Chaitra Navratri 2024: कब से शुरू होगी चैत्र नवरात्रि? शुभ मुहूर्त से पूजा विधि तक पंडित जी से जानिए पूरी जानकारी

Chaitra Navratri: चैत्र नवरात्रि की शुरूआत इस माह में होने जा रही है, चैत्र नवरात्रि में लोग अपने घरों में कलश की स्थापना करते हैं और 9 दिनों तक अखंड ज्योति भी जलाते हैं. पंडित दुर्गेश ने चैत्र नवरात्रि (Chaitra navratri kab se hai) से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी दी है, आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि कब से शुरू हो रही है और कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या है?

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Chaitra Navratri: हिन्दू धर्म में नवरात्रि का पर्व बहुत ही महत्वपूर्ण, पावन और पवित्र माना जाता है. पूरे देश भर में धूमधाम से नवरात्रि के त्योहार को मनाते हैं और नौ दिनों माता रानी को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा करते हैं. मान्यता है कि नवरात्रि के नौ दिनों में माँ दुर्गा (Maa durga pooja) के नौ स्वरूपों की पूजा करने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है और माँ की कृपा विशेष रूप से उन पर बरसती है. चैत्र नवरात्रि की शुरूआत इस माह में होने जा रही है, चैत्र नवरात्रि में लोग अपने घरों में कलश की स्थापना करते हैं और 9 दिनों तक अखंड ज्योति भी जलाते हैं. पंडित दुर्गेश ने चैत्र नवरात्रि (Chaitra navratri kab se hai) से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी दी है, आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि कब से शुरू हो रही है और कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या है?

शुभ मुहूर्त कब है?

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है. इस साल चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा तिथि 08 अप्रैल को रात के 11 बजकर 50 मिनट से शुरू होगी, यह तिथि अगले दिन 9 अप्रैल को शाम 08 बजकर 30 मिनट तक समाप्त होगी, सनातन हिंदू धर्म में उदयातिथि मान हैं, इसीलिए 09 अप्रैल को घट स्थापना की जाएगी.

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आइए जानते हैं घट स्थापना के समय के बारे में

09 अप्रैल को घट स्थापना की जाएगी, जिसका समय सुबह 06 बज कर दो मिनट से लेकर 10 बज कर 16 मिनट तक होगा, इसके साथ ही 11 बज कर 57 मिनट से लेकर दोपहर 12 बज कर 48 मिनट तक मुहूर्त होगा. आप इन दोनों शुभ मुहूर्त में घट स्थापना कर सकते हैं और इस त्योहार को मना सकते हैं.

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पंडित जी से जानिए घट स्थापना की तिथि

घट स्थापना करने के लिए आपको इस विधि को पूरा करना होगा.

*सबसे पहले प्रतिपदा तिथि पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करके पूजा करने का संकल्प ले फिर उसके बाद पूजा स्थल की सजावट करें.

*उस स्थान पर चौकी रखें जहाँ पर कलश में जल भरना है, इसके बाद कलश को कलावे से लपेट लें और उसके ऊपर आम और अशोक के पत्ते रखें.

*इसके बाद नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर रखा था, इसके बाद धूप दीप जलाकर माँ दुर्गा का आह्वान करें और चैत्र नवरात्रि के त्योहार को मनाएं.

कहा जाता है कि शास्त्रों में माँ दुर्गा की पूजा उपासना की बतायी गई विधि से जो कोई अच्छे और सच्चे मन से पूरा करता है उसे नवरात्रि में ज़रूर फल मिलता है.

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष व लोक मान्यताओं पर आधारित है. इस खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता के लिए NDTV किसी भी तरह की ज़िम्मेदारी या दावा नहीं करता है.)