Hariyali Teej 2025: श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को तीज (Hariyali Teej) है. यह त्योहार माता पार्वती और भगवान शिव को समर्पित है. इस दिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं. दृक पंचांग के अनुसार इस दिन अभिजीत मुहूर्त का समय दोपहर के 12 बजे से शुरू होकर 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय दोपहर के 05 बजकर 33 मिनट से शुरू होकर शाम के 07 बजकर 15 मिनट तक रहेगा.
क्या है मान्यता? Hariyali Teej 2025
ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती मिले थे. शिव पुराण के अनुसार, माता पार्वती सैकड़ों वर्षों की तपस्या के बाद भगवान शिव से मिली थीं. इसी कारण, देवी पार्वती को 'तीज माता' के रूप में भी जाना जाता है. इस दिन महिलाएं उपवास रखकर अपने सुहाग की लंबी आयु की कामना करती हैं. कुंवारी कन्याएं भी मनचाहे वर की इच्छा से व्रत रखती हैं. ऐसा माना जाता है कि इस दिन अगर आप उपवास न रख पाएं तो सात्विक आहार ही लेना चाहिए. हरियाली तीज को शादीशुदा महिलाएं बेहद खास तरीके से मनाती हैं.
शुभ मुहूर्त Hariyali Teej 2025 Shubh Muhurat
इस बार हरियाली तीज हिंदू पंचांग के अनुसार 26 जुलाई, 2025 को रात्रि 10 बजकर 41 मिनट से शुरू होकर 27 जुलाई, 2025 को रात्रि 10 बजकर 41 मिनट तक मनाई जाएगी. अगर पंचांग के हिसाब से चलें तो हरियाली तीज का व्रत 27 जुलाई को रखा जाएगा. पंचांग के अनुसार इस दिन अभिजीत मुहूर्त का समय दोपहर के 12 बजे से शुरू होकर 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय दोपहर के 05 बजकर 33 मिनट से शुरू होकर शाम के 07 बजकर 15 मिनट तक रहेगा.
व्रत पूजा विधि Hariyali Teej 2025 Vrat Puja Vidhi
इस दिन व्रत को करने के लिए महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर, मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें, उसके बाद एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें, फिर शुद्ध मिट्टी या बालू से भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा बनाएं, यदि मिट्टी की प्रतिमा बनाना संभव न हो, तो उनकी तस्वीर या मूर्ति स्थापित कर सकते हैं. माता को सोलह श्रृंगार का सामान (साड़ी, चुनरी, सिंदूर, बिंदी, मेहंदी, चूड़ियां, महावर, काजल, आदि), फल, फूल, मिठाई (विशेषकर घेवर और फीणी) चढ़ाएं और भोलेनाथ के लिए बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद फूल, फल, जल, गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी, चीनी (पंचामृत), चंदन, अक्षत चढ़ाएं. फिर हरियाली तीज व्रत कथा का पाठ करें या सुनें. अंत में भगवान शिव और देवी पार्वती की आरती करें और हाथ जोड़कर पूजा में हुई किसी भी भूल-चूक के लिए क्षमा याचना करें. अगले दिन (या जब व्रत खोलें), मिट्टी की प्रतिमाओं और पूजा सामग्री को किसी नदी या पवित्र जल में विसर्जित कर दें.
इस दिन झूले झूलने का भी विशेष महत्व है. गांवों में यह पर्व पूरे जोश के साथ मनाया जाता है. विशेष रूप से हरियाणा और उत्तर प्रदेश की बात करें, तो यहां मायके वाले अपनी बेटी के घर में सावन का सिंधारा भेजते हैं. वहीं सास अपनी बहुओं को इस दिन विशेष तरह का उपहार भेंट करती हैं. हरियाली तीज वैसे तो पूरे भारत में ही मनाई जाती है, मगर हरियाणा, चंडीगढ़, राजस्थान, और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुरु और ब्रज अंचल में यह विशेष रूप से मनाई जाती है.
यह भी पढ़ें : Kargil Vijay Diwas: कारगिल के वीर सैनिकों को सलाम; भारत-पाक युद्ध के बहादुर बलिदानियों की अमर कहानी
यह भी पढ़ें : Ek Ped Maa Ke Naam: अंबुजा सीमेंट्स द्वारा 70,000 पौधों का रोपण; हरेली तिहार पर पर्यावरण के लिए अभियान
यह भी पढ़ें : Regional Tourism Conclave: विंध्य के पर्यटन को उड़ान; अब IRCTC से पीएम श्री पर्यटन वायु सेवा की Booking
यह भी पढ़ें : Ladli Behna Yojana: लाडली बहनों को 1500 रुपए प्रतिमाह; CM मोहन का शगुन, जानिए कब आएगी 27वीं किस्त?