Vat savitri Puja vidhi: वट सावित्री का व्रत हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण होता है. इस बार वट सावित्री 06 जून, गुरुवार को है. आपको बता दें कि ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को निर्जला व्रत रखने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस व्रत को सौभाग्यवती स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना के लिए रखती हैं.
वहीं कुंवारी लड़कियां सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को करती हैं. कहा जाता है कि जो सुहागिन महिलाएं इस व्रत को विधि-विधान से और सच्चे मन से रखती है. उन्हें अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान मिलता है. आइए जानते हैं वट सावित्री व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त (Vat savitri puja vidhi) के बारे में, जिसकी जानकारी पंडित दुर्गेश ने दी है.
वट सावित्री शुभ मुहूर्त (Vat Savitri Shubh Muhurt)
वट सावित्री व्रत गुरुवार, 06 जून को सूर्योदय के बाद से शाम 05 बजकर 34 मिनट तक रखा जाएगा. धृति नाम का योग पूरे दिन प्राप्त होगा. पूजा के लिए शुभ मुहूर्त गुरुवार को सुबह 11 बजकर 52 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक होगा. सूर्योदय के बाद से दिन में 01 बजकर 30 मिनट से दोपहर 03 बजे तक का समय छोड़कर पूरे दिन पूजा की जा सकती है.
वट सावित्री व्रत करने की पूजा विधि भी जान लीजिए (Vat Savitri Puja Vidhi)
- वट सावित्री व्रत वाले दिन सुहागिन महिलाएं सुबह उठकर स्नान करें.
- स्नान आदि के बाद इस व्रत का संकल्प लें और 16 श्रृंगार करें.
- इस दिन पीला सिंदूर विशेष रूप से लगाना चाहिए.
- इस दिन बरगद के पेड़ के नीचे सावित्री-सत्यवान और यमराज की मूर्ति रखें.
- बरगद के पेड़ में जल डालकर उसमें पुष्प-अक्षत फूल और मिठाई का भोग लगाएं.
- वृक्ष में रक्षा सूत्र बांधकर आशीर्वाद मांगें.
- वट वृक्ष में कच्चा धागा लपेटकर 7 बार परिक्रमा करें.
- बाद में हाथ में काले चने को लेकर अगले दिन व्रत को तोड़ने से पहले बरगद के वृक्ष का कोपल खाकर उपवास समाप्त करें.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष व लोक मान्यताओं पर आधारित है. इस खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता के लिए NDTV किसी भी तरह की ज़िम्मेदारी या दावा नहीं करता है.)