Women's Day Special: इन महिलाओं ने खेल में दिखाया दम, लाइलाज बीमारी को मात देकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लहराया परचम

Chhattisgarh Women on International Level: छत्तीसगढ़ के एमसीबी जिले की तीन ऐसी महिलाएं हैं जिन्होंने वेट लिफ्टिंग में इंटरनेशनल लेवल पर देश का नाम रोशन किया है.

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पूरी दुनिया में ये महिलाएं लहरा रही हैं देश का परचम

MCB Women in Weight Lifting: कहते हैं कि अगर कुछ हासिल करने की मन में चाह हो तो उम्र उसके आगे बाधा नहीं बनती. अगर इच्छा शक्ति मजबूत होगी तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है. ऐसा ही कुछ छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर (MCB) जिले में देखने को मिला है. दरअसल, आठ बड़े ऑपरेशन (Operations) और कई बड़ी बीमारियों को मात देकर संजीदा खातून (Sanjida Khatun) ने आयरन गेम में अंतरराष्ट्रीय स्तर तक छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) समेत एमसीबी (MCB) जिले का नाम रोशन किया है. अब वह आज की नई पीढ़ी की महिलाओं के लिए एक आईकॉन बन चुकी हैं. यही वजह है कि अब एमसीबी जिले के चिरमिरी शहर की 25 और मनेंद्रगढ़ की आठ महिलाएं जिम जाकर पावरलिफ्टिंग, स्ट्रेंथ लिफ्टिंग और वेट लिफ्टिंग जैसे स्पोर्ट्स के लिए पसीना बहा रही हैं.

उम्र मायने नहीं रखता

बता दें कि, छत्तीसगढ़ के एमसीबी जिला की 55 वर्षीय संजीदा खातून ने पावरलिफ्टिंग, स्ट्रेंथ लिफ्टिंग और वेट लिफ्टिंग में जिला और राज्य समेत राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परचम लहराया है. गौरतलब है कि 55 वर्षीय संजीदा खातून छह बार छत्तीसगढ़ स्ट्रॉन्ग वूमेन और तीन बार नेशनल स्ट्रांग वूमेन का खिताब अपने नाम कर चुकी हैं.

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स्पाइनल डिस्क का हो चुका है ऑपरेशन

संजीदा ने अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से स्पाइनल डिस्क के ऑपरेशन के बाद योग और कसरत के साथ सही खान-पान की मदद से अपनी कई लाइलाज बीमारियों को दूर करने में सफलता पाई है. इसके बाद उन्होंने पावर लिफ्टिंग में अपनी पहचान बनाई और स्ट्रेंथ लिफ्टिंग में नेशनल रिकॉर्ड अपने नाम कर चुकी हैं.

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क्षेत्र का नाम रोशन कर रही हैं ये महिलाएं

66 साल की होकर भी करती है पावर लिफ्टिंग

66 वर्षीय कमला देवी और 65 वर्ष की शकुंतला सिंह समेत संजीदा खातून पावर लिफ्टिंग, स्ट्रेंथ लिफ्टिंग और वेट लिफ्टिंग खेलती हैं. तीनों महिलाओं ने हाल ही में गोवा में आयोजित नेशनल वेट लिफ्टिंग में गोल्ड मेडल अपने नाम कर क्षेत्र का नाम रोशन किया है.

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बचपन से थी कुछ कर गुजरने की इच्छा

तीनों महिलाओं ने बताया कि उनकी इन खेलों को खेलने की बचपन से इच्छा थी. लेकिन, पारिवारिक हालात कुछ ऐसे थे कि उन्हें पूरा नहीं कर सकीं. जब मौका मिला तो पूरे मन से अभ्यास शुरू किया और इस क्षेत्र में सफलता हासिल की. अब ये महिलाएं अपने आसपास रहने वाली नई पीढ़ी की महिलाओं और युवतियों को स्पोर्ट्स के क्षेत्र में आगे आने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं.

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