SP Kiran Chawhan: इस IPS अफसर की मजबूत प्लानिंग और ढह गए नक्सलियों के PLGA के गढ़, जानें कैसे  ? 

SP Kiran Chawhan:सुकमा के कई इलाके नक्सलियों के कब्जे में रहे हैं. इनके किले को ढहाने में यहां के आईपीएस अफसर की साहसिक रणनीति बेहद काम आ रही है. आइए जानते हैं इन्होंने नक्सलियों की रीढ़ को तोड़ने में कैसे सफलता हासिल की है... 

विज्ञापन
Read Time: 2 mins

Sukma Naxalites Area SP Kiran Chawhan: छत्तीसगढ़ के सुकमा–बीजापुर की सरहद का इलाका कभी नक्सलियों के पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) का सबसे सुरक्षित और मजबूत क्षेत्र माना जाता था. यहां संगठन की मिलिट्री बटालियन सक्रिय थी, जिसे नक्सली नेटवर्क की ‘रीढ़' कहा जाता रहा.  इसी इलाके पर टॉप मोस्ट नक्सली नेता हिड़मा का करीब 28 वर्षों तक दबदबा रहा. 

सुकमा में  जहां चार दशकों तक प्रशासन की मौजूदगी लगभग शून्य रही. सरकारी योजनाएं यहां तक पहुंचाना चुनौती नहीं, बल्कि जोखिम भरा मिशन था. ऐसे दुर्गम और खतरनाक हालात में सुकमा जिले के 10वें पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण ने पदभार संभालते ही परिस्थितियों को बदलने का संकल्प लिया. ज्वाइनिंग के साथ ही उन्होंने रणनीतिक रूप से उन इलाकों को प्राथमिकता दी.

जिन्हें माओवादी अभेद्य किला मानते थे.  पूवर्ती, टेकलगुड़ा, रायगुड, तुमलपाड़ और गोमगुड़ा जैसे एक दर्जन से ज्यादा कट्टर पीएलजीए क्षेत्रों में न केवल सुरक्षा कैंप स्थापित किए गए, बल्कि सड़क, राशन, स्वास्थ्य, शिक्षा और प्रशासनिक सेवाओं की नियमित पहुंच सुनिश्चित की गई.

बतौर एसपी 30 महीने के कार्यकाल में किरण चव्हाण के नेतृत्व में सुरक्षाबलों ने घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में कुल 24 सुरक्षा कैंप स्थापित किए. यह कदम माओवादी संगठन की उस सैन्य संरचना पर सीधा प्रहार था, जिसे वर्षों तक अभेद्य माना जाता रहा. सुरक्षा कैंप खुलते ही हालात बदलने लगे, माओवादियों का मूवमेंट सिमटा और पीएलजीए बटालियन को सुकमा छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा.

Advertisement

80 प्रतिशत इलाके नक्सल मुक्त 

इस रणनीतिक और साहसिक अभियान का नतीजा यह रहा कि सुकमा जिले का 80 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र माओवाद से मुक्त कराने में सफलता मिली. जहां कभी बंदूक का कानून चलता था, वहां अब प्रशासन की मौजूदगी, विकास कार्य और सरकारी योजनाएं जमीन पर उतर रही हैं. वर्ष 2024 से अब तक सुकमा जिले में 21 नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए।  इसी अवधि में 587 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया. वहीं  विभिन्न अभियानों में 68 माओवादी ढेर, 450 गिरफ्तार हुए हैं. 

ये भी पढ़ें गोगुंडा की पहाड़ी फतह: नक्सलियों की दरभा डिवीजन के ‘सेफ हेवन' पर सुरक्षाबलों का कब्जा, यहां से भी लाल आतंक का होगा सफाया

Advertisement

Topics mentioned in this article