Sakat Chauth: आज सकट चौथ, जानें गणेशजी की पूजा विधि, कथा से लेकर सबकुछ 

Sakat Chauth Vrat Katha: आज 17 जनवरी को सकट चौथ मनाई जा रही है.इस दिन भगवान गणेशजी और चंद्र देव की पूजा का विशेष महत्व है.आइए जानते हैं इससे जुड़ी संपूर्ण जानकारी.

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Sakat Chauth 2025: हिन्दू धर्म में कई सारे तीज त्योहार हैं.इनमें से एक सकट चौथ का भी पावन पर्व है. इस साल सकट चौथ आज 17 जनवरी को मनाई जा रही है.आज भगवान गणेशजी की पूजा अर्चना की जाएगी. शाम को चंद्र को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाएगा. ये व्रत संतान प्राप्ति, संतान की दीर्घायु के लिए रखा जाता है. 

सकट चौथ को तिल चौथ के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान गणेश और चंद्र देव की पूजा का विशेष महत्व है. सकट चौथ का व्रत भगवान गणेश को समर्पित है और इसे सच्चे मन से करने पर संतान सुख और कष्टों से मुक्ति का वरदान मिलता है. व्रत के साथ सकट चौथ की कथा सुनना भी बहुत जरूरी माना जाता है. पूरे दिन गणेशजी के मंत्रों का जाप जरुर करें. 

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सकट चौथ की पूजा विधि 

पंडित जीसी शर्मा ने बताया कि इस पर्व का बेहद ख़ास महत्व है. पूजा स्थल को शुद्ध करें और भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र को एक साफ स्थान पर स्थापित करें. भगवान गणेश को शमी पत्र , दुर्वा, फूल, ,चंदन अर्पित करें। पूजा के दौरान दीपक दीपक जलाएं और भगवान गणेश के मंत्र “ॐ गं गणपतये नमः” का जाप करें. पूजा के बाद गणेश आरती करें और तिल व गुड़ से बने प्रसाद का भोग लगाएं. शाम के वक़्त सकट चौथ व्रत कथा का पाठ अवश्य करें.

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भगवान गणेश जी से संतान प्राप्ति, संतान के दीर्घायु , सुख-समृद्धि की प्रार्थना  करें. इस चौथ के दिन तिल से बने लड्डू का ख़ास महत्व है. भगवान् गणेशजी को तिल से बने लड्डू अर्पित करें. पूजा के दौरान संध्या के समय चंद्रमा को देखकर जल से अर्घ्य अर्पित करें चंद्र दर्शन के बाद व्रत का पारण करें और प्रसाद ग्रहण करें.

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सकट चौथ व्रत कथा 

कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव ने कार्तिकेय और गणेशजी से पूछा कि कौन देवताओं के कष्ट दूर कर सकता है. इस पर दोनों ने स्वयं को इस कार्य के लिए योग्य बताया.शिवजी ने कहा कि जो पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके लौटेगा, वही यह कार्य करेगा. कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर सवार होकर परिक्रमा के लिए निकल गए. इस दौरान गणेशजी ने विचार किया कि उनका वाहन चूहा है, जो पूरे पृथ्वी की परिक्रमा करने में अधिक समय लेगा. तब उन्होंने एक उपाय सोचा और अपने माता-पिता शिव और पार्वती की सात बार परिक्रमा करके वापस बैठ गए. जब कार्तिकेय लौटे, तो उन्होंने स्वयं को विजयी बताया.

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भगवान शिव ने गणेशजी से पूछा कि उन्होंने पृथ्वी की परिक्रमा क्यों नहीं की. गणेशजी ने उत्तर दिया कि माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक विद्यमान हैं. उनके उत्तर से शिवजी प्रसन्न हुए और उन्हें देवताओं के कष्टों का निवारण करने का आशीर्वाद दिया. साथ ही, यह भी कहा कि जो व्यक्ति चतुर्थी के दिन श्रद्धा से उनकी पूजा करेगा और चंद्रमा को अर्घ्य देगा, उसके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे. सकट चौथ व्रत का यह पर्व आस्था, संतान के कल्याण और भगवान गणेश की कृपा पाने का प्रतीक है.  

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