Mahila Diwas 2025: आधी आबादी की एंट्री क्यों है बैन? यहां देवी मां का दर्शन नहीं कर सकती नारी शक्ति

Mauli Mata Mandir: छत्तीसगढ़ के इस मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है. इस मंदिर में सालों से चली आ रही महिलाओं के लिए इस परंपरा को आज भी ग्रामीण निभा रहे हैं. आइए जानते हैं कहां मौजूद है ये मंदिर?

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Garh Mauli Devi Mandir: इस मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित

Mauli Mata Mandir, Balod: हमारे देश मे महिलाओ को नारी शक्ति कहा जाता है और इसी देश में इन्हें देवी का भी दर्जा दिया गया है. लेकिन बालोद (Balod) जिला के ग्राम मिर्रीटोला स्थित मौली देवी के मंदिर (Mauli Devi Mandir) की अपनी एक अलग परम्परा है. यहां विराजमान गढ़ मौली देवी के प्रति लोगों की अटूट आस्था है. जमीन से निकली इस देवी के मंदिर में सच्चे मन से मांगी मुरादें जरूर पूरा होती है, लेकिन इस मंदिर में पिछले कई सालों से महिलाओं का प्रवेश वर्जित है और यह परम्परा आज भी कायम है. यहां यह भी परम्परा है कि इस मंदिर में सिर्फ 12 साल तक की लड़कियां ही इस मंदिर में प्रवेश कर सकती है.

Garh Mauli Devi Mandir: महिलाओं की एंट्री बैन इस मंदिर में

अब जानिए इस मंदिर के बारे में

बालोद जिले के ग्राम मिर्रीटोला में गढ़ मौली देवी का मंदिर स्थित है. मंदिर परिसर के चारों ओर दीवार बना हुआ है. ग्रामीणों का माने तो यहां विराजमान देवी की मूर्ति जमीन से निकली हुई है और कई साल पुरानी है. कहा यह भी जाता है कि धमतरी के गंगरेल स्थित मां अंगारमोती माता की यह बड़ी बहन हैं और इस मौली देवी को कुंवारी मानते है. जिसके चलते मौली देवी के इस मंदिर में कई सालों से महिलाओं का प्रवेश वर्जित है.

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Garh Mauli Devi Mandir: महिलाओं की एंट्री बैन

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मंदिर से जुड़े लोगों की माने तो महिलाएं मंदिर के बाहर मंदिर परिसर के मुख्य द्वार पर ही पूजा करती हैं. वे मंदिर परिसर में भी प्रवेश नहीं करती, पुरुषों और बच्चों का प्रवेश वर्जित नहीं है. साथ ही सिर्फ 12 साल तक की लड़कियां हीं इस मंदिर में प्रवेश कर सकती हैं.

Garh Mauli Devi Mandir: मंदिर के बाहर से पूजा करती महिलाएं

यहां की परम्परा को महिलाएं आज भी बेहद श्रद्धा भाव से निभा रही हैं. ग्रामीणों का माने तो कुछ विशेष परिस्थितियों में महिलाओं के यहां आने से गांव में संकट आ सकता है. इसलिए महिलाओं का प्रवेश यहां वर्जित किया गया है. साथ ही यह भी कहा जाता है कि मौली  देवी अपने आप को कुंवारी मानती थी. जिस वजह से भी यहां पर शादीशुदा महिलाओं का प्रवेश पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. यह परम्परा आज नहीं बल्कि कई सालों से चली आ रही है, जिसका निर्वहन आज भी ग्रामीण कर रहे हैं.

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दूर-दूर से आते हैं भक्त

यहां दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं. ग्रामीणों का मानना है कि इस देवी के यहां विराजमान होने के कारण गांव में किसी भी प्रकार का कोई संकट या डर नहीं रहता, इस मंदिर के आसपास में कई पेड़ पौधे लगाए गए हैं. ग्रामीण यह भी मानते है कि इस मौली देवी की वजह से ही आज गांव में शांति की व्यवस्था बनी हुई है.

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