Saanpon ki Shobha Yatra: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में गुरुवार को अनोखा नजारा देखने को मिला. जिले के एक गांव में सांपों को लोगों ने खिलौने की तरह हाथ में ले रखा था और हवा लहलहा रहे थे. इस दौरान सांपों की पूजा भी की जा रही थी. सांपों की पूजा भी की गई थी, लेकिन उससे पहले इन्हें एक कुंड में नहलाया गया था. इसके बाद गांव की गलियों से जहरीले सर्पों की शोभायात्रा निकाली गई. इस दौरान मौके पर बड़ी संख्या में लोग भी मौजूद थे, जो दूर-दूर गांवों से देखने आए हुए थे. शोभा यात्रा में अलग-अलग प्रजाति के सांप थे.
जानकारी के अनुसार, फिंगेश्वर ब्लॉक के देवरी गांव में गुरुवार को ऋशि पंचमी पर सांपों की शोभायात्रा निकाली गई थी. यहां सुबह से ही पूजा पाठ में हजारों भक्त जुटे हुए थे. शोभायात्रा शामिल सांपों को सॉवरा समिति पाठशाला संरक्षित करती है. बता दें कि देवरी गांव को सांपों की पाठशाला के नाम से भी जाना जाता है.
खेतों और घरों से पकड़ते हैं सांप
शोभायात्रा के दौरान भय नहीं, बल्कि आस्था और अपनापन दिखाई दिया. देवरी की सांवरा समिति हर साल इस आयोजन की जिम्मेदारी उठाती है. ग्रामीण अपने खेतों और घरों में दिखने वाले जहरीले सर्पों को नुकसान पहुंचाए बिना पकड़ते हैं, फिर विधि-विधान से उनकी पूजा कर शोभायात्रा निकालते हैं. लोग मानते हैं कि यह केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि प्रकृति और जीव-जंतुओं के साथ सहअस्तित्व का संदेश है.
जंगल में छोड़ दिए सांप
सबसे भावुक पल तब आया, जब शोभायात्रा खत्म होने के बाद सभी सर्पों को जंगल में सुरक्षित छोड़ दिया गया. गांव के बुजुर्ग कहते हैं कि यह हमारी परंपरा है, पीढ़ियों से चल रही है. आज तक किसी को सर्पदंश जैसी अनहोनी नहीं हुई. यही हमारी आस्था का चमत्कार है.
लोगों की आंखों में नहीं था डर
देवरी की सांवरा गुरु पाठशाला इस परंपरा की धड़कन है, जहां बच्चों और युवाओं को सांपों को सुरक्षित तरीके से पकड़ना और उनका संरक्षण करना सिखाया जाता है. ऋषि पंचमी पर उमड़ी हजारों की भीड़ इस आयोजन की साक्षी बनी. लोगों की आंखों में डर नहीं, बल्कि विश्वास और गर्व झलक रहा थाय सचमुच, देवरी का यह पर्व बताता है कि जब इंसान आस्था और संवेदनशीलता से जुड़ता है तो जहरीले सर्प भी दोस्त और देवता बन जाते हैं.
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