पूर्व IG से 381 करोड़ की ठगी ! दूसरी राधा बनकर चर्चा में आए थे IPS डीके पांडा

Online Fraud: देश में आए दिन ऑनलाइन फ्रॉड के मामले सामने आते हैं. ताजा मामला पूर्व IG डीके पांडा का है. उनका दावा है कि उन्होंने निवेश करके 381 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया था लेकिन ये पैसे उन्हें नहीं मिले. जालसाजों ने उनसे उल्टे 8 लाख रुपया देने को कहा और नहीं देने पर टेरर फंडिंग में फंसाने की धमकी भी दी.

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Cyber Fraud News: भगवान श्रीकृष्ण की राधा बनने के लिए IG की नौकरी से इस्तीफा देने वाले IPS डीके पांडा एक बार फिर चर्चा में हैं. इस बार उनके साथ एक दो करोड़ नहीं बल्कि 381 करोड़ की ठगी हुई है. खुद डीके पांडा ने इस संबंध में प्रयागराज के धूमनगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है. उनका दावा है कि लंदन की एक कंपनी में ट्रेडिंग करके उन्होंने 381 करोड़ रुपये कमाए थे...लेकिन वो पैसे उन्हें नहीं मिले, बल्कि ये मुनाफा देने के लिए उनसे 8 लाख रुपये देने को कहा गया था. इस रकम को उन्होंने देने से इनकार कर दिया था. 

डीके पांडा उर्फ दूसरी राधा ने अपनी  तहरीर में बताया है कि कुछ समय पहले उनकी राहुल नामक युवक से ऑनलाइन पहचान हुई थी. उसी के सुझाव पर उन्होंने लंदन की फिन्नीएक्स ग्रुप डॉट कॉम में रुपये निवेश किए थे. बाद में इसके बदले उन्हें 381 करोड़ रुपये का लाभ दिखाया गया.

पांडा ने अपनी FIR में बताया है कि जब वे रुपये निकालने बैंक गए तो पता चला कि पैसे खाते में आए ही नहीं हैं. इसके बाद 25 अक्तूबर की दोपहर आरव शर्मा नामक व्यक्ति ने उन्हें वाट्सएप कॉल किया. उसने खुद को राजस्थान का मूल निवासी बताया और कहा कि वो साइसेक साइप्रस में काम करता है. उसने रुपये की निकासी के लिए टैक्स, ट्रांजेक्शन फीस आदि के नाम पर 8 लाख रुपये जमा कराने की बात कही.इस पर IPS डीके पांडा को शक हुआ और उन्होंने वो रकम देने से इनकार कर दिया. जिसके बाद उन लोगों ने उन्हें अपशब्द कहे और पांडा का आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट जैसे दस्तावेज का इस्तेमाल टेरर फंडिंग में करने और उनकी कमाई के रुपये आतंकियों को देकर उन्हें फंसाने की धमकी दी. 

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2005 में IG पद से दिया था इस्तीफा

बता दें कि ओडिशा के मूल निवासी डीके पांडा पहले भी सुर्खियों में रह चुके हैं. 1971 बैच के IPS पांडा 2005 में आईजी के पद पर थे.एक दिन वे सोलह श्रृंगार कर ड्यूटी पर आ गए थे. उन्होंने खुद को दूसरी राधा घोषित कर दिया था. इससे पुलिस विभाग की खूब किरकिरी हुई थी और तब ये खबर सुर्खियों में भी आई थी. विवाद बढ़ने पर उन्होंने रिटायर होने के दो साल पहले 2005 में नौकरी से त्यागपत्र दे दिया था. तब से प्रयागराज में ही रहते हैं.
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