MP के Datia का चमत्कारिक मंदिर, नेहरू परिवार से लेकर शिवराज-सिंधिया भी टेकते हैं माथा

मध्यप्रदेश के एक मंदिर की चमत्कारिक देवी के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, जो मध्यप्रदेश के दतिया (Pitambara Peeth) में मौजूद हैं जिन्हें "राजसत्ता की देवी" भी कहा जाता है.

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दतिया:

Pitambara Peeth : देश में कई देवी-देवताओं के मंदिर काफ़ी प्रसिद्ध हैं. इन देवी-देवताओं के मंदिर के चमत्कार की कहानियां न सिर्फ़ देश में बल्कि दुनियाभर में प्रचलित हैं. ऐसे ही मध्यप्रदेश के एक मंदिर की चमत्कारिक देवी के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, जो मध्यप्रदेश के दतिया (Pitambara Peeth) में मौजूद हैं जिन्हें "राजसत्ता की देवी" भी कहा जाता है.

राजसत्ता की देवी
मध्यप्रदेश के दतिया ज़िले में स्थित मां पीताम्बरा के मंदिर के सिद्धपीठ (Pitambara Peeth) की स्थापना स्वामी जी के द्वारा 1935 में की गई थी. ऐसा कहा जाता है कि इस स्थान पर जो कोई जाता है उसकी मुराद ज़रूर पूरी होती है उन्हें राजसत्ता का सुख प्राप्त होता है.

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जवाहर लाल नेहरू भी टेक चुके हैं माथा
यहां भारत के पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू, अटल बिहारी बाजपेयी, इंदिरा गांधी भी आकर माता का आशीर्वाद ले चुके हैं और उन्हें राजसत्ता का सुख प्राप्त हुआ. इसीलिए मध्यप्रदेश की मां पीताम्बरा को राजसत्ता की देवी कहा जाता है. राजसत्ता की कामना रखने वाले यहां आकर माता की पूजा-अर्चना करते हैं. माधवराव सिंधिया, वसुंधरा सिंधिया, ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह, दिग्विजय सिंह, उमा भारती और वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी पीतांबरा शक्ति बगलामुखी की कृपा से राजनीतिक ऊंचाइयों के शिखर पर पहुंचे हैं.

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आरती के समय ही होते हैं दर्शन
कहा जाता है कि राजनैतिक पृष्ठभूमि वाले इस मंदिर में आकर गुप्त पूजा करते है और मां भक्तों के हर दुःख को दूर कर देती है. ये चमत्कारी धाम स्वामी जी तपस्या और जाप के कारण एक सिद्धपीठ के रूप में माना जाता है. इस मंदिर में पीताम्बरा के साथ ही खंडेश्वर महादेव और धूमावती के दर्शनों का सौभाग्य भी भक्तों को मिलता है. अनोखी बात ये है कि भक्तों को मां धूमावती के दर्शन का सौभाग्य केवल आरती के समय ही प्राप्त होता है क्योंकि अन्य समय मंदिर के कपाट बंद रहते हैं.

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ऐसी मान्यता है कि मा पीतांबरा देवी दिन में तीन बार रंग बदलती हैं. माता के दर्शन से सभी के दुख दूर हो जाते हैं और श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी होती है. मां पीताम्बरा के बारे में कहा जाता है कि यहां पर कोई पुकार कभी अनसुनी नहीं रही है. राजा हो या रंक.. मां के नेत्र सभी पर एक समान कृपा बरसाते हैं.

दतिया का ये पीताम्बरा पीठ देश के 10 महाविद्याओं में से एक
दतिया का ये पीताम्बरा पीठ देश के 10 महाविद्याओं में से एक है. माता बगलामुखी का मंदिर ये पीताम्बरा पीठ देश के सबसे बड़े शक्तिपीठों में से एक हैं. माता के अलौकिक सौंदर्य के कारण बगलामुखी नाम मिला है, वहीं, पीले वस्त्र पहनने के कारण उन्हें पीतांबरा भी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि आचार द्रौण के पुत्र अश्वत्थामा चिरंजीवी होने के कारण आज भी यहां पूजा-अर्चना करने आते हैं इसलिए उन्हें पीली वस्तुएं भी चढ़ाई जाती हैं. 

मां पीतांबरा शत्रु नाश की अधिष्ठात्री देवी हैं. ऐसी मान्यता है कि जब जब कोई भी विपत्ति देश के ऊपर आयी है. तब-तब किसी ने भी गोपनीय रूप से मां के सामने हवन करके उस विपत्ति को टाल दिया है. मां पीताम्बरा शक्ति की कृपा से देश में आने वाली सारी विपत्तियां टल गईं हैं.

खिड़की से होते हैं मां के दर्शन
मंदिर बेहद ख़ूबसूरत बना है यहां जो कोई जाता है. मां की भक्ति में रम जाता है. भक्तों को मां एक छोटी सी खिड़की से दर्शन देती है. मंदिर प्रांगण में स्थित वनखंडेश्वर महादेव शिवलिंगों को महाभारत काल का बताया जाता है.

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