Gupt Navratri 2024: आषाढ़ गुप्त नवरात्री शुरु, पंडित जी से जानिए क्या है महत्व, इस बार 10 दिन होगी पूजा

Gupt Navratri Puja Vidhi: महंत श्रीचंद्रभारती महाराज ने कहा कि इस गुप्त नवरात्री में अघोरी और तांत्रिक गुप्त महाविद्याओं को सिद्ध करने के लिए विशेष पूजा अर्चना करते हैं. यह मोक्ष की कामना के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है. गुप्त नवरात्री देवी के भक्तों के लिए बहुत खास है, इस दौरान मां दुर्गा के सप्तशती का पाठ करने से भक्तों को शुभ फलों की प्राप्ति होती है.

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Ashadh Gupt Navratri 2024: आषाढ़ महीने की गुप्त नवरात्री (Gupt Navratri) आज शनिवार 6 जुलाई से शुरू हो रही है. इस दौरान महाविद्याओं (Mahavidhya) में पूजा (Puja) करने का विधान है. इसका समापन 15 जुलाई को होगा, गुप्त नवरात्रि में पूजा (Gupt Navratri Puja) करने का विशेष महत्व है. गुप्त नवरात्रि के बारे में जानकारी देते हुए श्री हजारेश्वर महादेव मंदिर महंत श्रीचंद्रभारती महाराज ने बताया कि प्रत्येक वर्ष में दो बार माघ (Magh Gupt Navratri) और आषाढ़ महीने में गुप्त नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. आषाढ़ महीने के गुप्त नवरात्र शनिवार से शुरू हो रहे हैं जिनका 15 जुलाई को समापन होगा. इस बार ये 9 नहीं बल्कि दस दिनों तक है. गुप्त नवरात्रि में मुख्य रूप से तंत्र साधनाओं का महत्व होता है जिन्हें गुप्त रूप से किया जाता है इसलिए यह गुप्त नवरात्रि कहलाती है.

गुप्त नवरात्रि इसलिए है खास

महंत श्रीचंद्रभारती महाराज ने कहा कि इस गुप्त नवरात्री में अघोरी और तांत्रिक गुप्त महाविद्याओं को सिद्ध करने के लिए विशेष पूजा अर्चना करते हैं. यह मोक्ष की कामना के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है. गुप्त नवरात्री देवी के भक्तों के लिए बहुत खास है, इस दौरान मां दुर्गा के सप्तशती का पाठ करने से भक्तों को शुभ फलों की प्राप्ति होती है.

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महंत जी ने बताया कि प्रथम दिन मां काली, दूसरे दिन मां तारा, तीसरे दिन मां त्रिपुरा सुंदरी, चौथे दिन मां भुवनेश्वरी, पांचवें दिन मां छिन्नमस्ता, छठे दिन मां भैरवी, सातवें दिन मां धूमावती, आठवें दिन मां बगलामुखी, नौवें दिन मां मातंगी देवी और दसवें दिन मां कमला की साधना करने से माता रानी की विशेष कृपा होती है.

गुप्त नवरात्रि हिंदू का नौ रात तक मनाया जाने वाला त्यौहार है. इस दौरान मां शक्ति के विभिन्न रूपों को पूजा जाता है. इस दौरान भक्त देवी का आशीर्वाद और आध्यात्मिक विकास पाने के लिए उपवास रखते हैं, मंत्र पढ़ते हैं और पूजा करते हैं. कहा जाता है कि इस दौरान माता की आराधना करने से सिद्धि प्राप्त होती है.

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