आत्मसमर्पित नक्सलियों ने पहली बार मनाई दीवाली, पहले की खरीदारी फिर लक्ष्मी पूजा कर खूब की आतिशबाजी

Naxalites News: छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सल संगठन के साथ सालों तक अपना जीवन बर्बाद करने के बाद आत्मसमर्पित नक्सली अब धीरे-धीरे मुख्यधारा में लौटने की कोशिश कर रहे हैं.

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Naxalites Celebrates Diwali: आज देशभर में दीपावली का पर्व मनाया जा रहा है. इस बीच आत्म समर्पण करने वाले नक्सलियों ने भी सालों बाद NDTV के साथ दीपावली का पर्व धूमधाम से मनाया. पुलिस अधीक्षक कार्यालय में आत्मसमर्पित नक्सलियों ने पहले मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना की, उसके बाद जमकर आतिशबाजी कर दीपावली का पर्व मनाया. इस दौरान सभी के चेहरे पर खुशी देखते बन रही थी.

सालों तक जंगलों में हथियार उठाए दर-दर भटकने और अपने परिवार से दूर रहने के बाद जब सभी मुख्य धारा में लौटे हैं, तो उनके चेहरों पर खुशी भी उतनी ही थी. आत्मसमर्पण करने वाले किसकोडो एरिया कमेटी के पूर्व सचिव सोनू हेमला ने कहा कि उन्हें अफसोस है कि उन्होंने गलत रास्ते में चलकर अपने जीवन के कई साल बर्बाद कर दिए. उस दौरान परिवार से दूर किसी भी त्योहार का जश्न नहीं मना पाते थे. अपने परिवार से भी सिर्फ दो से तीन बार ही मिल पाए थे, लेकिन अब मुख्यधारा में वापस आने के बाद समाज के साथ जुड़कर हर त्यौहार मनाना चाहते है. उन्हें उम्मीद है कि जल्द वो अपने परिवार के पास वापस पहुंचेंगे और उनके साथ त्योहार मनाएंगे.

आत्मसमर्पण करने वाले एक दूसरे नक्सली ने कहा कि जंगल में जीवन नहीं था. सिर्फ हाथ में हथियार और दहशत थी, लेकिन अब यहां आकर अच्छा लग रहा है. दीपावली का पर्व सालों बाद मना रहे हैं. उनकी पत्नी ने भी उनके साथ सरेंडर किया. उन्होंने भी बताया कि बहुत अच्छा लग रहा है. इतनी खुशी सालों बाद मिली है. गौरतलब है कि कांकेर पुलिस ने दीपावली के दिन आत्मसमर्पित नक्सलियों के लिए सभी तरह की व्यवस्था की थी, ताकि वो देश के इस पर्व को धूमधाम से मना सके.

गरियाबंद में भी आत्मसमर्पित नक्सिलयों ने जमकर मनाई दिवाली
Photo Credit: himanshu

गरियाबंद में भी आत्मसमर्पित नक्सलियों ने जमकर मनाई दिवाली

गरियाबंद में भी मुख्यधारा में लौटे नक्सलियों ने आज़ादी की रोशनी में दीपावली पर्व मनाया. इनमें 8 लाख की इनामी पूर्व नक्सली जानसी, जुनकी,वैजयंती,मंजुला और मैना शामिल हैं. कभी जिनके नाम से पूरा इलाका दहशत में रहता था, आज वही जानसी और जुनकी आम महिलाओं की तरह गरियाबंद के बाजार में अपनी पहली आज़ाद दीपावली के लिए कपड़े चुनती और खरीदारी करती दिखाई दीं.

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