NDTV News Impact: छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के ओड़गी ब्लॉक के छतोली गांव के बढ़लारी पारा इलाके में अस्थाई आंगनबाड़ी केंद्र खोले जाने से गांव में खुशी का माहौल देखने लायक है. अस्थाई आंगनबाड़ी केंद्र में अब पंडो जनजाति के 61 बच्चे आंगनबाड़ी केंद्र की सुविधाओं से वंचित नहीं होंगे, जो नजदीकी आंगनबाड़ी केंद्रों में दूर होने से नहीं जा पाते हैं.
NDTV ने प्रमुखता से दिखाई थी छतोली गांव में आंगनबाड़ी केंद्र नहीं होने की खबर
गौरतलब है NDTV ने दो दिन पहले छतोली गांव में आंगनबाड़ी केंद्र नहीं होने की खबर प्रमुखता से दिखाई थी. एनडीटीवी की खबर का असर कहेंगे कि छतोली गांव में अब अस्थाई रूप से आंगनबाड़ी खुल गया है. इससे छतोली गांव के बच्चे और परिजनों में खुशी का माहौल है.
पंडो जनजाति के 61 बच्चों के लिए छतौली गांव में खोला गया अस्थाई आंगनबाड़ी केंद्र
रिपोर्ट के मुताबिक हाल के एक दौरे पर स्थानीय सांसद ने पंडो जनजाति के बच्चों के आंगनबाड़ी केंद्रों पर नहीं पहुंच पाने को लेकर अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई थी, लेकिन उसका असर नहीं हआ. सांसद की फटकार का कोई असर नहीं दिखा, लेकिन एनडीटीवी ने जब खबर को प्रमुखता से दिखाया तो छतोली गांव में अस्थाई आंगनबाड़ी केंद्र खोल दिया गया है.
क्षेत्र के सांसद एक्टिव नजर आए
यह इलाका रिजर्व फॉरेस्ट एरिया में आता है. यहां करीब 300 से अधिक पंडो परिवार रहते हैं. इन परिवारों के 61 बच्चे अब तक शिक्षा और पोषण से वंचित थे, क्योंकि गांव में न तो स्कूल था और न ही आंगनबाड़ी केंद्र. दूर-दराज केंद्रों तक पहुंचना बच्चों और उनके माता-पिता के लिए बेहद मुश्किल था. कुछ महीने पहले सरगुजा सांसद चिंतामणि महाराज ने क्षेत्र का दौरा किया था और यहां शिक्षा व पोषण सुविधाएं शुरू करने के निर्देश भी दिए थे. लेकिन, रिजर्व फॉरेस्ट क्षेत्र होने के कारण अधिकारी सक्रिय नहीं हुए. हाल ही में जब सांसद दोबारा छतोली पहुंचे और ग्रामीणों ने फिर अपनी शिकायत दोहराई, तो उन्होंने मौके पर ही अधिकारियों को फोन कर फटकार लगाई.
ये भी पढ़ें-बिना टीचर और बिल्डिंग वाले कॉलेजों पर बड़ी कार्रवाई, रद्द हुई ग्वालियर चंबल अंचल की कुल 42 कॉलेज की मान्यता
NDTV का किया धन्यवाद
गांव के परिजन NDTV का धन्यवाद कर रहे हैं और उम्मीद जता रहे हैं कि जल्द ही अस्थायी केंद्र को स्थायी रूप दिया जाएगा. इससे बच्चों की पढ़ाई और पोषण व्यवस्था में कोई रुकावट नहीं आएगी. बहरहाल, यह एक सकारात्मक उदाहरण है कि जब मीडिया जनहित से जुड़े मुद्दों को जोर-शोर से उठाता है, तो व्यवस्था में भी तेजी से बदलाव संभव होता है.