एल्युमिनियम प्लांट में भीषण दुर्घटना पर खड़े हुए सवाल? BJP MLA मिंज ने खोल दी जिम्मेदारों की पोल

 Horrific Accident Aluminum Plant In Ambikapur: छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के मां कुदरगढ़ी एल्युमिनियम प्लांट में हुए भीषण दुर्घटना के बाद अब प्लांट की व्यवस्था को लेकर कई तरह की बातें सामने आ रही हैं. वहां काम करने वाले मजदूरों की सुरक्षा में चूक को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.

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CG News In Hindi: छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के मां कुदरगढ़ी एल्युमिनियम प्लांट में हुए भीषण दुर्घटना के बाद अब प्लांट की व्यवस्था को लेकर कई तरह की बातें सामने आ रही हैं. वहां काम करने वाले मजदूरों की सुरक्षा में चूक को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. वहीं, स्थानीय भाजपा विधायक प्रबोध मिंज ने प्लांट को लेकर जो बयान दिया है, वह भी प्लांट प्रबंधन की पोल खोल दिया. ऐसे में प्लांट में सुरक्षा मानकों में चूक की जिम्मेदारी आखिर किसकी है. यह सवाल अब भी बरकरार है.

जिला प्रशासन के द्वारा घटना के 24 घंटे बाद भी प्लांट प्रबंधन पर कार्रवाई नहीं करना अपने आप में एक बड़ा सवाल है. पुलिस अधीक्षक सरगुजा का कहना है मामले की जांच की जा रही है, जिसकी भी लापरवाही सामने आएंगी कार्रवाई की जाएगी.

ताश के पत्तों की तरह बिखर गया बंकर

दरअसल मां कुदरगढ़ी एल्युमिनियम प्लांट में 8 सितंबर की सुबह 11 बजे के आसपास एक बड़ी दुर्घटना हुई. छमता से ज्यादा कोयला बंकर में डालने से बंकर ताश के पत्तों की तरह बिखर गया. इसके चपेट में बंकर के नीचे काम करने वाले 7 मजदूर आ गए, जिसमें 4 मजदूरों की मौत हो गई.

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NDTV ने प्लांट की स्थिति का लिया जायजा 

वहीं, तीन मजदूरों की अभी भी मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर में इलाज चल रही है. जिसमें एक मजदूर की स्थिति काफी नाजुक बताई जा रही है.दुर्घटना में अपनी जान गवाने वाले मजदूर झारखंड व मध्य प्रदेश के बताए जा रहे हैं. बहरहाल हाल दुर्घटना कैसी हुई ? क्यों हुई? यह सवाल अब भी बरकरार है. लुण्ड्रा के भाजपा विधायक प्रबोध मिंज ने जब मां कुदरगढ़ी एल्युमिनियम प्लांट की व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े किए तो NDTV ने खुद प्लांट की स्थिति का जायजा लिया तो चौंकाने वाले दृश्य सामने आए, जो कहीं न कहीं क्षेत्रीय विधायक प्रबोध मिंज के सवालों को सही साबित करता है.

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बचाव के लिए कोई व्यवस्था नहीं दिखी

प्लांट में कहीं भी सुरक्षा मानकों को लेकर न तो दिशा-निर्देश लगाएं गये हैं, न ही बचाव के लिए कोई व्यवस्था दिखाई दिया. वहीं, अव्यवस्थित रुप से संचालित इस प्लांट के हैवी मोटर को बरसात के पानी से बचाने के टेम्परेरी तोर पर ढाका दिखाई दिया. प्लांट में अव्यवस्था का आलम यह है बॉयलर जगह जगह से रिस रहा है. वहीं, हाईवोल्टेज तार बेतरतीब तरीके से पानी के पास खुले में हैं. प्लांट में ना तो चलने योग्य सड़क है ना ही आपात स्थिति के लिए मेडिकल रूम है. बरसात के पानी से मशीनों को बचाने के लिए तिरपाल का सहारा लिया गया है. ये अव्यवस्था प्लांट प्रबंधन की पोल खोल दिया है.

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भूसा के स्थान में कोयला का उपयोग होने लगा

सुरक्षा में सबसे बड़ी चूक यह भी मानी जा रही है कि मां कुदरगढ़ी एल्युमिनियम प्लांट पिछले दो वर्षों से चावल के भूसा को जलाकर ईंधन बनाया जाता था. लेकिन एक सितंबर से इस प्लांट में भूसा के स्थान में कोयला का उपयोग होने लगा.

बंकर में पहले तकरीबन एक बार में 20 से 25 टन तक भूसा डाला जाता था. लेकिन उत्पादन बढ़ाने के लिहाज से प्लांट प्रबंधन ने एक सितंबर से भूसा के लिए बनाए बंकर में उसके छमता से कहीं ज्यादा कोयला भर दिया जाता था, जिसके कारण ही 8 सितंबर को प्लांट का बंकर ढह गया. इसके चपेट में सात मजदूर आ गए.इस बात को खुद प्लांट के मैनेजर राजकुमार सिंह ने भी स्वीकार की प्लांट पहले भूसा से चलता था.

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इसके लिए कोयला का किया उपयोग

प्लांट को लेकर एक बात यह भी सामने आ रही है कि प्लांट का वार्षिक उत्पादन छमता 35 से 40 हजार टन प्रतिवर्ष एल्युमिनियम पाउडर बनाना है. लेकिन इस छमता को एक लाख टन बनाने के लिए प्लांट प्रबंधन ने कोयला का उपयोग एक सितंबर से करना शुरू कर दिया. नतीजा सबके सामने है. वहीं, सबसे महत्वपूर्ण बात यह भी है कि प्लांट के उत्पादन के लिए इसे ठेकेदार पद्धति से संचालित किया जा रहा था, जिसके कारण सुरक्षा मानकों को जरा सा भी ध्यान नहीं दिया जा रहा था.

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