पतंजलि की मुश्किलें बढ़ीं! अवमानना नोटिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- योग गुरु रामदेव और बालकृष्ण हाजिर हो!

फरवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने विज्ञापनों में छपे फोटो के आधार पर नोटिस जारी किया था. सर्वोच्च न्यायालय ने पतंजलि और बालकृष्ण को अवमानना का नोटिस भेजकर बीमारियों के इलाज पर भ्रामक विज्ञापनों को लेकर जवाब मांगा था.

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Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अवमानना नोटिस का जवाब नहीं देने पर आयुर्वेदिक कंपनी (Ayurvedic company) पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurved) के प्रबंध निदेशक (Managing Director) आचार्य बालकृष्ण (Acharya Balkrishna) और योग गुरु रामदेव (Yog Guru Ramdev) को सुनवाई की अगली तारीख पर पेश होने को कहा है. अवामाना का नोटिस एलोपैथिक दवा (Allopathic Medicine) के मामले में जारी किया गया था. इस केस से जुड़ी अगली सुनवाई अब दो हफ्ते बाद होगी. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि पहली नजर में दोनों (आचार्य बालकृष्ण और योग गुरु रामदेव) ने कानून का उल्लंघन किया है.

पिछले बार कोर्ट ने सुनवाई में क्या कहा था?

फरवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने विज्ञापनों में छपे फोटो के आधार पर नोटिस जारी किया था. सर्वोच्च न्यायालय ने पतंजलि और बालकृष्ण को अवमानना का नोटिस भेजकर बीमारियों के इलाज पर भ्रामक विज्ञापनों को लेकर जवाब मांगा था. कोर्ट ने पूछा था कि क्यों ना उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए? सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि उन्होंने 21 नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट को दिए गए वादे का उल्लंघन किया था.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कहा था कि पतंजलि बीपी, मधुमेह, गठिया, अस्थमा, मोटापे को पूरा खत्म का दावा कैसे कर सकती है? ये ड्रग्स एंड मैजिक रैमिडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम का पूर्ण उल्लंघन है. एलोपैथी को इस तरह जनता की नजरों में गिराया/बदनाम नहीं किया जा सकता. एलोपैथी जैसी चिकित्सा की किसी अन्य विधि की आलोचना नहीं कर सकते.

CJI डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच के एक जज और दो अन्य सुप्रीम कोर्ट जजों को 15 जनवरी 2024 को एक गुमनाम पत्र मिला था. इसमें कहा गया था कि 21 नवंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को ऐसे भ्रामक विज्ञापन देने से रोक दिया था, लेकिन इसके बावजूद ऐसे विज्ञापन जारी किए गए. इस पत्र के साथ विज्ञापन की कॉपी भी लगाई गई थी.

पिछले साल भी सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई थी सख्ती

पिछले साल 29 नवंबर 2023 को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई थी. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पतंजलि आयुर्वेद के विज्ञापनों पर आपत्ति जताने को लेकर थी. IMA ने कहा था कि पतंजलि के दावों की पुष्टि नहीं हुई है. ये ड्रग्स एंड अदर मैजिक रेडेमीड एक्ट 1954 और कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 जैसे कानूनों के खिलाफ है. उस समय जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्र की बेंच ने पतंजलि को फटकार लगाई थी.

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