Shardiya Navratri 2025: नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा के किस स्वरूप की आराधना से मिलते हैं मनोवांछित फल? जानें आपके सारे सवालों के जवाब

Shardiya Navratri 2025 Vrat: शारदीय नवरात्रि 2025 की प्रतिपदा 22 सितंबर, 2025 की रात 1:23 बजे से प्रारंभ हो रही है, जो 23 अक्टूबर की आधी रात 2:54 बजे तक रहेगी. यानी व्रतियों के लिए शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा सोमवार, 2 सितंबर 2025 के दिन ही प्रारंभ होगा,समापन 1 अक्टूबर, 2025 को होगा.

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SHARDIYA NAVRATRI 2025: NINA DURGA NINE PUJA VIDHAN, WHICH FORM OF NAVDURGA GOOD FOR YOU

Shardiya Navratri 2025: मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना का दिन यानी नवरात्रि प्रतिपदा आज से शुरू हो रहा है. इस वर्ष शारदीय नवरात्रि अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि सोमवार से आरंभ हो रही है. शारदीय नवरात्रि के प्रतिपदा के दिन व्रती घट स्थापना करते हैं और पहले दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की आराधना करते हैं.

आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाले शारदीय नवरात्रि के नौवों दिन मां दुर्गा के कुल 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है. मां दुर्गा के प्रत्येक स्वरूपों के पूजा विधान अलग- अलग हैं. 9 दुर्गाओं के अलग-अगल स्वरूपों की आराधना से व्रतियों को भिन्न-भिन्न लाभ और मनोकामनाएं पूरी होती है.

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गौरतलब है साल 20245का शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर, 2025 से शुरू हो रही है, जबकि समापन 1 अक्टूबर, 2025 को होगा. इसके अगले दिन 2 अक्टूबर, 2025 को विजयदशमी मनाई जाएगी. भक्त नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करते हैं और उपवास रखते हैं और नौवें दिन कन्या पूजन करते हैं.

शारदीय नवरात्रि प्रतिपदा (प्रथम) 22 सितबर- माता शैलपुत्री की पूजा विधि और लाभ

नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम रूप मां शैलपुत्री की पूजा होती है. चूंकि शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा गुरुवार को पड़ रहा है, इसलिए व्रती को पीले रंग के वस्त्र धारणकर मां शैलपुत्री की की पूजा करना चाहिए.मां शैलपुत्री प्रसन्नता की प्रतीक है.प्रतिपदा के दिन विधान से मां शैलपुत्री की आराधना से व्रती के घर में सुख-समृद्धि आती है.जिन लोगों का विवाह नहीं हो पा रहा है या विवाह में परेशानियां आ रही हैं, उन्हें मां शैलपुत्री की पूजा से विशेष लाभ मिलता है.

शारदीय नवरात्रि द्वितीया 23 अक्टूबर- माता ब्रहमचारिणी की पूजा विधि और लाभ

नवरात्रि का दूसरे दिन यानी द्वितीया 23 सितंबर को मां दुर्गा के दूसरे दिव्य रूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. इस दिन व्रती को हरे रंग के वस्त्र मां ब्रहमचारिणी की पूजा विधान से करनी चाहिए. मान्यता है कि शुक्रवार को हरे रंग के कपड़े पहनकर देवी मां की पूजा जीवन में एक नई शुभ शुरुआत कर सकता है.मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से ज्ञान, सदाचार, लगन, एकाग्रता, और संयम की शक्ति मिलती है और जीवन में संयम, बल, सात्विक, और आत्मविश्वास की वृद्धि होती है. 

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शारदीय नवरात्रि 2025 की प्रतिपदा 22 सितंबर, 2025 की रात 1:23 बजे से प्रारंभ हो रही है, जो 23 अक्टूबर की आधी रात 2:54 बजे तक रहेगी. यानी व्रतियों के लिए शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा सोमवार, 2 सितंबर 2025 के दिन ही प्रारंभ होगा,समापन 1 अक्टूबर, 2025 को होगा.

शारदीय नवरात्रि तृतीया 24 सितंबर- माता चंद्रघंटा की पूजा विधि और लाभ

नवरात्रि के तीसरे दिन यानी बुधवार 24 सितंबर को मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की आराधना की जाती है. व्रती मां चंद्रघंटा की आराधना स्लेटी रंग के कपड़े पहन कर करने चाहिए. मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्त की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं.उसे ऐश्वर्य और समृद्धि के साथ सुखी दाम्पत्य जीवन की भी प्राप्ति होती है.मां प्रसन्न होकर सभी कष्टों को हर लेती हैं. मां चंद्रघंटा की आराधना से व्यक्ति में बौद्धिक क्षमता का विकास होता है और स्वयं पर विश्वास आता है. 

