Chhattisgarh Civil Supplies Corporation Scam: छत्तीसगढ़ के चर्चित नान (नागरिक आपूर्ति निगम) घोटाला मामले में रिटायर्ड IAS आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दोनों ने सरेंडर किया था, फिर ईडी ने गिरफ्तार कर दोनों को स्पेशल कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें 4 सप्ताह यानी 16 अक्टूबर तक ईडी की रिमांड में भेज दिया है. दिल्ली ईडी की टीम उनसे पूछताछ करेगी. टीम जल्द ही दोनों को लेकर दिल्ली के लिए रवाना हो जाएगी.
सोमवार सुबह आलोक शुक्ला खुद ईडी की विशेष अदालत पहुंचे और सरेंडर का आवेदन दिया। अदालत ने आवेदन स्वीकार कर उनकी गिरफ्तारी की अनुमति दी, अनिल टुटेजा पहले से न्यायिक हिरासत में थे, जिन्हें ईडी ने प्रोडक्शन वारंट पर पेश कर गिरफ्तार किया।
करोड़ों के लेन-देन की होगी पूछताछ
ईडी के अफसरों ने कोर्ट में बताया कि नान घोटाले के समय आलोक शुक्ला निगम के चेयरमैन और अनिल टुटेजा सचिव थे. इन्हीं के कार्यकाल में भ्रष्टाचार और वित्तीय गड़बड़ियों की शिकायतें सामने आईं. करोड़ों रुपये के लेन-देन और कथित कमीशनखोरी से जुड़े कई दस्तावेज मिले हैं. ईडी का कहना है कि मामले की जटिलता को देखते हुए लंबी पूछताछ जरूरी है.
सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी अग्रिम जमानत
दोनों अधिकारियों को पहले हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिल चुकी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 18 सितंबर को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी. अदालत ने कहा था कि आरोपी जांच को प्रभावित करने की कोशिश कर चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, पहले दो हफ्ते आरोपी ईडी की कस्टडी में और अगले दो हफ्ते न्यायिक हिरासत में रहेंगे. उसके बाद ही उन्हें जमानत मिल सकती है.
28 दिन की पूछताछ में हो सकते हैं बड़े खुलासे
इस केस में पहले 27 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था, बाद में IAS अफसरों का नाम भी शामिल हुआ था. 28 दिन की रिमांड में ईडी अब इन दोनों अधिकारियों से वित्तीय लेन-देन, बैंक खातों और कथित कंपनियों के नेटवर्क के बारे में पूछताछ करेगी. माना जा रहा है कि इस दौरान कई अहम खुलासे हो सकते हैं.
फरवरी 2015 में उजागर हुआ था घोटाला, एक साथ 25 जगह हुई छापेमारी
घोटाला फरवरी 2015 में उजागर हुआ था, जब एसीबी/ईओडब्ल्यू ने नागरिक आपूर्ति निगम (नान) के 25 परिसरों पर एक साथ छापे मारे थे, जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली के प्रभावी संचालन को सुनिश्चित करने के लिए नोडल एजेंसी थी. इस दौरान कुल 3.64 करोड़ रुपए नकद जब्त किए गए थे. छापे के दौरान एकत्र किए गए चावल और नमक के कई नमूनों की गुणवत्ता की जांच की गई और दावा किया गया कि वे घटिया और मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त हैं. टुटेजा नागरिक आपूर्ति निगम (नान) के पूर्व अध्यक्ष थे, जबकि शुक्ला इसके पूर्व प्रबंध निदेशक थे. टुटेजा छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में भी गिरफ्तार हुए हैं.
आलोक शुक्ला, 2018 से 2020 तक छत्तीसगढ़ राज्य शासन में लोक सेवक की हैसियत से प्रमुख सचिव के पद पर पदस्थ थे. अनिल टुटेजा 2019 से 2020 के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य शासन में लोक सेवक की हैसियत से संयुक्त सचिव के पद पर पदस्थ थे, जबकि सतीश चन्द्र वर्मा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में वर्ष 2019 से 2020 तक महाधिवक्ता, छत्तीसगढ़ राज्य शासन के पद पर लोक सेवक की हैसियत से पदस्थ थे.
कांग्रेस शासन में राज्य में महत्वपूर्ण पदों पर थे टुटेजा और शुक्ला
प्राथमिकी में कहा गया है कि टुटेजा और शुक्ला शासन में (कांग्रेस शासन 2018 से 2023 के दौरान) महत्वपूर्ण पदाधिकारी बन गये थे और इन अधिकारियों का वर्ष 2019 से लगातार सरकार के संचालन नीति निर्धारण एवं अन्य कार्यों में काफी हस्तक्षेप था. उनका सरकार में शक्तिशाली पदों पर पदस्थापना और स्थानांतरण में सीधा हस्तक्षेप था.
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