Nithari Kand: क्या था निठारी कांड... 17 साल बाद भी सुनकर कांप जाती है रूह, बरी हुए दोनों आरोपी

सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सुरेंद्र को 12 मामलों में बरी कर दिया जिनमें उसे फांसी की सजा मिली थी. मोनिंदर को दो मामलों में फांसी की सजा सुनाई गई थी जिसे भी अदालत ने रद्द कर दिया.

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निठारी कांड के आरोपी हुए बरी

What was Nithari Kand : आज से 17 साल पहले हुए निठारी कांड (Nithari Kand) ने देश को हिलाकर रख दिया था. एक बार फिर यह कांड चर्चा में इसलिए है क्योंकि इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने रविवार को निठारी कांड के मुख्य आरोपियों मोनिंदर सिंह पंढेर (Moninder Singh Pandher) और सुरेंद्र कोली (Surinder Koli) को बरी करने का आदेश जारी किया है. कोर्ट ने दोनों को दोषमुक्त करार देते हुए निचली अदालत से मिली फांसी की सजा को भी रद्द कर दिया. एक लंबी सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एसएएच रिजवी की अदालत ने सोमवार को यह फैसला सुनाया. आइए आपको बताते हैं कि नोएडा का निठारी कांड क्या था जिसका नाम सुनकर आज भी लोगों की रूह कांप जाती है.

नोएडा की कोठी नंबर D-5

देश की राजधानी दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के नोएडा शहर में एक छोटा सा गांव है, नाम है निठारी. साल 2006 में कुछ ऐसा हुआ कि देखते ही देखते पूरा देश इस गांव के बारे में बात करने लगा. टीवी से लेकर अखबारों के पहले पन्ने पर निठारी का नाम था.

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कहानी शुरू होती है निठारी की कोठी नंबर D-5 से. यह कोठी थी मोनिंदर सिंह पंढेर की जिसके साथ उसका नौकर सुरेंद्र कोली रहता था.

7 मई 2006 को कोठी के पास रहने वाली पायल नाम की एक लड़की अचानक लापता हो गई. गायब होने से पहले वह रिक्शे पर बैठकर कोठी नंबर D-5 ही आई थी.

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रिक्शेवाले को हुआ शक

लड़की रिक्शे से मोनिंदर की कोठी पहुंची और रिक्शेवाले से अंदर से वापस आकर पैसे देने की बात कही. काफी देर तक जब पायल वापस नहीं लौटी तो रिक्शेवाले ने गेट पर आवाज लगाई. भीतर से सुरेंद्र ने बताया कि लड़की काफी देर पहले ही जा चुकी है. चूंकि पूरे वक्त रिक्शेवाला कोठी के बाहर ही खड़ा था इसलिए उसे शक हुआ. उसने पूरा मामला जाकर पायल के घरवालों को बताया. पायल के पिता ने पुलिस में बेटी के लापता होने की एफआईआर दर्ज कराई. लापता होने का यह मामला पुलिस के लिए नया नहीं था बल्कि इससे प्रशासन पर दबाव और अधिक बढ़ गया क्योंकि पायल से पहले निठारी के एक दर्जन से ज्यादा बच्चे और लड़कियां गायब हो चुके थे. 

पुलिस ने मारा कोठी पर छापा

पुलिस पहले ही मामले की जांच कर रही थी. पूछताछ में पता चला कि पायल के पास एक मोबाइल था जो 2006 में इतना आम नहीं था. यह पुलिस के लिए बड़ा सुराग था. लापता होने के दिन से पायल का फोन स्विच ऑफ जा रहा था. पुलिस ने उसके नंबरों की कॉल डिटेल निकलवाई जिसमें कोठी नंबर D-5 पर शक और गहरा गया.

जानकारियों के आधार पर पुलिस ने कोठी पर छापा मारा तो जो सच सामने आया उसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया. सख्ती से पूछे जाने पर मोनिंदर और सुरेंद्र ने कबूल कर लिया कि उन्होंने पहले पायल के साथ रेप किया और फिर हत्या कर उसकी लाश पास के नाले में फेंक दी. 

मानव अंगों को पकाकर खाने के आरोप

पुलिस ने जब कोठी के पास बहने वाले नाले में हाथ डाला तो उन्हें सिर्फ पायल की लाश ही नहीं मिली. दिसंबर 2006 में पुलिस ने इस नाले से बड़ी संख्या में नरकंकाल बरामद किए. पता चला कि मोनिंदर और सुरेंद्र बहाने से लड़कियों को कोठी पर बुलाते थे, उनके साथ बलात्कार करते थे और हत्या कर उनकी लाश के टुकड़े-टुकड़े कर नाले में फेंक देते थे. लोगों ने बताया कि दोनों मानव अंगों का व्यापार भी करते थे और बच्चों को मारकर उनके अंग निकालकर उन्हें विदेशों में बेचते थे. उन पर मानव अंगों को पकाकर खाने का भी आरोप लगा. 

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बरी हुए दोनों आरोपी

पुलिस ने सुरेंद्र और मोनिंदर के खिलाफ हत्या और बलात्कार सहित कुल 19 मामले दर्ज किए. सीबीआई ने आरोपियों के खिलाफ 46 गवाह पेश किए. सीबीआई कोर्ट ने दोनों को फांसी की सजा सुनाई थी जिसे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी. सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सुरेंद्र को 12 मामलों में बरी कर दिया जिनमें उसे फांसी की सजा मिली थी. मोनिंदर को दो मामलों में फांसी की सजा सुनाई गई थी जिसे भी अदालत ने रद्द कर दिया.