8 नदियों के गोद में बसता है, छत्तीसगढ़ का यह जिला!

अमरकंटक की तराई और अचानकमार के खूबसूरत वादियों के बीच बसा ' गोरेला पेंड्रा मरवाही ' छत्तीसगढ़ के 28वें जिले रूप में 2020 में अस्तित्व में आया. इस जिले से लगभग 8 नदियों का उद्गम हुआ है. शहरों के चकाचौंध, शोर- शराबा और प्रदूषण से दूर यह जिला देखने वालों के दिल में अपनी एक अलग छाप छोड़ता है .

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अमरकंटक से लगा छत्तीसगढ़ का एक जिला प्रकृति का अनमोल नजराना है. अमरकंटक की तलहटी में बसा ये कस्बा एक ओर जहां साल के वनों से घिरा है तो वहीं यह 8- 8 नदियों का उद्गम स्थल भी है. शहरों के चकाचौंध, शोर- शराबा और प्रदूषण से दूर यह जिला देखने वालों के दिल में अपनी एक अलग छाप छोड़ता है . 

हम बात कर रहे हैं अमरकंटक की तराई और अचानकमार की खूबसूरत वादियों के बीच बसे ' गोरेला पेंड्रा मरवाही ' की. छत्तीसगढ़ के 28वें जिले रूप में गौरेला पेंड्रा मरवाही साल 2020 में अस्तित्व में आया. इस जिले से लगभग 8 नदियों का उद्गम हुआ है जिसमें सोन, अरपा, तान, तिपान ,बम्हनी, जोहिला ,मलनिया, एलान नदी शामिल है और इससे भी अधिक नाले और नहर इस इलाके में गुजरते हैं जो गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले को हरा भरा एवं खूबसूरत बनाते हैं. 

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अमरकंटक की तराई और अचानकमार के खूबसूरत वादियों के बीच बसा है ' गोरेला पेंड्रा मरवाही '

देवभूमि की याद दिलाती जिले की भौगोलिक स्थिति

जिले के पश्चिम में अमरकंटक की पहाड़ी, पूर्व में बस्ती बंगरा, दक्षिण में कारी आम और अचानकमार की पहाड़ियां और इनमें कल कल बहती नदी - नाले, गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले की खूबसूरती पर चार चांद लगाते हैं. चारों ओर साल वनों से घिरा छत्तीसगढ़ का यह क्षेत्र ठंडे क्षेत्रों में ही आता है.

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साल वनों से घिरा छत्तीसगढ़ का यह क्षेत्र ठंडे क्षेत्रों में आता है

छत्तीसगढ़ के इस जिले की बनावट और इसकी भौगोलिक स्थिति कई मायनों में हिमालय की तराई में स्थित देवभूमि उत्तराखंड की याद दिलाता है. जिस प्रकार देवभूमि में गंगा-जमुना एवं सरस्वती नदियों के उद्गम होने के कारण वहां की प्रकृति मन को मोहित करती है वैसे ही छत्तीसगढ़ का यह जिला प्रकृति प्रेमियों के लिए एक तोहफा है. पर्यटन की दृष्टि से देखें तो जिस प्रकार देवभूमि की भौगोलिक स्थिति पर्यटन को आकर्षित करती है वैसे हीं अब गोरेला पेंड्रा मरवाही पर्यटकों की राह निहार रहा है.

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पर्यटन के खुलते विकल्प 

प्राकृतिक सौंदर्य और संसाधनों को देखते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गौरेला पेंड्रा मरवाही को पर्यटन जिला बनाने की घोषणा की है. 10 फरवरी वर्ष 2020 को जिला गठन के अवसर पर मुख्यमंत्री ने पेंड्रा से निकलने वाली अरपा नदी के महत्व को रेखांकित करते हुए पेंड्रा में प्रतिवर्ष अरपा महोत्सव मनाने की परंपरा की शुरुआत की और साथ हीं पर्यटन के विकास और इसकी महत्ता को भी रेखांकित किया था .

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गौरेला पेंड्रा मरवाही को पर्यटन जिला बनाने की घोषणा की है

दरअसल गौरेला पेंड्रा मरवाही क्षेत्र की बनावट ऐसी है कि यहां चारों दिशाओं से बहने वाली सभी 8 नदियां भारतवर्ष की प्रमुख नदियों को कल कल बहने में सहायता करती है. यहां से निकलने वाली अरपा नदी शिवनाथ नदी की सहायक नदी है, वहीं सोन गंगा नदी की सहायक नदी है. तान एवं बम्हनी नदी हसदेव नदी की सहायक नदी है तो तिपान एवं जोहिला नदी सोन नदी की सहायक नदियां है.  

माई की बगिया: नर्मदा का गुप्त उद्गम

माई का मड़वा एवं माई की बगिया तथा बालेश्वर महादेव, राजमेर गढ़, दुर्गा धारा इत्यादि तीर्थ क्षेत्र इसी भू भाग का हिस्सा है. माई की बगिया को मां नर्मदा का गुप्त उद्गम माना जाता है इस तरह से मां नर्मदा नदी का उद्गम स्थल भी गौरेला पेंड्रा मरवाही क्षेत्र ही है. यह क्षेत्र देश के भूखंड का एक ऐसा हिस्सा है कि जहां से गंगा बेसिन, महानदी बेसिन एवं नर्मदा बेसिन, तीनों बेसिन के लिए नदियों का प्रवाह होता है. गंगा बेसिन की नदियां सोन, तिपान, जोहिला तथा महानदी बेसिन की नदियां अरपा, मलनिया, बम्हनी एवं तान और नर्मदा बेसिन की नदी नर्मदा है.

माई की बगिया को मां नर्मदा का गुप्त उद्गम माना जाता है

जिले की प्राकृतिक खूबसूरती को देखते हुए यहां पर्यटन विकास पर काफी काम हो रहा है जिससे जिले में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे साथ हीं भारत के मानचित्र पर पर्यटन की दृष्टि से एक नया नाम उजागर होगा. 

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