Chhattisgarh Naxal Encounter: छत्तीसगढ़-आंध्र प्रदेश की सीमा पर सुरक्षाबलों से मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर हो गए हैं. इसमें खूंखार नक्सली माडवी हिड़मा और उसकी पत्नी राजे उर्फ राजक्का भी ढेर हो गई. हिड़मा पर एक करोड़ रुपये का इनाम था. उस पर 150 से ज्यादा जवानों को मारने का था. आंध्र प्रदेश के अल्लुरी सीताराम (एएसआर) जिले के इलाके में अभी भी सुरक्षाबलों की नक्सलियों से मुठभेड़ जारी है.
आंध्र प्रदेश के एएसआर जिले के रामपचोदवरम उप-मंडल के मारेदुमिल्ली के पास सुबह 6 बजे से 7 बजे के बीच हुई मुठभेड़ में 6 नक्सली मारे गए, जिसमें खूंखार नक्सली कमांडर हिड़मा (Naxali Commandor Hidma) और उसकी पत्नी मडागम राजे भी शामिल है. इसके अलावा लकमल, कमलू, मल्ला और देवे हैं. देवे हिड़मा का गार्ड था. इनके पास से 2 एके-47, 1 रिवॉल्वर, 1 पिस्तौल बरामद की गई.
लगभग 44 साल का माडवी हिड़मा ने जबसे नक्सवाद की राह थामी है, तब से वह कम से कम 26 सशस्त्र हमलों का जिम्मेदार है. वह 2013 में झीरम घाटी नरसंहार और 2017 में सुकमा में घात लगाकर हमले में भी शामिल था.
कुख्यात माओवादी कमांडर (Who was Madvi Hidma)
हिड़मा छत्तीसगढ़ में सुकमा जिले के पुवार्ती में 1981 में जन्मा था. वह वर्ष 1996 में नक्सलियों से जुड़ा था. इसके बाद से वह कई निर्दोष ग्रामीणों, नेताओं और जवानों की जान ले चुका था. बीजापुर में एक स्थानीय जनजाति से संबंध रखने वाला हिड़मा हिदमाल्लु और संतोष नाम से भी जाना जाता था. वह संगठनों का टॉप लीडर माना जाता है. हिड़मा ने पीएलजीए बटालियन नंबर 1 का नेतृत्व किया और सीपीआई (माओवादी) की केंद्रीय समिति के सबसे कम उम्र के सदस्य था. वह भाकपा (माओवादी) केंद्रीय समिति में बस्तर क्षेत्र का एकमात्र आदिवासी था.
हिड़मा माओवादियों की पीपल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PGLA) बटालियन-1 का हेड था. वह माओवादी स्पेशल जोनल कमेटी (DKSZ) का सदस्य भी था. 2019 में हिड़मा नक्सलियों का कमांडर बन गया.
इन बड़े हमलों में शामिल था हिड़मा
वर्ष 2004 से हिड़मा 30 से ज्यादा हमलों में शामिल रहा है, जिसमें 2013 का झीरम (Jhiram Ghati Attack) और 2021 का बीजापुर हमला (Bijapur attack) भी शामिल है, जिसमें 22 जवान शहीद हो गए थे. अप्रैल 2017 में सुकमा जिले के बुर्कापाल (Burkapal naxal attack) में सीआरपीएफ के 24 जवान शहीद हो गए थे. दंतेवाड़ा हमले में सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हो गए थे. राज्य पुलिस के मुताबिक, दंतेवाड़ा हमले में भी हिड़मा ने सामने से नेतृत्व किया था.
2013 में झीरम घाटी में किया था नरसंहार
खूंखार हिड़मा ने 2013 में झीरम घाटी में नरसंहार किया था. उस वर्ष 25 मई को कांग्रेस के काफिले पर हिड़मा के संगठनों ने हमला किया था. हमले में तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उनके बेटे दिनेश पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा और पूर्व विधायक उदय मुदलियार सहित 27 लोग मारे गए थे. वहीं, इस हमले के दौरान बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा पर नक्सलियों ने 100 से अधिक गोलियां दागी थी.
चार लेयर की सुरक्षा, अनुशासित जीवन के साथ बीफ का था शौकीन
हिड़मा चार लेयर की सुरक्षा में रहता था. उसके पर्सनल सिक्योरिटी के अलावा 200 से 250 नक्सलियों की फौज 24 घंटे आधुनिक हथियारों के साथ उसकी सुरक्षा में रहते थे. वहीं, वह बहुत अनुशासित जीवन जीता है. वो रोज सुबह 4 बजे उठ जाता और नित्यकर्म के बाद पूरी बटालियन से पीटी करवाता था. इसके साथ ही वो देश-दुनिया की खबरों की जानकारी जुटाता था. फिर वह साथियों के सात आगे की प्लानिंग करता. रात में किताब पढ़ता और साथियों के साथ मंत्रणा करता. हिड़मा बीफ खाने का शौकीन था. उसे शुगर की बीमारी थी, इसलिए वो केवल रोटी खाना पसंद करता था.