Bharat Ratna Lal Krishna Advani: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दिग्गज और वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा, इसकी घोषणा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को की है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पीएम मोदी (PM Modi) ने कहा कि "मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. मैंने उनसे बात भी की और उन्हें यह सम्मान दिए जाने पर बधाई दी." भारत के विकास में पूर्व केंद्रीय मंत्री का योगदान स्मारकीय है.
पीएम मोदी ने ऐसे दी बधाई
प्रधानमंत्री ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि "मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. मैंने उनसे बात भी की और इस सम्मान से सम्मानित होने पर उन्हें बधाई दी. वे हमारे समय के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक हैं. भारत के विकास में उनका महान योगदान है. उनका जीवन जमीनी स्तर पर काम करने से शुरू होकर हमारे उप प्रधान मंत्री के रूप में देश की सेवा करने तक का है. उन्होंने हमारे गृह मंत्री और सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में भी खुद को प्रतिष्ठित किया. उनके संसदीय हस्तक्षेप हमेशा अनुकरणीय, समृद्ध अंतर्दृष्टि से भरे रहे हैं."
उनका जीवन प्रेरणा पुंज के समान : CM मोहन यादव
सीएम मोहन यादव ने कहा "हमारे मार्गदर्शक श्रद्धेय लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित करने का निर्णय हम सभी के लिए प्रसन्नता का विषय है. श्रद्धेय आडवाणी जी का जीवन हम सभी के लिए साहस, त्याग, देशप्रेम और राष्ट्रसेवा का एक अनूठा उदाहरण है. हम सभी कार्यकर्ताओं के लिए उनका जीवन प्रेरणा पुंज के समान है. इस अभूतपूर्व निर्णय हेतु यशस्वी प्रधानमंत्री का हार्दिक अभिनंदन.
ऐसा रहा है आडवाणी का जीवन
8 नवंबर, 1927 को कराची, वर्तमान पाकिस्तान में जन्मे, आडवाणी ने 1980 में अपनी स्थापना के बाद से सबसे लंबे समय तक भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया. लालकृष्ण आडवाणी 5 बार लोकसभा और 4 बार राज्यसभा से सांसद रहे हैं. आडवाणी 3 बार बीजेपी के अध्यक्ष भी रहे चुके हैं. 2002 से 2004 तक वह देश के उप प्रधानमंत्री भी रहे हैं. आडवाणी को व्यापक रूप से महान बौद्धिक क्षमता, मजबूत सिद्धांतों और एक मजबूत और समृद्ध भारत के विचार के प्रति अटूट समर्थन वाले व्यक्ति के रूप में माना जाता है.
1980 और 1990 के दशक के उत्तरार्ध में लालकृष्ण आडवाणी ने भाजपा को एक राष्ट्रीय राजनीतिक ताकत बनाने के एकमात्र कार्य पर ध्यान केंद्रित किया था. उनके प्रयासों के नतीजे 1989 के आम चुनाव में दिखाई दिए थे. उनकी पार्टी ने 1984 की अपनी 2 सीटों से वापसी करते हुए 86 सीटें हासिल की थीं. पार्टी की स्थिति 1992 में 121 सीटों और 1996 में 161 सीटों तक पहुंच गई. इस प्रकार आजादी के बाद पहली बार उनकी पार्टी ने कांग्रेस को उसकी प्रमुख स्थिति से हटा दिया गया और भाजपा लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन गई थी.
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