भारत की ओर से नमस्ते... जयशंकर ने UNGA सत्र को किया संबोधित, चरमपंथ पर कनाडा को सुनाई खरी-खरी

विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से आतंकवाद, चरमपंथ और हिंसा पर अपनी प्रतिक्रिया तय करने में 'राजनीतिक सहूलियत' को आड़े नहीं आने देने का आह्वान किया. यह बयान कूटनीतिक गतिरोध के बीच कनाडा पर परोक्ष प्रहार प्रतीत होता है.

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एस जयशंकर ने UNGA सत्र को किया संबोधित

S Jaishankar in UNGA : भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) में सामान्य बहस के दौरान अपने संबोधन की शुरुआत 'भारत की ओर से नमस्ते' (Namaste From India) कहते हुए की. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) हॉल के मंच से एक उच्चस्तरीय सत्र को संबोधित किया. उन्होंने अपने 17 मिनट से अधिक समय के संबोधन की शुरुआत हाथ जोड़कर 'भारत की ओर से नमस्ते' कहते हुए की. उन्होंने भाषण के अंत में कहा, 'मैं उस समाज के लिए बोल रहा हूं जहां लोकतंत्र की प्राचीन परंपराओं ने गहरी आधुनिक जड़ें जमा ली हैं. परिणाम स्वरूप हमारी सोच, प्रयास और कार्य अब अधिक जमीनी और प्रामाणिक हैं.' 

जयशंकर ने कहा, 'आधुनिकता को आत्मसात करने वाले सभ्यतागत राज्यतंत्र के रूप में हम परंपरा और प्रौद्योगिकी दोनों को विश्वास के साथ समान रूप से संग लाते हैं. यही मेल आज इंडिया को परिभाषित करता है जो भारत है.' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस महीने के पूर्वार्द्ध में भारत की मेजबानी में दिल्ली में हुए जी20 के शिखर सम्मेलन में भारत के नेता के रूप में संबोधित किया गया था. सरकार ने विभिन्न आधिकारिक जी20 दस्तावेजों में देश के नाम के रूप में भारत का उल्लेख किया. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में कहा, 'गुट निरपेक्ष के युग से निकलकर अब हमने 'विश्व मित्र' की अवधारणा विकसित की है. जी20 में अफ्रीकी संघ को शामिल किए जाने से संयुक्त राष्ट्र को भी सुरक्षा परिषद को समसामयिक बनाने की प्रेरणा मिलनी चाहिए.'

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बिना नाम लिए कनाडा पर साधा निशाना
विदेश मंत्री ने कहा, 'वे दिन बीत गए जब कुछ राष्ट्र एजेंडा तय करते थे और उम्मीद करते थे कि दूसरे भी उनकी बातें मान लें. 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' का भारत का दृष्टिकोण महज कुछ देशों के संकीर्ण हितों पर नहीं, बल्कि कई राष्ट्रों की प्रमुख चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करता है.' भारत ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से आतंकवाद, चरमपंथ और हिंसा पर अपनी प्रतिक्रिया तय करने में 'राजनीतिक सहूलियत' को आड़े नहीं आने देने का आह्वान किया. यह बयान कूटनीतिक गतिरोध के बीच कनाडा पर परोक्ष प्रहार प्रतीत होता है.

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'टीका भेदभाव जैसी नाइंसाफी दोबारा नहीं होनी चाहिए'
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि क्षेत्रीय अखंडता के प्रति सम्मान तथा अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप की कवायद चुनिंदा तरीके से नहीं की जा सकती. उन्होंने कहा कि वे दिन बीत गये जब कुछ राष्ट्र एजेंडा तय करते थे और उम्मीद करते थे कि दूसरे भी उनकी बातें मान लें. विदेश मंत्री ने कहा, 'हमें टीका भेदभाव जैसी नाइंसाफी फिर नहीं होने देनी चाहिए. जलवायु कार्रवाई भी ऐतिहासिक जिम्मेदारियों से मुंह फेरकर जारी नहीं रह सकती है. खाद्य एवं ऊर्जा को जरूरतमंदों के हाथों से निकालकर धनवान लोगों तक पहुंचाने के लिए बाजार की ताकत का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.'

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भारत ने 'राजनीति से प्रेरित' बताया ट्रूडो का बयान
 

विदेश मंत्री ने कहा, 'न ही हमें ऐसा करना चाहिए कि राजनीतिक सहूलियत आतंकवाद, चरमपंथ और हिंसा पर प्रतिक्रया तय करे.' उनकी टिप्पणी कनाडा के संदर्भ में प्रतीत होती है जिसके प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने हाल में अपने देश में एक खालिस्तानी चरमपंथी नेता की हत्या में भारतीय एजेंटों की 'संभावित' संलिप्तता का आरोप लगाया था.

भारत ने उनके बयान को 'बकवास' एवं 'राजनीति से प्रेरित' करार दिया था. भारत ने ट्रूडो के आरोप को 'राजनीति' से प्रेरित करार दिया और कहा कि इसमें काफी हद तक 'पूर्वाग्रह' है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)