Navratri 2023 : पाकिस्तान के बाद MP के इस शहर में है हिंगलाज माता का स्वयंभू मंदिर, जानिए क्या है खास

मध्य प्रदेश के खंडवा (Khandwa) ज़िले की माता हिंगलाज (Mata Hinglaj) के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. ऐसा कहा जाता है कि पाकिस्तान (Pakistan) के बलूचिस्तान के अलावा भारत में हिंगलाज माता की स्वयंभू प्रतिमा केवल खंडवा में है.

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Durga Puja 2023 : नवरात्रि (Navratri) के दिनों में मंदिरों पर श्रद्धालुओं की अच्छी ख़ासी भीड़ दिखाई देती. मध्यप्रदेश में माता रानी के कई दिव्य और भव्य मंदिर हैं, जहां शारदीय और चैत्र नवरात्रि का त्यौहार धूम-धाम से मनाया जाता है. प्रदेश में माता की कई अनोखी मूर्तियां भी हैं, जिनकी अलग-अलग मान्यता और इतिहास है. उन्हीं में से एक है खंडवा (Khandwa) ज़िले का माता हिंगलाज (Mata Hinglaj) का मंदिर. यहां लिए दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं. ऐसा कहा जाता है कि पाकिस्तान (Pakistan) के बलूचिस्तान के अलावा भारत में हिंगलाज माता की स्वयंभू प्रतिमा केवल खंडवा में है.

चुनरी चढ़ाने  से मनोकामना होती है पूरी

खंडवा का ये मंदिर स्वयंभू देवी का स्थान माना जाता है. हिंगलाज माता का ये मंदिर बेहद प्रसिद्ध हैं, यहाँ लोग माता को चुनरी अर्पण करते हैं. कहा जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से माता को चुनरी चढ़ाते हैं, उनकी हर मनोकामना पूरी हो जाती है. इसके अलावा माँ हिंगलाज देवी के दर्शन मात्र से भक्तों के कष्ट दूर हो जाते है,  मंदिर में ज्योति कलश का काफी महत्त्व है. सालों से यहां ज्योति कलश की स्थापना की जाती है. यहां पर कलश जलाने से भक्तों की हर मांग पूरी हो जाती है.

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ऐसे पड़ा हिंगलाज नाम

हिंगलाज शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है. हिंग का अर्थ है, रौद्र रूप और लाज का अर्थ है लज्जा. जब भगवान शिव के सीने पर पैर रखकर मां शक्ति लज्जित हुई थी. तब रौद्र और लज्जा से मां का नाम हिंगलाज रखा गया.

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अंग्रेज़ अफसर को आया था माता का सपना

साल 1907 में कोयला उत्खनन के दौरान सतपुड़ा की घने वादियों में एक अंग्रेज़ अफ़सर को माता हिंगलाज की मूर्ति मिली थी. इसके बाद माता हिंगलाज ने उस अंग्रेज़ अफ़सर को सपने में आकर कहा था कि "मेरी स्थापना करो मैं हिंगलाज माता हूं." इसके वाबजूद अफ़सर ने मूर्ति को कोयला खदान में ही रहने दिया. वहीं जब अफ़सर अपनी पत्नी, पुत्र और कुत्ते के साथ उसी खदान में घूमने गया तो अचानक खदान धंसने लगी, इसके बाद अचानक अंग्रेज़ सहित पूरा परिवार खदान में दब गया था. बाद में कोयला खदान के मैनेजर को भी माता ने सपने में आकर कहा कि "मुझे स्थापित करो".  उस मैनेजर ने मूर्ति की स्थापना करवाई और धीरे-धीरे मंदिर का निर्माण कराया. आज हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु माँ हिंगलाज देवी के दर्शन के लिए आते हैं.

बलूचिस्तान में कहा जाता है 'नानी की दरगाह'

माता हिंगलाज का मंदिर पड़ोसी देश पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में है. पाकिस्तान में हिंगलाज माता के मंदिर को "नानी का दरगाह" कहा जाता है. यहां सैकड़ों वर्षों से हिंगलाज देवी को पूजा जा रहा है.

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