रिश्वत वो भी PhonePe से ! सूरजपुर में वनपाल ने पट्टा दिलाने के नाम पर ग्रामीणों को ठगा

Surajpur Fraud news: सूरजपुर जिले के दूरस्थ वनांचल बिहारपुर में वन विभाग के एक अधिकारी पर गंभीर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। वनपाल सतीश यादव ने कथित तौर पर वनभूमि का पट्टा दिलाने के नाम पर ग्रामीणों से PhonePe के जरिए ऑनलाइन रिश्वत समेत हज़ारों रुपये की अवैध वसूली की है

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Surajpur Forest Guard Fraud: छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के दूरस्थ वनांचल बिहारपुर क्षेत्र से वन विभाग के एक अधिकारी पर गंभीर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है. यह मामला इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योंकि आरोपी वनपाल सतीश यादव ने कथित तौर पर सिर्फ नकद ही नहीं, बल्कि डिजिटल तरीके से यानी PhonePe जैसे साधनों के जरिए भी ऑनलाइन रिश्वत ली है. वनपाल पर आरोप है कि उन्होंने वनभूमि पर सरकारी पट्टा दिलाने का लालच देकर करौटी A गांव के ग्रामीणों से अवैध वसूली की है. ग्रामीणों और सरपंच ने इसकी लिखित शिकायत कलेक्टर सूरजपुर को सौंपी है.

वनपाल के द्वारा ठगी के शिकार ग्रामीणों ने आला अधिकारियों से शिकायत की है.

डिजिटल ज़माना, डिजिटल रिश्वत!

शिकायत में इस बात का खास ज़िक्र है कि वनपाल सतीश यादव ने ग्रामीणों से ₹10,000 से लेकर ₹25,000 तक की रकम वसूली. सबसे सनसनीखेज बात यह है कि पैसा लेने के लिए न केवल कैश का सहारा लिया गया, बल्कि ऑनलाइन ट्रांज़ैक्शन भी किए गए. ग्रामीणों ने इस डिजिटल ठगी के सबूत के तौर पर PhonePe से किए गए लेनदेन के स्क्रीनशॉट्स भी शिकायतों के साथ संलग्न किए हैं. यह साफ़ दर्शाता है कि आरोपी ने कितने बेखौफ तरीके से अपने पद का दुरुपयोग किया.शिकायतकर्ता श्याम सुंदर साहू और करौटी A के सरपंच गज़मोचन सिंह ने आरोप लगाया कि वनपाल लंबे समय से पद का दुरुपयोग कर भोले-भाले आदिवासी और ग्रामीण परिवारों का आर्थिक शोषण कर रहा है. जिससे क्षेत्र में गहरा आक्रोश व्याप्त है. उन्होंने कहा कि यह गतिविधि न केवल अवैध है, बल्कि सरकारी योजनाओं और प्रशासन पर जनता के भरोसे को भी कमजोर करती है.

प्रशासन का आश्वासन, कड़ी कार्रवाई की मांग

ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने कलेक्टर से मामले की स्वतंत्र जांच और दोषी वनपाल पर कठोर कानूनी कार्रवाई की मांग की है.शिकायत मिलने के बाद अपर कलेक्टर जगन्नाथ वर्मा ने मामले की गंभीरता को स्वीकार करते हुए कहा है कि "इस पूरे मामले की जांच करवाई जाएगी और दोषियों पर आवश्यक कानूनी कदम उठाए जाएंगे." फिलहाल,पूरे क्षेत्र की निगाहें जिला प्रशासन की ओर टिकी हुई हैं. यह मामला वनवासियों के अधिकारों और सरकारी व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़ा करता है. क्या प्रशासन इन आरोपों पर ठोस कदम उठाएगा और ग्रामीणों को न्याय दिलाएगा? आने वाले दिनों में यह साफ हो जाएगा. 

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