Mangla Gauri Vrat: सावन में कब-कब पड़ रहा है मंगला गौरी व्रत, जानिए पूजा विधि और महत्व

सावन का मंगलवार माता पार्वती (Mata Parvati) को समर्पित होता है. इस दिन सुहागिने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए व्रत रखती हैं. जिसे मंगला गौरी व्रत कहा जाता है. आइए जानते हैं, सावन में मंगला गौरी व्रत किस-किस दिन पड़ रहा है और इस व्रत का महत्व क्या है?

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Mangala Gauri Vrat: हिन्दू धर्म में हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है. जिस तरह सोमवार का दिन भोलेनाथ के लिए समर्पित होता है और मंगलवार का दिन हनुमान जी के लिए, उसी तरह सावन के मंगलवार का महत्व विशेष होता है. सावन में जहां सोमवार शिव जी (Shiv ji) को समर्पित होता है. वहीं मंगलवार माता पार्वती (Mata Parvati) को समर्पित होता है. इस दिन सुहागिनें पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए व्रत रखती हैं. जिसे मंगला गौरी व्रत कहा जाता है. आइए जानते हैं, सावन में मंगला गौरी व्रत किस-किस दिन पड़ रहा है और इस व्रत का महत्व क्या है?

किस दिन होगा मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat)

पहला मंगला गौरी व्रत 23 जुलाई 2024 को है. वहीं दूसरा मंगला गौरी व्रत 30 जुलाई 2024, तीसरा मंगला गौरी व्रत 6 अगस्त 2024 को और चौथा और आखिरी मंगला गौरी व्रत 13 अगस्त 2024 को है.

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मंगला गौरी व्रत का ये है महत्व (Importance of Mangala Gauri Vrat)

मंगला गौरी व्रत के दिन कुछ विशेष उपाय करने से व्यक्ति की कुंडली में मौजूद मंगल दोष से मुक्ति मिल सकती है. नई नवेली दुल्हने भी आदर और आत्मीयता से इस व्रत को रखती हैं और शिव-गौरी और हनुमान जी की पूजा अर्चना करती हैं. कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से पति-पत्नी के बीच के रिश्ते मधुर होते हैं. इसके अलावा बहुत सारी महिलाएं संतान सुख की प्राप्ति के लिए भी इस व्रत को रखती हैं.

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मंगला गौरी व्रत की पूजा व्रत विधि

  • मंगलवार को सुबह जल्दी उठकर नहाएं और भगवान शिव पार्वती की पूजा करें,
  • इसके बाद व्रत करने का संकल्प लें और मंगला गौरी यानी पार्वती जी की मूर्ति स्थापित करें. इस बात का ध्यान रखें मूर्ति को लाल कपड़े पर रखना चाहिए,
  • मां गौरी की पूजा करने के बाद फूल, माला, लौंग, सुपाड़ी, इलाइची, फल, पान, लड्डू, सुहाग की सामग्रियां सोलह चूड़ियां और मिठाई चढ़ाएं,
  • पूजा में चढ़ाई गई ये सभी सोलह शृंगार की चीजों की संख्या 16 होती है.
  • कहा जाता है कि जो महिलाएं इस व्रत को रखती हैं, उन्हें अखंड सौभाग्य का वरदान भी प्राप्त होता है.

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Disclaimer: (यहां दी गई जानकारी ज्योतिष व लोक मान्यताओं पर आधारित है. इस खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता के लिए NDTV किसी भी तरह की ज़िम्मेदारी या दावा नहीं करता है.)

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