सूरजपुर: 97 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर दो गुटों में हुई थी झड़प, राजस्व विभाग की बड़ी लापरवाही

Surajpur News: बढ़ते विवाद को देखते हुए सूरजपुर जिला प्रशासन ने अवैध जमीन पर लगी फसल को काटकर ग्राम पंचायत को सौंपी दी. बता दें, इस मामले को लेकर दो गुटों के बीच झड़प हुई थी. छह आरोपियों पर केस दर्ज है. पुलिस बल की तैनाती के बाद हालात सामान्य हो रहे हैं.

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सूरजपुर: 97 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर दो गुटों में हुई थी झड़प, राजस्व विभाग की बड़ी लापरवाही.

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के सूरजपुर के जूर गांव में सरकारी जमीन पर कब्जा को लेकर मंगलवार से ग्रामीणों में हो रहा बवाल अब थमता हुआ नजर आ रहा है. ग्रामीणों की मांग के अनुसार, अब जिला प्रशासन अवैध कब्जे वाली भूमि की फसल को काटकर ग्राम पंचायत को सुपुर्द कर दिया. इसके बाद अब ग्रामीणों का आक्रोश भी थम गया.

पुलिस बल तैनात कर दिया गया था

दरअसल, जूर गांव में कुछ लोगों के द्वारा लगभग 97 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे का आरोप लगा था, जिसके बाद गांव के ही दो गुट आपस में भिड़ गए थे, इस दौरान दो लोगों को चोटें भी आई थी. लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति बनने के बाद मौके पर बड़ी संख्या में राजस्व विभाग का अमला और पुलिस बल तैनात कर दिया गया था.

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जिला प्रशासन ने ग्रामीणों की बात मानी

उसे दौरान भी राजस्व अमला पर कुछ लोगों के द्वारा हमला किया गया था. ग्रामीणों की मांग थी कि अवैध कब्जा किए गए सरकारी जमीन पर जो फसल लगाई गई. उसको काटकर सरकारी संपत्ति में शामिल किया जाए. आखिरकार जिला प्रशासन ने ग्रामीणों की बात मानी और आज सुबह से ही अवैध कब्जे वाली भूमि पर लगे फसल को काटकर ग्राम पंचायत को सौंप दिया गया. जबकि एहतियातन आज भी गांव में बड़ी संख्या में पुलिस पर तैनात रहा.

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इस मामले में छह आरोपियों की हुई गिरफ्तारी

वहीं, कल दो गुटों में हुई झड़प के बाद पुलिस ने तीन महिला सहित 6 आरोपियों पर मामला दर्ज कर लिया और सभी की गिरफ्तारी भी कर ली गई. साथ ही राजस्व विभाग की टीम पर हमला किए गए लोगों पर भी मामला दर्ज कर कार्रवाई की जा रही. फिलहाल गांव में स्थिति नियंत्रण में बताई जा रही. हम आपको बता दें, इस पूरे मामले में राजस्व विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है.

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मामले की जांच जारी 

बताया यह जा रहा है कि यह सरकारी भूमि का विवाद पिछले कई दशकों से चल रहा है, लेकिन राजस्व विभाग के द्वारा कार्रवाई करने की बजाय लगातार लीपापोती की गई, जिसकी वजह से यह स्थिति निर्मित हुई है. सवाल यह भी है कि इस सरकारी जमीन पर पिछले कई सालों से धान की खेती की जाती रही है, और उसे सरकारी मंडी में बेचा जाता रहा है. अगर धान शासकीय जमीन पर उगाया गया, तो वह सरकारी धान मंडी में कैसे बेचा गया. वहीं,अब राजस्व विभाग के अधिकारी इस पूरे मामले की जांच कर कार्रवाई की बात कह रहे हैं.

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