Holi 2025: रंगों के पर्व होली को देश में दिए गए कई नाम, जानें कहां कैसी है रंगोत्सव की कहानी?

Holi 2025: होली सामाजिक समरसता का प्रतीक है. सब एक ही रंग में रंगे होते हैं। क्या उत्तर, क्या दक्षिण भावना एक ही होती है, मिल जुलकर खुशियां बांटने की. उल्लास चरम पर होता है. तभी तो एक ही देश में रंगों के त्योहार होली को अलग-अलग नामों से जाना जाता है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
Holi 2025: देश में कहां किस नाम से कैसे खेली जाती है होली?

Holi Festival 2025: हिंदी पट्टी में होली (Holi) की धूम रहती है. रंग-अबीर-गुलाल से सब सराबोर रहते हैं. लेकिन विविधताओं से भरे इस देश के दक्षिण में भी रंगोत्सव (Festival of Colours) धूमधाम से मनाया जाता है. कर्नाटक के हंपी और उडुपी की होली देखने और मनाने दूर-दूर से लोग आते हैं, तो केरल में विदेशियों का तांता लग जाता है. दक्षिण के अधिकतर राज्यों में इस दिन कामदेव के बलिदान को याद करते हैं. इसलिए तो कर्नाटक में कामना हब्बा और कमान पंडिगई, कामाविलास और कामा-दाहानाम कहते हैं.

कहां की कैसी है कहानी?

कर्नाटक के उडुपी में श्री कृष्ण मठ में होली को काफी आध्यात्मिक रूप से मनाया जाता है. रंगों से होली नहीं खेली जाती, बल्कि भगवान कृष्ण के चरणों में कुछ फूल अर्पित कर दिए जाते हैं. एक ओर भजन-कीर्तन का माहौल होता है, वहीं दूसरी ओर भक्त सामान्य दिनों की तरह भगवान कृष्ण से प्रार्थना करने पहुंचते हैं.

Advertisement

इसी राज्य का ऐतिहासिक शहर है हंपी. यहां पर खुमार हिंदी पट्टी सा ही रहता है. गलियों में ढोल नगाड़ों की थाप के साथ जुलूस निकालता है और नाचते-गाते लोग आगे बढ़ते हैं. रंगों की होली भी खेलते हैं और बाद में हंपी स्थित तुंगभद्रा नदी और सहायक नदियों में स्नान करने जाते हैं.

Advertisement
यहां से गोवा पहुंचे तो मछुआरों की शिमगो या शिमगा से साक्षात्कार होता है. कोंकणी में होली को इसी नाम से पुकारा जाता है. इस दिन रच कर रंग खेलते हैं. भोजन में तीखी मुर्ग या मटन करी पकती है, जिसे शगोटी कहा जाता है. शिमगोत्सव की सबसे अनोखी बात पंजिम में निकाला जाने वाला विशालकाय जुलूस होता है, जो गंतव्य पर पहुंचकर सांस्कृतिक कार्यक्रम में परिवर्तित हो जाता है. नाटक और संगीत होते हैं, जिनका विषय साहित्यिक, सांस्कृतिक और पौराणिक होता है. तब न जाति की सीमा होती है, न धर्म का बंधन होता है.

ऐसा ही कुछ मंजुल कुली और उक्कुली खेलने वालों के साथ भी होता है. केरल में होली इसी नाम से जानी जाती है. यहां लोग रंगों में नहीं डूबते, लेकिन होलिका दहन करते हैं। दहन के बाद प्राकृतिक तरीके से होली का त्योहार मनाते हैं.

Advertisement

तेलुगू भाषी प्रांत आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में तो ये 10 दिन तक उत्सव होता है. आखिरी के दो दिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं. कुछ इलाकों में होली के अवसर पर लोकनृत्य कोलतास किया जाता है. यहां होली को मेदुरू होली कहते हैं. लोग एक-दूसरे पर रंग अबीर गुलाल की बरसात करते हैं.

यह भी पढ़ें : Holi 2025: इस दिन मनाई जाएगी होली, डेट को लेकर है कंफ्यूजन तो नोट कर लें सही तारीख, यहां जानें होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

यह भी पढ़ें : Famous Holi Songs: 'बलम पिचकारी' से 'होली खेले रघुवीरा' तक, होली 2024 में भी लोगों के फेवरेट हैं ये सॉन्ग्स

यह भी पढ़ें : Ragging Case: उई अम्मा...! जीवाजी यूनिवर्सिटी में डांस न करने पर सीनयर्स ने जूनियर्स को पीटा, ये है मामला

यह भी पढ़ें : UPI से लेन-देन का बना रिकॉर्ड! जनवरी में 23.48 लाख करोड़ रुपये के वैल्यू से अधिक के 16.99 बिलियन ट्रांजैक्शन