Sankashti Chaturthi: विघ्न बाधा होगी खत्म! संकष्टी चतुर्थी पर गजानन को ऐसे करें प्रसन्न, जानिए पूजा विधि

Sankashti Chaturthi 2025: हिंदू धर्म में हर माह की चतुर्थी तिथि पर संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. यह दिन भगवान शंकर और माता पार्वती के पुत्र गणपति को समर्पित है. आषाढ़ मास की चतुर्थी का भी विशेष महत्व है. धर्म शास्त्रों के अनुसार संकष्टी चतुर्थी संकटों को हरने वाला है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
Sankashti Chaturthi: संकष्टी चतुर्थी पर गजानन की ऐसे करें प्रसन्न, जानिए पूजा विधि

Sankashti Chaturthi 2025: प्रणम्य शिरसा देवं गौरी पुत्र विनायकं... भूत और गण आदि के देव और उमा के पुत्र भक्तों के शोक का न केवल नाश करते हैं बल्कि विघ्न बाधा को भी खत्म करते हैं. बाबा विश्वनाथ के दिए वरदान के अनुसार जो कोई भी सर्वप्रथम गजानन की पूजा करता है, उसे किसी तरह की समस्याओं या बाधाओं का सामना नहीं करना पड़ता. 14 जून को ‘संकष्टी चतुर्थी' है. गौरी पुत्र को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजन और पाठ का महात्म्य है. हिंदू धर्म में हर माह की चतुर्थी तिथि पर संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. यह दिन भगवान शंकर और माता पार्वती के पुत्र गणपति को समर्पित है. आषाढ़ मास की चतुर्थी का भी विशेष महत्व है. धर्म शास्त्रों के अनुसार संकष्टी चतुर्थी संकटों को हरने वाला है.

संकष्टी चतुर्थी मुहूर्त और तिथि

दृग पंचांग के अनुसार, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 14 जून को दोपहर 3 बजकर 46 मिनट पर शुरू होकर 15 जून को दोपहर 3 बजकर 51 मिनट तक रहेगी.

Advertisement
काशी के ज्योतिषाचार्य और धर्मशास्त्र के जानकार पंडित विनय त्रिपाठी बताते हैं कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत कई समस्याओं का निवारण करता है. इस बार चतुर्थी तिथि 14 जून को है और इस दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और ब्रह्म योग का भी संयोग बन रहा है.

ऐसे में गणेश संकट नाशक स्त्रोत, गणेश चालीसा का पाठ करने के साथ ही दूब, मोदक, सिंदूर आदि चढ़ाने से भी भगवान की कृपा मिलती है. उन्होंने गणपति का पूजन कैसे करें, इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी.

Advertisement

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि

पंडित विनय त्रिपाठी ने बताया, “सर्वप्रथम गणपति को पंचामृत (जल, घी, दही, दूध, शहद) जल या गंगाजल से स्नान करवाना चाहिए. इसके बाद देसी घी और सिंदूर का उनके शरीर पर लेप करना चाहिए. इसके बाद क्रमश: रोली, मौली, अक्षत, इत्र, जनेऊ, अबीर-बुक्का चढ़ाने के साथ पान, सुपाड़ी, लौंग, इलाइची आदि भी चढ़ाना चाहिए. इसके साथ ही गेंदा या गुड़हल की माला के साथ 3, 11 या 21 दूब भी गजानन को चढ़ाना चाहिए.

Advertisement

इसके बाद घी का दीपक प्रज्वलित कर मोदक, केला, हलवा आदि का भगवान को भोग लगाना चाहिए और संकट नाशक स्त्रोत के साथ-साथ अन्य श्लोक का पाठ करना चाहिए.

नारद पुराण में वर्णित संकष्ट मंत्र का भी पाठ करना चाहिए. जो इस प्रकार है- प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्. भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायुःकामार्थसिद्धये. प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम्. तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम्. लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च. सप्तमं विघ्नराजं च धूम्रवर्णं तथाष्टमम्. नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम्. एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम्. द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः. न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो.

इसके अलावा, पूजा के दौरान गणपते नम: का भी निरंतर पाठ करना चाहिए.

यह भी पढ़ें : Jagannath Rath Yatra 2025 : 27 जून से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा; यहां जानिए महत्व और पौराणिक मान्यताएं

यह भी पढ़ें : Ganesh Puja: गणपति जी को खुश करने के लिए चढ़ाएं ये ख़ास फूल, पूरी होगी हर मन्नत

यह भी पढ़ें : Ganesh Chaturthi 2024: यहां अर्जी वाले गणेश जी पूरी करते हैं हर मनोकामना, श्रद्धालुओं का लगता है तांता

यह भी पढ़ें : Ladli Behna Yojana 25th Installment: आज नहीं आएगी लाडली बहना योजना की किस्त, CM मोहन यादव ने रद्द किया प्रोग्राम, जानें वजह