Chaitra Navratri 2025 Day 1: चैत्र नवरात्रि के पहले दिन करें मां शैलपुत्री की पूजा, यहां जानें महत्व, विधि और मंत्र से आरती तक

Chaitra Navratri 2025 Navratri Day 1: चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है. 9 दिन मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है. हालांकि इस बार 8 दिनों का नवरात्र है. नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा की जाएगी.

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Maa Shailputri: नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा की जाती है.

Chaitra Navratri 2025 Day 1, Maa Shailputri Puja: आज चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2025) का पहला दिन है. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना (Kalash Sthapana) के साथ मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की उपासना की जाती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां शैलपुत्री का जन्म पर्वतराज हिमालय के घर हुआ था, इसलिए वो शैलपुत्री कहलाईं. 

भक्त मां दुर्गा के नौ रूपों की 9 दिनों तक भक्ति भाव से पूजा करते हैं. माना जाता है जो भक्त मां कि भक्ति और श्रद्धा से आराधना करते हैं. मां दुर्गा 9 दिनों तक उनके घरों में विराजमान रहकर उनपर अपनी कृपा बरसाती हैं. माना जाता है कि देवी दुर्गा ने 9 अलग-अलग अवतार लेकर राक्षसों का अंत किया था.और भक्त उन्हें इन्हीं 9 रूपों को पूजते हैं. नवरात्रि के नौ दिनों को बेहद ही पावन माना जाता है. 

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घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त (Ghatsthapana Muhurt)

चैत्र नवरात्र 2025 पर घटस्थापना के लिए 2 शुभ मुहूर्त बन रहे हैं. पहला शुभ मुहूर्त सुबह 06.13 बजे से सुबह 10:22 बजे तक है.  इसके बाद दोपहर 12:01 बजे से दोपहर 12.50 बजे तक अभिजीत मुहूर्त में घटस्थापना कर सकेंगे. 

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नवरात्र घटस्थापना सामग्री (Chaitra Navratri 2025 Ghatsthapana Samagri)

हल्दी, कुमकुम, जनेऊ,आम के पत्ते, पूजा के पान, हार-फूल, पंचामृत, कपूर, धूपबत्ती, निरांजन, गुड़ खोपरा, खारीक, बादाम, सुपारी, पांच प्रकार के फल, सिक्के, नारियल, चौकी पाट, कुश का आसन, नैवेद्य आदि.

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मां शैलपुत्री का स्वरूप (Maa Shailputri)

मां शैलपुत्री का स्वरूप अत्यंत दिव्य और सौम्य है. वो वृषभ यानी बैल पर सवार रहती हैं, इसलिए इन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है. मां के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प सुशोभित रहता है. माता का त्रिशूल धर्म, मोक्ष और अर्थ के द्वारा संतुलन का प्रतीक है. वहीं कमल का फूल स्थूल जगत में रहने का संकेत देता है.

मां शैलपुत्री अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. वहीं नवरात्र में उपासना करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. मां शैलपुत्री चंद्रमा को दर्शाती हैं और इनकी आराधना करने से चंद्र दोष मुक्ति मिलती है. मान्यता है कि मां शैलपुत्री सम्पूर्ण ब्रह्मांड की ऊर्जा का स्रोत हैं. 

मां शैलपुत्री पूजन विधि (Maa Shailputri Puja Vidhi)

1. चैत्र नवरात्रि 2025 के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा की जाती है. इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें.

2. मंदिर को अच्छे से साफ करें.

3. पूजा शुरू करने से पहले अखंड ज्योति जला लें.

4. शुभ मुहूर्त में घट स्थापना करें.

5. इसके बाद पूर्व की दिशा में मुख कर चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और माता का चित्र स्थापित करें.

6. इसके बाद भगवान गणेश का आह्वान करें.

7. अब हाथों में लाल रंग का पुष्प लेकर मां शैलपुत्री का आह्वान करें.

8. मां को सिंदूर, अक्षत, धूप, गंध और पुष्प चढ़ाएं.

9. माता के मंत्रों का जप करें.

10. मां को प्रसाद अर्पित करें. 

11. घी से दीपक जलाएं.

12. मां शैलपुत्री की आरती करें.

13. शंखनाद करें.

मां शैलपुत्री का भोग (Maa Shailputr Bhog)

मां शैलपुत्री को गाय के घी से बनी शुद्ध सात्विक चीजों का भोग लगाना चाहिए. घी से बने हलवे से मां शैलपुत्री को भोग लगा सकते हैं. 

मां शैलपुत्री मंत्र का करें जाप (Maa Shailputri Mantra)

माता शैलपुत्री की पूजा के समय इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए.

ऊं ऐं ह्नीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:

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