Chhattisgarh के इस जिले में सामने आई जनभागीदारी अध्यक्षों की लिस्ट, तो शुरू हो गई प्रेशर पॉलिटिक्स

PP Chairperson Viral List CG: छत्तीसगढ़ में जैसे ही जनभागीदारी समिति अध्यक्षों की लिस्ट जारी हुई, वैसे ही प्रदेश राजनीति गर्म हो गई. हालांकि इस लिस्ट को फाइनल नहीं माना जा सकता है. 

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जनभागीदारी अध्यक्ष सूची वायरल होने के बाद शुरू हुआ विवाद

Politics on Janbhagidari List in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में सत्ता बदलने के बाद सभी सरकारी कॉलेजों (Government Colleges) की जनभागीदारी समितियों (People's Participation Committees) के अध्यक्ष और सदस्यों का मनोनयन भंग करने के बाद नए सिरे से कवायद की जा रही है. बालोद जिले के 16 सरकारी कॉलेजों में भी जनभागीदारी समितियों का मनोनयन होना है. नियमतः राज्य सरकार से संबंधित नगर निकाय, जनपद एवं जिला पंचायत के सदस्य, विधायक और सांसद में से किसी को अध्यक्ष नियुक्त करता है.

लेकिन, कार्यालय कलेक्टर के नाम से सोशल मीडिया (Social Media) पर एक सूची वायरल (Viral List) हुई, जिसमें जनभागीदारी अध्यक्षों के नाम लिखे दिखे. इसके बाद नियम टूटने का विवाद खड़ा हो गया. कारण है कि वायरल सूची में जनभागीदारी अध्यक्ष के तौर पर जिनका नाम है, उनमें एक-दो को छोड़कर कोई भी जनप्रतिनिधि नहीं है. 

सरकारी कॉलेजों में जनभागीदारी समिति नियम पहली बार 1996 में बनाए गए थे. इसके मुताबिक जनभागीदारी समिति के कार्यकलापों का प्रबंधन सामान्य परिषद के निर्देश नियंत्रण में किया जाता है. यह समिति की सर्वोच्च सभा होती है एवं इस सभा का अध्यक्ष राज्य शासन द्वारा नियुक्त किया जाता है.

लाए गए थे दो संशोधन

इस नियम में 2015 में संशोधन कर गणमान्य नागरिक जोड़ा गया. गणमान्य नागरिक के लिए शर्त रखी गई कि वह कम से कम ग्रैजुएट हो. उसने कम से कम एक लाख रुपए कॉलेज को दान के रूप में दिया हो. लेकिन, 2018 में शासकीय महाविद्यालयों में जनभागीदारी समिति के नियम में संशोधन कर गणमान्य नागरिक, जो न्यूनतम स्नातक उपाधि प्राप्त हो तथा कम से कम एक लाख रुपये महाविद्यालय को दान के रूप में दिया हो, नियुक्त किया जायेगा को विलोपित कर दिया गया. 

वायरल लिस्ट को लेकर इसलिए शुरू हुआ विवाद

कलेक्टर ऑफिस के नाम से सोशल मीडिया पर वायरल सूची को लेकर विवाद शुरू हो गया. इनमें से अधिकांश नाम ऐसे हैं, जो जनभागीदारी अध्यक्ष के पद के लिए शासन द्वारा तय जरूरी योग्यता पूरी नहीं करते हैं. यानी, सरकार खुद अपने नियमों को ताक पर रखकर अध्यक्ष पद पर सत्ताधारी नेताओं को बैठाने की तैयारी में है. सूची में शामिल नामों में सत्ताधारी दल भाजपा के पदाधिकारी या कार्यकर्ताओं का नाम शामिल दिखा.

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Social Media पर वायरल जनभागीदारी अध्यक्ष सूची

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कॉलेजों के पास अबतक आदेश नहीं

सूची के वायरल होने के बाद इसमें शामिल नामों के पास बधाइयों का सिलसिला शुरू हो गया. हालांकि, महाविद्यालय प्रबंधन के पास मनोनयन का आदेश अबतक नहीं आया है. जनभागीदारी अध्यक्ष निर्वाचित पद नहीं है. दरअसल, इस पद पर प्रभारी मंत्री की अनुशंसा और कलेक्टर की अनुमोदन पर मनोनीत किया जाता है. 

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