हर माता-पिता अपने बच्चों को सही राह पर चलना सिखाना चाहते हैं. लेकिन कई बार पेरेंट्स बच्चों के साथ इतना सख्त व्यवहार करने लगते हैं कि बच्चों में डर बैठ जाता है. यह डर बिल्कुल भी ठीक नहीं है. यदि आपका बच्चा गलती कर रहा है और आप उसे लगातार डांट रहते हैं तो यह खबर आपके लिए काफी काम की है. दरअसल एक रिसर्च में खुलासा हुआ है कि यदि बच्चों को उनके पेरेंट्स बार-बार डांटते हैं तो इससे बच्चों की मेंटल हेल्थ पर काफी बुरा असर पड़ता है.
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डांटने की जगह समझाने पर दें जोर
अगर आप अपने बच्चों को बार-बार डांटते हैं, तो इससे उसका आत्मविश्वास कम हो सकता है. वह धीरे-धीरे खुद को नाकारा समझने लगते हैं. इतना ही नहीं लगातार डांटने से बच्चों को इसकी आदत लग जाती है और उनमें यह भाव पैदा होने लगता है कि उनकी गलती पर सिर्फ डांट ही तो पड़ेगी. इसलिए अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे को डांट की लत न लग जाए तो उसे प्यार से समझाना शुरू कर दीजिए.
क्रिएटिविटी पर भी पड़ता है असर
बच्चों के साथ अगर पेरेंट्स लगातार सख्ती से पेश आते हैं तो इसकी वजह से उन पर नकारात्मक असर भी देखने को मिलने लगता है. बच्चों के भीतर निगेटिव सोच हावी होने लगती है और यदि बच्चा बार-बार नकारात्मकता पर ध्यान देगा तो इसकी वजह से उसकी क्रिएटिविटी में भी असर पड़ेगा.
बढ़ता है चिड़चिड़ापन और गुस्सा
यदि माता-पिता बच्चों को गलत व्यवहार करने पर या गलती करने पर माफ नहीं करते हैं और उन लगातार हावी होते रहते हैं तो इससे बच्चे का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है और यही चिड़चिड़ापन आगे चलकर गुस्से में परिवर्तित होने लगता है. कई बार ऐसा देखा गया है कि जिन बच्चों को ज्यादा डांटा जाता है वह बच्चे काफी आक्रामक स्वभाव के हो जाते हैं.
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गलत निर्णय की तरफ होते हैं अग्रसर
जिन बच्चों को माता-पिता से हमेशा डांट सुनने को मिलती है तो वे असफल होने लगते हैं. यदि बच्चों को डांटने की जगह माफ कर दिया जाता है वे खुद से गलती सुधार कर आगे बढ़ने के बारे में सोचता है. लेकिन अगर उसे बार-बार डांटा जाए या ताना मारा जाए तो वह गलत दिशा में बढ़ने लगता है. एक स्टडी में बताया गया है कि यदि बच्चों को ज्यादा डांट पड़ती है तो वह अपने अंदर की असफलता को स्वीकार नहीं कर पाते हैं और कई बार गलत निर्णय भी ले लेते हैं.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)