Delhi Blast Case: फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल के भंडाफोड़ और दिल्ली के लाल किले के निकट हुए ब्लास्ट के बाद अल फलाह यूनिवर्सिटी का नाम चर्चाओं में है. वजह साफ है कि इस यूनिवर्सिटी से जुड़े दो लोगों की गिरफ्तारी हुई है, जबकि तीसरा शख्स लाल किले के पास हुए ब्लास्ट में मारा गया. इसी को देखते हुए अब यूनिवर्सिटी ने अपनी तरफ से आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि हमारा इस ब्लास्ट से कोई लेना-देना नहीं है. जिन लोगों को भी इस ब्लास्ट में अपनी जान गंवानी पड़ी, उनके प्रति हम दुख व्यक्त करते हैं, लेकिन जिस तरह से इस ब्लास्ट के बाद हमारी यूनिवर्सिटी का नाम लिया जा रहा है, उससे इसकी गरिमा को ठेस पहुंच रही है. हमारे संज्ञान में यह भी आया है कि कई सोशल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर हमारी यूनिवर्सिटी के संबंध में मनगढ़ंत और झूठे बयान जारी किए जा रहे हैं, जिनमें बिल्कुल भी सत्यता नहीं है. इसका मुख्य मकसद सिर्फ हमारी यूनिवर्सिटी की गरिमा पर कुठाराघात करना है.
बयान में क्या कहा गया है?
यूनिवर्सिटी की तरफ से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है, "हमारे संज्ञान में आया है कि हमारे दो डॉक्टरों की गिरफ्तारी हुई है, लेकिन हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हमारे यूनिवर्सिटी परिसर का इस्तेमाल किसी भी शरारती गतिविधियों में प्रयुक्त होने वाले केमिकल के निर्माण के लिए नहीं किया गया था. जिस तरह की जानकारी इस संबंध में फैलाई जा रही है, वह पूरी तरह से भ्रामक और बेबुनियादी हैं. विश्वविद्यालय परिसर में स्थित जितनी भी प्रयोगशालाएं हैं, उनका इस्तेमाल सिर्फ एमबीबीएस और अन्य पाठ्यक्रमों के विद्यार्थियों के अध्ययन के ध्येय से ही किया जाता है. इसके अलावा, हमारे विश्वविद्यालय में स्थित जितनी भी प्रयोगशालाएं हैं, उनका संचालन निर्धारित दिशानिर्देश के अनुरूप ही किया जाता है."
साथ ही, आधिकारिक बयान में कहा गया है कि हम इस मुश्किल घड़ी में राष्ट्र के साथ खड़े हैं. इस घटना के संबंध में जो भी जांच हो रही है, उसमें हमारी तरफ से पूरी भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी. वहीं, हम यह भी स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हमारे विश्वविद्यालय के सभी छात्र पूरी तरह से सिर्फ पढ़ाई में संलिप्त है.
यूनिवर्सिटी की तरफ से आधिकारिक बयान में जानकारी देते हुए कहा गया है कि अल फलाह ग्रुप 1997 से कई संस्थानों के संचालन में अहम भूमिका निभा रहा है. अल फलाह यूनिवर्सिटी 2014 में अस्तित्व में आई थी, जिसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की तरफ से मान्यता भी प्राप्त है. वहीं, अल फलाह यूनिवर्सिटी में साल 2019 से मेडिकल की पढ़ाई कराई जा रही है.
साथ ही, अल फलाह यूनिवर्सिटी ने अपने आधिकारिक बयान में यह भी स्पष्ट किया कि हमारे यहां से मेडिकल की पढ़ाई करके निकलने वाले सभी छात्र आज की तारीख में देश-विदेश के मेडिकल संस्थानों में उच्च और गरिमापूर्ण पदों पर काबिज हैं.
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