बदहाली की मार झेल रहा महेशपुर का पुरातात्विक स्थल, खनन में शिव-पार्वती मंदिर समेत मिले थे ये अवशेष

Archaeological Site in Surguja: सरगुजा का महेशपुर पुरातात्विक स्थल उपेक्षा का शिकार हो रहा है. यहां मिले अवशेष और मूर्तियों की स्थिति खराब होती जा रही है.

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महेशपुर पुरातात्विक स्थल की हालत खस्ता है.

Archaeological Site Maheshpur: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सरगुजा जिले (Surguja) का पुरातात्विक स्थल महेशपुर उपेक्षा का शिकार हो रहा है. सरगुजा जिले के उदयपुर जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाले महेशपुर (Maheshpur) में कई साल पहले खुदाई के दौरान 8वीं, 10वीं और 13वीं शताब्दी की प्राचीन मूर्तियां और मंदिर के अवशेष (Ruins of Temple) मिले थे, जिन्हें आज भी देखा जा सकता है. हालांकि, वर्तमान समय में ये उदयपुर के जंगलों (Forest of Udaipur) में ये बिखरे हालत में हैं. हैरानी की बात यह है कि पुरातात्विक विभाग (Archaeological Department) ने इन प्राचीन धरोहरों को सहेजने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. जिसके चलते यहां के प्राचीन और महत्वपूर्ण मूर्तियां मौसम की मार झेलते हुए खराब हो रही हैं. इसके अलावा न जाने कितनी मूर्तियां चोरी हो गई हैं, जिसका कोई रिकॉर्ड भी नहीं है.

यहां रखी कई मूर्तियां चोरी हो चुकी हैं.

महेशपुर का ये है इतिहास

कालांतर में महेशपुर का नाम महिषासुर के नाम पर पड़ा. यह रेण नदी के तट पर बसा है. इसके दूसरे ओर प्राचीन रामगढ़ का पहाड़ है, जहां पर विश्व की प्राचीन नाट्यशाला महाकवि तुलसीदास का आश्रम है. इसके साथ ही त्रेता युग में आए मर्यादा पुरुषोत्तम राम, माता सीता और भाई लक्ष्मण ने अपने वनवास काल के दौरान यहां 2 साल बिताए थे. ऐसे में उनकी यादों को समेटे हुए एक विशाल मंदिर है. मंदिर की खास बात यह है कि यहां पर पूजा पाठ कोई पंडित या महंत नहीं करते हैं, बल्कि आदिवासी संस्कृति के अनुसार यहां पूजा पाठ होती है.

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महेशपुर में मिले ये मंदिर और मूर्तियां

अविभाजित मध्य प्रदेश के समय वर्ष 1980 में सरगुजा जिला प्रशासन के कुछ अधिकारियों को यह जानकारी मिली कि महेशपुर के जंगलों में प्राचीन मंदिर के अवशेष पड़े हुए हैं. जानकारी मिलते ही पुरातत्व विभाग के अधिकारी महेशपुर पहुंचे और लगातार तीन दिन कैंप करने के बाद वहां से इकट्ठा किए कुछ अवशेषों को लेकर रायपुर शोध केंद्र पहुंचे. जहां उन्हें पता चला कि प्राचीन अवशेष 8वीं शताब्दी से लेकर 13वीं शताब्दी के मध्य के हैं, जिनमें कला और संस्कृति की झलक देखने को मिलती है. 

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महेशपुर में कई धर्मों से संबंधित ऐतिहासिक अवशेष मिले हैं.

ये कला और संस्कृति शैव, वैष्णव और जैन धर्म से संबंधित है, जिसके चलते ऐतिहासिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण हैं. लेकिन, उस समय पुरातत्व विभाग को खुदाई की अनुमति नहीं मिली. इसके कारण मामला ठंडे बस्ते में चला गया. लेकिन, छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद वर्ष 2013 में छत्तीसगढ़ सरकार (Chhattisgarh Government) में महेशपुर में खुदाई करने का आदेश पुरातत्व विभाग को दे दिया. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि खुदाई के दौरान तीन बड़े विशालकाय मंदिर जमीन के गर्भ से निकले, जो आज भी मौजूद हैं. यह मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती के बताए जाते हैं. इसके साथ ही इस क्षेत्र में जैन धर्म से संबंधित कई महत्वपूर्ण मूर्तियां भी मिली, जिन्हें अंबिकापुर के पुरातात्विक केंद्र में रखा गया है.

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महेशपुर में मिले अवशेष मौसम की मार झेल रहे हैं.

बदहाली की मार झेल रहा महेशपुर

ऐतिहासिक और पौराणिक दृष्टि से महेशपुर काफी महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है. बताया यह भी जाता है कि कालांतर में कलचुरी राजाओं का राज यहां हुआ करता था, जो काफी वैभवशाली था. कलचुरी साम्राज्य रेणु नदी के तट पर फैला हुआ था. उस दौर में इस क्षेत्र में बड़े-बड़े मंदिरों का निर्माण कराया गया. 2013 में छत्तीसगढ़ पुरातत्व विभाग की ओर से इस ऐतिहासिक और पौराणिक क्षेत्र को संरक्षित करने का प्रयास किया गया. लेकिन, शासन की उदासीनता के कारण मौजूदा दौर में महेशपुर काफी खराब स्थिति से गुजर रहा है. यहां पर प्राचीन मूर्तियां की देख-रेख के लिए एक भी व्यक्ति नहीं है.

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