Mahatma Jyotiba Phule Punyatithi: 28 नवंबर, 1890 को भारत ने अपने एक महान समाज सुधारक, ज्योतिबा फुले को खो दिया. लेकिन उनका नाम और उनके विचार आज भी हर समाज सुधारक और जागरूक व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं. फुले सिर्फ एक विचारक नहीं थे, बल्कि वे अपने समय के उन सबसे बड़े क्रांतिकारियों में से एक थे, जिन्होंने जातिगत भेदभाव, छुआछूत और महिलाओं के खिलाफ असमानता जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई. ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई ने मिलकर 1848 में भारत में लड़कियों की पहली स्कूल खोली. उस वक्त, जब समाज महिलाओं की पढ़ाई को जंजीरों में बांधना चाहता था, फुले ने शिक्षा को समाज के हर वंचित वर्ग तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया. यही नहीं, उन्होंने सत्यशोधक समाज की स्थापना की, जिसमें उन्होंने सभी जातियों और धर्मों के लोगों के लिए समानता, स्वतंत्रता और न्याय की आवाज बुलंद की. उनके विचारों ने भारतीय समाज में परिवर्तन की नींव रखी.
फुले का जीवन ऐसा था
फुले का जीवन आसान नहीं था. समाज के रूढ़िवादी लोग उन पर ताने मारते, गाली-गलौज करते और कभी-कभी गोबर फेंककर उन्हें रोकने की कोशिश करते. लेकिन फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई ने कभी पीछे नहीं हटे. उनके काम से डरकर कुछ लोगों ने उन्हें मारने की साजिश भी रची. धनंजय कीर द्वारा लिखित महात्मा फुले की बायोग्राफी में इसी तरह की एक घटना का जिक्र है.
उनकी बात सुनकर हत्यारे चकित रह गए. उन्होंने माफी मांगी और फुले के विचारों से प्रेरित होकर उनके अनुयायी बन गए. इस छोटी सी घटना में ही फुले के जीवन का सार दिखता है. वे केवल शब्द नहीं बोलते थे, बल्कि अपने विचारों को जीवन में जीते थे.
फुले की सोच केवल समाज सुधार तक सीमित नहीं थी. वे दूरदर्शी कृषि विशेषज्ञ और मानवतावादी विचारक भी थे. 132 साल बाद भी, फुले के विचार आज भी लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं. ज्योतिबा फुले का नाम सिर्फ इतिहास के पन्नों में नहीं, बल्कि हर उस इंसान के दिल में जीवित है जो समानता, शिक्षा और न्याय में विश्वास रखता है.
यह भी पढ़ें : Savitribai Phule Jayanti 2025: स्त्रियां सिर्फ रसोई व खेत... सावित्रीबाई फुले जयंती पर जानिए उनका जीवन
यह भी पढ़ें : Success Story: संजू देवी बनीं विश्व कप की मोस्ट वेल्युबल प्लेयर; जानिए कबड्डी विश्व कप में भारत का खिताबी सफर
यह भी पढ़ें : DGP-IGP Conference: 60वें डीजीपी-आईजी कॉन्फ्रेंस में पदक प्रदान करेंगे PM, बनेगा सुरक्षित भारत का रोडमैप
यह भी पढ़ें : Vishwarang 2025: भोपाल में विश्वरंग का आगाज; अंतरराष्ट्रीय साहित्य व कला महोत्सव 40 देशों के प्रतिनिधि होंगे