शारदीय नवरात्रि चतुर्थी 25-26 सितंबर- माता कुष्मांडा की पूजा विधि और लाभ

इस बार शारदीय नवरात्रि की चतुर्थी दो दिन यानी 25 और 26 सितंबर दिन है. चतुर्थी पर देवी दुर्गा के चौथे दिव्य रूप मां कुष्माण्डा की पूजा की जाती है. व्रती को मां कुष्मांडा की पूजा नारंगी रंग के वस्त्र धारण कर करना चाहिए. इससे जीवन में स्फूर्ति और उल्लास बढ़ता है. मां कुष्मांडा की पूजा करने से रोग-शोक दूर होते हैं और आयु और यश बढ़ता है. इनकी पूजा करने से संकटों से मुक्ति मिलती है. प्रसिद्धि पाने की इच्छा रखने वाले को मां कुष्मांडा की पूजा करनी चाहिए. 

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साल 2025 में शारदीय नवरात्रि 10 दिनों की होगी, क्योंकि चतुर्थी तिथि 25 और 26 सितंबर को है. 26 सितंबर को सूर्योदय के बाद सुबह 6:48 बजे तक चतुर्थी रहेगी, इसलिए उदयातिथि में 26 को चतुर्थी का ही मान होगा. इसके बाद पंचमी तिथि 27 सितंबर को सुबह 8:46 बजे तक रहेगी, इसलिए उदयातिथि में पंचमी का पूजन 27 सितंबर को ही होगा.

शारदीय नवरात्रि पंचमी 27 सितंबर- मां स्कंदमाता की पूजा विधि और लाभ

नवरात्रि के पांचवे दिन यानी शनिवार 27 सितंबर को मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है.मां स्कंदमाता की कृपा पाने के लिए व्रती को उनकी आराधना सफेद वस्त्र धारण करके करना चाहिए. मां स्कंदमाता की पूजा करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है.भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती है और सुख-सौभाग्य प्राप्त होता है.भक्त को परम शांति और सुख का अनुभव होता है और निःसंतानों की सूनी गोद जल्द भर जाती है.

शारदीय नवरात्रि षष्ठी 28 सितंबर- मां कात्यायिनी की पूजा विधि और लाभ

नवरात्रि के छठे दिन रविवार 28 सितंबर को मां दुर्गा के छठे दिव्य स्वरूप मां कात्यायिनी की पूजा का जाती है. मां कात्यायिनी की पूजा व्रती को लाल रंग के वस्त्र पहन करना चाहिए. भक्त को लाल चुनरी मां को अर्पित करना चाहिए. मां कात्यायनी की पूजा करने से व्रती के विवाह में अड़चनें दूर होती हैं. गुरु ग्रह की स्थिति मज़बूत होती है, इससे शत्रुओं का भय दूर होता है. सेहत संबंधी परेशानियां दूर होती हैं. सच्चे साधक को अलौकिक तेज और प्रभाव की प्राप्ति होती है.

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शारदीय नवरात्रि सप्तमी 29 सितंबर- मां कात्यायिनी की पूजा विधि और लाभ

नवरात्रि के सातवें दिन यानी सोमवार 29 सितंबर को मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की आराधना की जाती है. मां कालरात्रि की पूजा व्रती को गहरे नीले के कपड़े पहन करने चाहिए, इससे भक्त को अतुलनीय आनन्द की अनुभूति होती है.मां कालरात्रि की पूजा करने से सभी तरह के संकटों से मुक्ति मिलती है.मां की कृपा से बुरी शक्तियों का प्रभाव खत्म हो जाता है. तनाव और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता और जीवन में सुख-शांति आती है.

शारदीय नवरात्रि अष्टमी 30 सितंबर- मां महागौरी की पूजा विधि और लाभ

नवरात्रि के 8वें दिन यानी मंगलवार 30 सितंबर को मां महागौरी की आराधना की जाती है. व्रती मां महागौरी की पूजा गुलाबी रंग के वस्त्र धारण कर पूजा करने से व्यक्तित्व में आकर्षण पैदा होता है और घर की सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है.मां महागौरी की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं. मां महागौरी की पूजा करने से रोग-व्याधि दूर होते हैं.व्रती के सुहाग की रक्षा होती है. मां महागौरी की पूजा करने से सभी ग्रह दोष दूर होते हैं

शारदीय नवरात्रि नवमी 1अक्टूबर- मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि और लाभ

नवरात्रि के नवें और अंतिम दिन मां दुर्गा एक दिव्य स्वरूप मां सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है. मां सिद्धिदात्री की पूजा व्रती को बैंगनी रंग से करने पर देवी मां की कृपया से जीवन में भव्यता और राजसी ठाट-बाट में बढ़ोतरी होती है. मां सिद्धिदात्री की पूजा से अष्टसिद्धि की प्राप्ति होती है. जीवन में किसी भी तरह का कष्ट नहीं रहता, सभी काम समय पर पूरे होते हैं.जीवन में आने वाली सभी बलाएं टल जाती हैं

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