राष्ट्रपति के साइन के बाद महिला आरक्षण बिल बना कानून, सरकार द्वारा राजपत्र जारी

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हस्ताक्षर के बाद महिला आरक्षण बिल अब कानून बन गया है. केंद्र सरकार से इसकी जानकारी राजपत्र जारी कर दी है. यह बिल संसद के विशेष सत्र के दौरान पास हुआ था.

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संसद के एक विशेष सत्र के दौरान लोकसभा द्वारा लगभग सर्वसम्मति से, जबकि राज्यसभा द्वारा सर्वसम्मति से पारित किया गया था. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

Women Reservation Bill: शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Droupadi Murmu) के हस्ताक्षर करने के बाद महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) अब कानून बन गया है. इसकी जानकारी केंद्र सरकार ने राजपत्र (Gazette) जारी कर के दी है. इस बिल (Women Reservation Bill) के कानून बन जाने से लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी. हालांकि, आरक्षण नई जनगणना और परिसीमन के बाद ही लागू किया जाएगा.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हस्ताक्षर करने से पहले इस विधेयक पर उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने हस्ताक्षर किए. यह संविधान संशोधन विधेयक (Nari Shakti Vandan Adhiniyam) इस महीने की शुरुआत में संसद के एक विशेष सत्र के दौरान लोकसभा द्वारा लगभग सर्वसम्मति से, जबकि राज्यसभा द्वारा सर्वसम्मति से पारित किया गया था.

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यह लोकतंत्र और पार्टी की विचारधारा की जीत है : पीएम मोदी

26 सितंबर को दिल्ली में अपने विचारक दीनदयाल उपाध्याय की जयंती (Deendayal Upadhyay's Birth Anniversary) पर उनकी प्रतिमा का अनावरण करने के बाद बीजेपी के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने कहा कि संसद में महिला आरक्षण विधेयक का पारित होना न केवल लोकतंत्र की जीत है, बल्कि पार्टी की विचारधारा की भी जीत है. पीएम मोदी ने कहा कि राजनीति में महिलाओं की उचित भागीदारी के बिना समावेशी समाज और लोकतांत्रिक एकीकरण की बात नहीं की जा सकती.

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संसद के विशेष सत्र में पास हुआ था बिल

केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र (Special Session of Parliament) बुलाया था. इसी दौरान 19 सितंबर को सरकार ने लोकसभा में नारी शक्ति वंदन बिल पेश किया. 20 सितंबर को लोकसभा में बिल पर 7 घंटे चर्चा हुई, इसमें 60 सांसदों ने भाग लिया. जिसके बाद वोटिंग की गई, बिल के समर्थन में 454 और जबकि विरोध में 2 वोट डाले गए. इसके बाद 21 सितंबर को बिल पर राज्यसभा में चर्चा हुई. यहां बिल सर्वसम्मति से पास हुआ, राज्यसभा में मौजूद सभी 214 सांसदों ने बिल का समर्थन किया था.

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