मध्य प्रदेश के धार जिले से नवरात्रि के पावन पर्व पर मानवता को झकझोरने वाली घटना सामने आई है. इंदौर–अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित ग्राम पीपलखेड़ा में बुधवार सुबह का नजारा हर किसी की आंखें नम कर गया. सड़क किनारे लावारिस हालत में सिर्फ 10 दिन की मासूम बच्ची पड़ी थी, जो कमजोर, असहाय और जीवन व मौत के बीच जूझ रही थी.
सुबह करीब 7 बजे यश टी स्टॉल के संचालक राजू भाई की नजर इस मासूम पर पड़ी. नन्हीं सी जान को इस हाल में देख वे हड़बड़ा गए और तुरंत ग्रामीणों को बुलाया. बच्ची की हालत नाजुक थी, इसलिए ग्रामीणों ने बिना देर किए महिला एवं बाल विकास विभाग और डायल 112 को सूचना दी.
सूचना मिलते ही 112 की टीम और नौगांव पुलिस मौके पर पहुंची. मासूम को बड़े स्नेह से अपनी गोद में उठाकर एंबुलेंस से जिला भोज अस्पताल धार भेजा गया. ड्यूटी डॉक्टर ईश्वर रावत के मुताबिक बच्ची फिलहाल पूरी तरह स्वस्थ है और उसका इलाज जारी है.
इस घटना ने पूरे क्षेत्र में भावनाओं का सैलाब ला दिया है. नवरात्रि के दिनों में, जब देशभर में लोग कन्या पूजन कर शक्ति स्वरूपा नारी का सम्मान कर रहे हैं, उसी समय किसी निर्दयी मां द्वारा 10 दिन की मासूम को सड़क किनारे छोड़ देना बड़ा सवाल खड़ा करता है. आखिर क्यों एक मासूम को इतनी क्रूरता से बेसहारा कर दिया गया.
लेकिन इस अमानवीयता के बीच उम्मीद की किरण भी दिखी. ग्रामीणों की संवेदनशीलता और पुलिस की तत्परता ने इस मासूम की जिंदगी बचा ली. गांववालों का कहना है कि बच्ची के लिए अब समाज को आगे आकर मां–बाप की कमी को पूरा करना होगा.
यह भी पढ़ें- तीन बेटियों की मां का दर्द: बेटा न होने पर पति ने घर से निकाला और दूसरी शादी रचाई, SP से मांगा न्याय
नवरात्रि के इस पर्व पर यह घटना हमें यह संदेश देती है कि देवी स्वरूपा कन्याओं की रक्षा और पालन–पोषण केवल पूजा–पाठ तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि हर स्तर पर समाज को उनकी सुरक्षा और सम्मान की जिम्मेदारी उठानी होगी. धार जिले की यह घटना न केवल दिल को झकझोरती है बल्कि हमें इंसानियत और करुणा के महत्व की भी गहरी सीख देती है. आरक्षक मुकेश मराठा ने बताया कि पुलिस मामले की जांच कर रही है और सीसीटीवी कैमरे भी खंगाले जा रहे हैं.