क्या महिला-प्रधान फिल्मों ने भारत में बॉक्स-ऑफिस की ताकत साबित की ?

Bollywood Films : नयनतारा को ही ले लीजिए, जिन्हें दक्षिण की 'लेडी सुपरस्टार' कहा जाता है. वह तीन उद्योगों में एक दशक से अधिक समय से महिला-प्रधान हिट फिल्मों का नेतृत्व कर रही हैं.

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Bollywood Films : महिला-केंद्रित कहानियों की बात तो बॉलीवुड खूब करता है, लेकिन अब भी वह अपनी अभिनेत्रियों को बॉक्स-ऑफिस का भरोसा दिलाने में हिचकिचाता है. असली बदलाव, और महिला स्टार-पावर का सबसे ठोस सबूत, हिंदी बेल्ट के बाहर दिखाई देता है. तमिल, तेलुगू, मलयालम और पंजाबी सिनेमा में अभिनेत्रियां लगातार फिल्मों को अपने दम पर चला रही हैं, बॉक्स-ऑफिस कमा रही हैं और उस भरोसे का आनंद ले रही हैं जो बॉलीवुड अपनी महिलाओं को काम ही देता है.

महिला-प्रधान हिट फिल्मों का नेतृत्व

नयनतारा को ही ले लीजिए, जिन्हें दक्षिण की 'लेडी सुपरस्टार' कहा जाता है. वह तीन उद्योगों में एक दशक से अधिक समय से महिला-प्रधान हिट फिल्मों का नेतृत्व कर रही हैं. उनके पैन-इंडिया नंबरों में जवान जैसा वैश्विक ब्लॉकबस्टर भी शामिल है, लेकिन उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि वह फिल्में हैं जिनमें वही मुख्य आकर्षण होती हैं. जहां कोई पुरुष सुपरस्टार साथ नहीं होता. भारत में बॉलीवुड सहित, बहुत कम अभिनेत्रियां ऐसी निरंतरता का दावा कर सकती हैं. पंजाबी उद्योग में सरगुन मेहता ने चुपचाप समकालीन महिला सितारों में सबसे मजबूत सफलता दरों में से एक बनाई है. सौकण सौकणने 2 ने अपने मार्केट में प्रभावशाली ओपनिंग दर्ज की. सरबला जी जैसी पहले की हिट फिल्में यह साबित करती हैं कि वह एक भरोसेमंद लीड हैं न कि सिर्फ सपोर्टिंग कलाकार बल्कि एक सच्ची थिएट्रिकल ताकत.

महिला-केंद्रित कहानी

बॉलीवुड में आलिया भट्ट ने राजी और गंगूबाई काठियावाड़ी जैसी दो  महिला-प्रधान व्यावसायिक सफलताएं दी हैं, जिसने साबित किया है कि अगर उद्योग समर्थन दे, तो हिंदी दर्शक महिला-केंद्रित कहानी के लिए सिनेमाघरों तक जरूर आएंगे. सच्चाई सरल है, महिला-प्रधान फिल्मों ने भारत में बॉक्स-ऑफिस की ताकत साबित की है. बस यह ताकत उन उद्योगों में फल-फूल रही है जो अपनी महिलाओं को अवसर देते हैं.

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