आधुनिक युग में जहां हम चांद और मंगल ग्रह तक पहुंच गए हैं वहां रूढ़िवादी परंपरा आज भी बरकरार है.छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले का एक गांव ऐसा है यहां पीरियड्स के दिनों महिलाओं और लड़कियों को घर के बाहर अलग रखा जाता है. आइए जानते हैं इससे जुड़ी पूरी डिटेल...
पीरियड्स आना प्राकृतिक और आम बात है. लेकिन इसे लेकर अंधविश्वास और बंदिशें लागू की जाती रही है.ऐसी ही बंदिशें राजनांदगांव जिले के गौटियाटोला गांव में सालों से चली आ रही हैं. मुख्यालय से 70 किमी दूर बसे इस गांव में महिलाओं और बालिकाओं को पीरियड के दौरान घर के पास एक अलग कमरे में रखा जाता है.
उन्हें घर के अंदर 5 से 7 दिनों तक प्रवेश नहीं दिया जाता है.इन महिलाओं और बालिकाओं को खाना और पीना इस कमरे में करना पड़ता है. घर वाले वहीं खाना देते हैं. इन्हें घर के अन्य कमरों में जाने की इजाजत नहीं होती है.
ऐसी रूढ़िवादी परंपराओं को कई सालों से ढोया जा रहा है. ग्रामीण इसे निभाते आ रहे हैं. वनांचल गांव होने के कारण अभी भी जागरूकता की कमी है.
जागरुकता के लिए नहीं उठाए गए कदम
सबसे दुखद बात ये है कि जिस समय महिलाओं को अपने परिवार की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है,उस समय इन महिलाओं को एक अलग कमरे में रखा जाता है,आधुनिक युग में भी रूढ़िवादी परंपरा जारी है. इस परंपरा को समाप्त करने की दिशा में अब तक किसी भी सामाजिक संस्था और प्रशासन ने काम नहीं किया है.
कलेक्टर बोले- जागरुकता के लिए काम करेंगे
NDTV से हुई बातचीत में राजनांदगांव जिले के कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने कहा कि इस संबंध आपके माध्यम से जानकारी मिली है. वस्तु स्थिति क्या है इसके बारे में जानकारी प्राप्त करने के निर्देश मैंने संबंधित अधिकारी को दिया है.जागरुकता अभियान की अगर आवश्यकता होगी, तो वहां पर हम लोग विशेष कैंपेन के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का काम करेंगे.
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