Chaitra Navratri 2024: नवरात्रि के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी माता की इस विधि से करें पूजा, देवी होंगी प्रसन्न

Navratri 2024: ब्रह्मचारिणी का अर्थ है तप का आचरण करने वाली. आज आपको ब्रह्मचारिणी देवी को प्रसन्न करने के लिए की जानी पूजा-अर्चना के बारे में बताएंगे. ये पूजा विधि पंडित दुर्गेश ने बताई हैं. इसके अलावा देवी ब्रह्मचारिणी (Devi Brahmcharini Puja Vidhi) का आशीर्वाद पाने के लिए किन मंत्रों का जाप करना चाहिए, इसकी भी जानकारी पंडित जी ने दी है.

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Navratri 2024 2nd day Maa Brahmcharini: चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) का आज दूसरा दिन है, आज माता दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. ब्रह्मचारिणी में ब्रह्म शब्द का अर्थ तपस्या से हैं और चारिणी का अर्थ है- आचरण करने वाली. इस तरह ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली. आज आपको ब्रह्मचारिणी देवी को प्रसन्न करने के लिए की जानी पूजा-अर्चना के बारे में बताएंगे. ये पूजा विधि पंडित दुर्गेश ने बताई हैं. इसके अलावा देवी ब्रह्मचारिणी (Devi Brahmcharini Puja Vidhi) का आशीर्वाद पाने के लिए किन मंत्रों का जाप करना चाहिए, इसकी भी जानकारी पंडित जी ने दी है.

मां ब्रह्मचारिणी को लगाएं ये भोग (Devi Brahmcharini Bhog)

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की विधिवत पूजा करने से माता की विशेष कृपा होती है. मां ब्रह्मचारिणी को गुड़ अर्पित करने से अकाल मृत्यु का संकट दूर हो जाता है. इसके साथ ही माता रानी दीर्घायु होने का आशीर्वाद भी देती हैं, भक्तों को प्रसन्न करने के लिए चीनी या गुड़ का भोग लगाना चाहिए.

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देवी ब्रह्मचारिणी पूजा विधि

नवरात्रि के दूसरे दिन सुबह उठकर स्नान करें और साफ़ वस्त्र को धारण कर लें, इसके बाद मंदिर को साफ़ करें.
चारों तरफ गंगाजल छिड़कें इसके बाद सुपाड़ी, लौंग, अक्षत और चीनी या गुड़ से बनी मिठाईयों का भोग लगाएं.
इसके बाद माता की आरती उतारे और मां ब्रह्मचारिणी के मन्त्रों का जाप करें.

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इन मन्त्रों का करें जाप
1- या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः>>

2- ह्रीं श्री अम्बिकायै नमः>>

ये रही ब्रह्माचारिणी देवी की आरती : Maa Brahmacharini Aarti

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए। 
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो ​तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।

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