Lok Sabha Election 2024 Results: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election Results) के नतीजों ने सबको चौंका दिया. एक तरफ इंडिया गठबंधन (I.N.D.I.A.) को इस चुनाव में फिर से संजीवनी मिल गई तो दूसरी तरफ भाजपा (BJP) नीत एनडीए (NDA) ने पूर्ण बहुमत का 272 वाला जादुई आंकड़ा भी पार कर लिया. एनडीए के हिस्से में इस बार 292 सीटें आई है. वहीं, इंडिया गठबंधन के घटक दलों के हिस्से में 234 सीटें और अन्य को 17 सीटें मिली हैं. हालांकि, भाजपा इस लोकसभा चुनाव के बाद भी संसद की सबसे बड़ी पार्टी बनी हुई है और उसने 240 सीटों (BJP Total Seat in 2024) पर जीत हासिल की है. जो 2019 के मुकाबले 63 सीट कम है. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को अपने दम पर 303 सीटें मिली थी. ऐसे में यह देखना जरूरी हो गया है कि आखिर भाजपा को किन सीटों पर बड़ा नुकसान हुआ है और जनता की नब्ज टटोलने में भाजपा की तरफ से कहां चूक हो गई.
नेहरु की बराबरी पर मोदी!
नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेकर जवाहर लाल नेहरू के रिकॉर्ड की बराबरी तो कर लेंगे. लेकिन, भाजपा को इस बात की भी समीक्षा करनी पड़ेगी की हिंदी भाषी राज्यों में इंडिया गठबंधन ने उसकी सीटों में बड़ी सेंध लगाई है.
BJP-NDA को यहां मिली चोट
पार्टी को सबसे बड़ा झटका उत्तर प्रदेश जैसे देश के सबसे ज्यादा लोकसभा सीट वाले राज्य में लगा है. दो लोकसभा चुनावों के बाद अब एक बार फिर से देशभर में कहीं ना कहीं जाति फैक्टर की वापसी होती दिखाई दे रही है. वहीं, युवाओं की तरफ से भी यह खास संदेश सभी पार्टियों के लिए निकलकर सामने आ गया है कि उनके लिए रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा है.
राजस्थान में तो भाजपा का 'मंगलसूत्र' और 'राम' वाला बयान भी काम नहीं आया। यहां की जनता ने भी भाजपा को जोर का झटका धीरे से दिया. हालांकि, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ ने भाजपा की लाज बचा ली.
आरक्षित सीटों का हाल
लोकसभा की 543 सीटों में से 412 सीटें सामान्य, 84 सीटें अनुसूचित जाति और 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. इस चुनाव में अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित कुल 84 सीटों में से भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनी. लेकिन, उसे नुकसान भी इस पर हुआ. इन 84 में से भाजपा के हिस्से में कुल 28 सीटें ही आई. जबकि, 36 सीटें अन्य दलों के हिस्से में आई. कांग्रेस ने 20 और आप ने एक सीट पर जीत दर्ज की.
अनुसूचित जनजाति की 47 सीटों में भी भाजपा के हिस्से में ज्यादा सीटें आई. उसे इसमें से 25 सीटों पर जीत हासिल हुई. लेकिन, यह 2019 के मुकाबले 6 कम है. इसके बाद कांग्रेस के हिस्से में इसमें से 11 और अन्य के हिस्से में 11 सीटें आई. मतलब साफ है अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आरक्षित सीटों पर भाजपा को तगड़ा नुकसान झेलना पड़ा है. इसके साथ ही देशभर में भाजपा के वोट में भी 2019 के मुकाबले कमी आई है.
भाजपा ने हिंदी बेल्ट में ही केवल 67 सीटें अपने हिस्से की गंवा दी, जिन पर 2019 में उसने जीत दर्ज की थी. हालांकि, ओडिशा में भाजपा का प्रदर्शन अच्छा रहा और दक्षिण में भी भाजपा ने अपने लिए दरवाजे खोले. लेकिन, तमिलनाडु जिस पर भाजपा का फोकस इस बार सबसे ज्यादा था, वहां वह जीत तो दूर की बात अपने लिए जमीन तक नहीं तैयार कर पाई. नॉर्थ-ईस्ट में भी भाजपा को झटका मिला. यहां की 25 सीटों में से भाजपा को 13 और कांग्रेस को 7 सीटों पर जीत मिली.
कम वोटिंग से नुकसान
इसके साथ ही लोकसभा चुनाव के 7 चरणों में से जिन पांच चरणों में वोटिंग कम हुई वहां एनडीए को 58 सीटों का नुकसान हुआ. हालांकि, इस चुनाव में भाजपा 6 राज्यों में क्लीन स्वीप करने में कामयाब रही, लेकिन यह प्रदर्शन 2019 के मुकाबले कमजोर था क्योंकि तब भाजपा ने 9 राज्यों में क्लीन स्वीप किया था. लेकिन, इस बार के चुनाव में कांग्रेस ने 10 राज्यों में अपनी सीटों में बढ़ोतरी की है.
महिला उम्मीदवारों को ऐसा रहा हाल
इस बार लोकसभा चुनाव में पार्टियों ने महिला उम्मीदवारों पर भी अपना भरोसा दिखाया. भाजपा ने 69 तो कांग्रेस ने 41 महिलाओं को पार्टी का टिकट दिया. जिसमें भाजपा की 33 महिला और कांग्रेस की 11 महिला उम्मीदवारों ने इस चुनाव में जीत हासिल की. जहां महिलाओं ने ज्यादा संख्या में वोट किया या जहां महिला मतदाताओं में से 60 प्रतिशत से ज्यादा ने वोट किया, ऐसी सीटों पर भाजपा को फायदा मिला.
शहरी-ग्रामीण वोटर्स का हाल
अब बात शहरी, अर्ध शहरी, ग्रामीण, अर्ध ग्रामीण क्षेत्रों की सीटों की करते हैं. यहां इस बार एनडीए को शहरी क्षेत्र में 37, अर्ध शहरी क्षेत्र में 36, अर्ध ग्रामीण क्षेत्र में 53 और ग्रामीण क्षेत्र में 168 सीटों पर जीत हासिल हुई है. जबकि, 2019 में ये आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा था. वहीं, इंडिया गठबंधन को शहरी क्षेत्र में 16, अर्ध शहरी क्षेत्र में 29, अर्ध ग्रामीण क्षेत्र में 48 और ग्रामीण क्षेत्र में 109 सीटों पर जीत हासिल हुई है, जबकि 2019 के चुनाव में यह आंकड़ा बेहद कम था.
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