इंदौर का सबसे पुराना शिव मंदिर, देवी अहिल्या भी करती थी जिनकी पूजा

यदि आप मध्यप्रदेश के इंदौर शहर आकर दर्शन करने की सोच रहे हैं तो इन्द्रेश्वर महादेव का आशीर्वाद जरूर लें, इंदौर शहर में इन्द्रेश्वर महादेव का मंदिर कैसे बना और इसके पीछे का इतिहास (Indreshwar Mahadev itihas) क्या हैं? आइए हम आपको बताते हैं..

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Indreshwar Mahadev Mandir Indore

Indreshwar Mahadev in Indore: सावन के महीने में हर कोई भोले बाबा की भक्ति में लीन हो जाता है. कहते हैं जो कोई सावन के माह में शिव जी से जो कुछ मांगों वह सब मिल जाता है, यदि आप मध्यप्रदेश के इंदौर शहर आकर दर्शन करने की सोच रहे हैं तो इन्द्रेश्वर महादेव का आशीर्वाद जरूर लें, इंदौर शहर में इन्द्रेश्वर महादेव का मंदिर कैसे बना और इसके पीछे का इतिहास (Indreshwar Mahadev itihas) क्या हैं? आइए हम आपको बताते हैं..

देवी अहिल्या भी लेती थी आशीर्वाद

वैसे तो इंदौर शहर को देवी अहिल्या की नगरी कहा जाता है लेकिन वास्तव में यह शहर इन इन्द्रेश्वर महादेव का शहर है. कहा जाता है कि देवी अहिल्या ने भी इन्द्रेश्वर महादेव का आशीर्वाद लिया था इसीलिए देवी महिला के चित्र में उनके हाथ में शिवलिंग दिखाया जाता है. मान्यता है कि इन्द्रेश्वर महादेव ने इंदौर को बनाने के लिए देवी अहिल्या का चयन किया था. 

बताई जाती है यह कथा

साढ़े 4 हज़ार साल पहले त्वष्टा प्रजापति के धर्म परायण पुत्र कुषध्वज का देवराज इंद्र के हाथों वध हो गया था, जिससे क्रोधित होकर त्वष्टा प्रजापति ने अपनी जटाओं के बाल को अग्नि में समर्पित करके वृत्रासुर नामक दैत्य का आह्वान किया, त्वष्टा प्रजापति की आज्ञा से वृत्रासुर नामक दैत्य ने देवताओं को युद्ध में पराजित करके राजा इन्द्र को अपना बंधक बना लिया और स्वर्ग पर अपना अधिकार कर लिया, त्वष्टा प्रजापति का क्रोध शांत होने के बाद देव गुरू बृहस्पति ने उनसे परामर्श किया और देवराज इंद्र को मुक्त कराया.

ऐसे पड़ा इन्द्रेश्वर महादेव

स्वर्ग को वृत्रासुर नामक दैत्य से छुड़ाने के लिए देव गुरू बृहस्पति ने इंद्र को बताया कि पृथ्वी पर महाकाल वन में स्थित खंडेश्वर महादेव के दर्शन एक शिवलिंग स्थित है. जो पृथ्वीवासियों को ज्ञात नहीं है, उस शिवलिंग का विधिपूर्वक अभिषेक एवं अनुष्ठान करने पर आपको अपने स्वर्ग का राज्य फिर से हो सकता है. बृहस्पति के कथन के अनुसार देवराज इंद्र ने विधिपूर्वक शिवलिंग का अभिषेक किया, जिससे भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने वृत्रासुर नामक दैत्य का वध करके स्वर्ग में देवराज इंद्र का शासन स्थापित किया, देवराज इंद्र के द्वारा प्रथम पूज्य इस शिवलिंग को इन्द्र के ईश्वर अर्थात इन्द्रेश्वर महादेव का नाम दिया गया है.

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इंदौर में कभी नहीं पड़ा अकाल

कहा जाता है कि इन्दौर का अस्तित्व इन्द्रेश्वर महादेव की इच्छा से बना हुआ है. प्राचीन काल से लेकर वर्तमान तक इंदौर को मिली सफलताओं के पीछे इन्द्रेश्वर महादेव का विधान है. शिव भक्त कन्या अहिल्या को इंदौर में स्थापित करना भी इन्द्रेश्वर महादेव की योजना थी. कहा जाता है कि तब से लेकर अब तक इंदौर में कभी भी अकाल नहीं पड़ा, यदि वर्षा कम होती है तो इन्द्रेश्वर महादेव का काजल अभिषेक किया जाता है और गर्भ के ग्रह को जल से भर दिया जाता है, ऐसा करने से भगवान संकेत मिलता है और इंदौर में वर्षा होने लगती है.

इन्द्रेश्वर महादेव के चमत्कार

इंदौर के प्राकृतिक जल स्रोतों में यदि कोई सूखा पड़ जाता है तो उसमें इंद्रेश्वर महादेव का अभिषेक का जल अर्पित करने से जल स्त्रोत फिर से जीवित हो जाता है. इंदौर शहर में लोग ट्यूबेल के उत्खनन के समय भी इंद्रेश्वर महादेव का अभिषेक किया हुआ जल डालते हैं.

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इन्द्रेश्वर महादेव भक्तों का चमत्कार ग़ज़ब का है. यदि किसी को सफेद दाग़ की बीमारी है तो इन्द्रेश्वर महादेव के दर्शन करने से वह दूर हो जाती है.

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Disclaimer: (यहां दी गई जानकारी ज्योतिष व लोक मान्यताओं पर आधारित है. इस खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता के लिए NDTV किसी भी तरह की ज़िम्मेदारी या दावा नहीं करता है.)

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