? (Veer Bal Diwas History)

26 दिसंबर को 1705 में इन महान सपूतों को धर्म नहीं बदलने पर मुगल सेनापति वजीर खान ने उन्हें जिंदा दीवार में चुनवा दिया था. 26 दिसंबर को सरहिंद के नवाज वजीर खान ने जोरावर सिंह और फतेह सिंह को खुले आसमान के नीचे कैद कर दिया. वजीर खान ने दोनों छोटे साहिबजादों को धर्म परिवर्तन के लिए कहा लेकिन दोनों साहिबजादों ने 'जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल' के जयकारे लगाते हुए धर्म परिवर्तन करने से इनकार कर दिया. वजीर खान ने दोनों साहिबजादों को धमकाते हुए कहा कि कल तक या तो धर्म परिवर्तन करो या मरने के लिए तैयार रहो.

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दोनों साहिबजादों को बेहद प्यार से तैयार करके दोबारा से वजीर खान की कचहरी में भेजा. यहां फिर वजीर खान ने उन्हें धर्म परिवर्तन करने को कहा लेकिन छोटे साहिबजादों ने मना कर दिया और फिर से जयकारे लगाने लगे. यह सुन वजीर खान ने गुस्सा में आकर दोनों साहिबजादों को जिंदा दीवार में चुनवा दिया. उनको नमन करने के लिए ही सिख समुदाय ने वीर बाल सप्ताह मनाना शुरू किया उसमें से भी 26 दिसंबर का दिन शहादत को समर्पित है.

वीर बाल दिवस 26 दिसंबर को मनाया जाता है, जो सिख इतिहास से जुड़ा एक महत्वपूर्ण दिन है. 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाने का मुख्य कारण सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों जोरावर सिंह और उनके छोटे भाई पांच साल के बाबा फतेह सिंह की वीरता को सम्मानित करना है. यह निर्णय भारत सरकार ने लिया है. इसका उद्देश्य देश के युवा और बच्चों को उनके उत्कृष्ट योगदान और कार्यों के लिए सम्मानित करना है.

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इनको मिलेगा पुरस्कार

केंद्र सरकार के अनुसार ये पुरस्कार वीरता, कला एवं संस्कृति, पर्यावरण, सामाजिक सेवा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा खेल क्षेत्रों में असाधारण उत्कृष्टता के लिए प्रदान किए जाते हैं. वीर बाल दिवस के इस राष्ट्रीय आयोजन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उपस्थित रहेंगे. प्रधानमंत्री इस मौके पर बच्चों और युवाओं को संबोधित करेंगे तथा राष्ट्र निर्माण में युवा नागरिकों की भूमिका को रेखांकित करेंगे. इस कार्यक्रम के माध्यम से भारत के युवा वीरों के साहस, बलिदान और अनुकरणीय मूल्यों को स्मरण किया जाएगा. 

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार भारत सरकार द्वारा प्रतिवर्ष बच्चों को प्रदान किया जाने वाला एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सम्मान है. वर्ष 2025 में 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 20 बच्चों का इस सम्मान के लिए चयन किया गया है. भारत सरकार का महिला एवं बाल विकास मंत्रालय यह कार्यक्रम आयोजित करेगा. यहां वीरता, दृढ़ता और निस्वार्थ सेवा की प्रेरक कहानियों को प्रस्तुत किया जाएगा जिससे बच्चों और युवाओं को प्रेरणा मिलेगी. विकसित भारत 2047 के अनुरूप सशक्त और जिम्मेदार नागरिकों के निर्माण के प्रति भारत सरकार की प्रतिबद्धता को भी दोहराया जाएगा. 

इस कार्यक्रम में देशभर से स्कूली बच्चे, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार प्राप्तकर्ता तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भाग लेंगे. भारत की समृद्ध सभ्यतागत विरासत और वीरता की भावना को प्रदर्शित करने वाली सांस्कृतिक प्रस्तुतियां समारोह का प्रमुख हिस्सा होंगी. गौरतलब है कि स्कूली छात्रों से लेकर युवाओं तक सभी को मार्गदर्शन व प्रेरित करने के लिए कई विशेष योजनाएं चलाई जा रही हैं. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत संचालित ऐसी ही एक योजना पीएम-युवा 3.0 है, जिसके परिणाम घोषित कर दिए गए हैं. 

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प्रधानमंत्री युवा लेखकों के मार्गदर्शन हेतु योजना लेखन से जुड़ी महत्वपूर्ण पहल है. एनबीटी-इंडिया की वेबसाइट पर यह नतीजे प्रकाशित किए गए हैं. यह योजना राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप है. राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के मुताबिक इस संस्करण के अंतर्गत 30 वर्ष से कम आयु के 43 युवा लेखकों के पुस्तक प्रस्ताव अखिल भारतीय प्रतियोगिता के माध्यम से चयनित किए गए हैं. ये प्रस्ताव भारत की 22 आधिकारिक भाषाओं और अंग्रेजी में प्राप्त हुए हैं. 

इन भाषाओं में डोगरी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, असमिया, बांग्ला, बोडो, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, मैथिली, ओड़िया, पंजाबी, संताली, सिंधी, तमिल, तेलुगु, संस्कृत और उर्दू शामिल हैं. इतनी व्यापक भाषायी भागीदारी देशभर में समावेशी साहित्यिक विकास को बढ़ावा देने की योजना के उद्देश्य को और सुदृढ़ करती है. न्यास का कहना है कि चयनित 43 लेखकों में 19 महिलाएं और 24 पुरुष हैं. इन चयनित पुस्तक प्रस्तावों को छह माह के भीतर प्रतिष्ठित विद्वानों के मार्गदर्शन में पुस्तकों का रूप दिया जाएगा. प्रत्येक चयनित लेखक को 50,000 रुपए प्रतिमाह की छात्रवृत्ति तथा प्रकाशित पुस्तक पर आजीवन 10 प्रतिशत रॉयल्टी भी प्रदान की जाएगी.

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